मंगलौर उपचुनाव में हार के डर से भाजपा ने करवाया खूनी संघर्ष
केंद्रीय चुनाव आयोग ले संज्ञान लिब्बरहेड़ी में करवाया जाय पुनः मतदान
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में भी उत्तरप्रदेश व बिहार की तर्ज पर सत्ता के संरक्षण में बाहुबल व धनबल की राजनीति का श्रीगणेश मंगलौर के विधान सभा उप चुनाव में लिबारेहड़ी के बूथ नम्बर ५३ व ५४ में कांग्रेस समर्थक वोटरों को डराने धमकाने के लिए उन पर लाठी डंडों से हमला कर और अंधाधुंध फायरिंग कर वोट से रोकने के प्रयोजन से आज कर दिया है यह आरोप आज शाम अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने लगाया।
उन्होंने कहा कि पहले तो सबसे शर्मनाक बात यह है कि भाजपा को मंगलौर सीट के लिए उत्तराखंड का कोई नेता या कार्यकर्ता नहीं मिला जिसे वह चुनाव मैदान में उतारती प्रत्याशी के रूप में और फिर जिस धनपशु को वह ले कर आई हरियाणा से उसने पूरे चुनाव प्रचार में उत्तरप्रदेश हरियाणा राजस्थान व दिल्ली के लोगों को ला कर चुनाव प्रचार करवाया व स्थानीय जनता को डराने धमकाने व शराब तथा पैसों का लालच दे कर वोट लेने का प्रयास किया किंतु जब सभी हथकंडे अपना कर उनको अपनी हार साफ दिखाई देने लगी तो आज मतदान के दिन कांग्रेस के समर्थन वाले बूथों पर हिंसा का तांडव किया गया और पुलिस मूक दर्शक बनी खड़ी रही।
उन्होंने कहा कि कोंग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन लगातार भाजपा प्रत्याशी के द्वारा किए जा रहे आचार संहित के उलंघन की शिकायत जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन व चुनाव आयोग से कर रहे थे और उन्होंने इस बात की आशंका जता कर पुलिस व प्रशासन को आगाह किया था कि मतदान को प्रभावित करने के लिए भाजपा प्रत्याशी किसी भी हद तक जा सकता है किंतु उनकी चेतावनी व शिकायत को प्रशासन व चुनाव आयोग ने जान बूझ कर नज़रंदाज़ कर दिया। धस्माना ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष,पूर्व मुख्यमंत्री पूर्व अध्यक्ष व अनेक पार्टी विधायक लगातार पुलिस से गुहार लगाते रहे किंतु शासन प्रशासन पुलिस ने अराजकता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। श्री धस्माना ने कहा कि पूरे प्रकरण की वीडियोग्राफी पुलिस व चुनाव आयोग को उपलब्ध कराई गई है लेकिन सत्ता के दबाव में ना तो पुलिस ने कोई कार्यवाही अराजक तत्वों के खिलाफ की ना ही चुनाव आयोग ने ।
धस्माना ने कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्रीय चुनाव आयोग से मांग करता है कि जिन बूथों पर हिंसा की गई व वोटरों को वोट देने से रोका गया उन पर पुनः मतदान करवाया जाए।
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