विधानसभा भर्ती घोटाले में भी कार्रवाई शेष -भाकपा माले
दबाव में करनी पड़ी सीबीआई जांच की घोषणा-भाकपा माले
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड के युवाओं के आंदोलन के दबाव में मुख्यमंत्री को भर्ती परीक्षा की सीबीआई जांच की घोषणा करनी पड़ी है। युवाओं ने जिस संयम और एकजुटता से आंदोलन चलाया, वह स्वागत योग्य है। लोकतंत्र पसंद और जनपक्षधर ताकतों के समर्थन ने भी आंदोलन को मजबूत करने में योगदान दिया।
भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि आंदोलन और लोकतंत्र समर्थ ताकतों को सतर्क रहना होगा कि कहीं कोई छल आंदोलन की भावना से न किया जाए। यह भी तथ्य है कि पिछले 25 वर्षों में हुई लगभग सभी भर्तियां संदेह के घेरे में हैं, जिनकी सीबीआई जांच आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा भर्ती घोटाले के लिए जिम्मेदार विधानसभा अध्यक्षों पर भी कार्रवाई शेष है। साथ ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष जी.एस. मर्तोलिया को निष्पक्ष भर्ती न करा पाने के कारण तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत पूरी भाजपा और प्रशासनिक मशीनरी शुरू से इस घोटाले को केवल एक परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी बताती रही और पेपर लीक तक मानने से इंकार करती रही। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की मांग करने वालों पर नियुक्तियों में रोक लगाने का आरोप लगाया था। लेकिन आज उन्हें स्वयं सीबीआई जांच की घोषणा करनी पड़ी, जो आंदोलन की जीत है।
युवाओं और आंदोलन का समर्थन करने वालों को जिस तरह ट्रोल किया गया और उनके बारे में झूठी सूचनाएं फैलाई गईं, वह बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है। आंदोलनकारी युवती रजनी, एक्टिविस्ट-पत्रकार त्रिलोचन भट्ट एवं अन्य आंदोलन समर्थकों के बारे में सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफवाहों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

