नए तथ्यों के बाद सीबीआई जांच अनिवार्य- नेता विपक्ष

अंकिता हत्याकांड सत्ता-संरक्षित दरिंदगी का उदाहरण- यशपाल

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जब सत्ता, पैसा और रसूख का अनैतिक गठजोड़ होता है, तब आम जनता की बेटियां कैसे सुरक्षित रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में भाजपा से जुड़े लोगों के माध्यम से सामने आए नए तथ्यों ने देवभूमि के जनमानस को झकझोर कर रख दिया है।

यशपाल आर्य ने कहा कि हत्यारे और हत्याकांड के कारक सीधे तौर पर भाजपा व सरकार के ताकतवर लोगों से जुड़े थे। इसी कारण अंकिता के परिवार, कांग्रेस और प्रदेश की जनता की पुरजोर मांग के बावजूद इस मामले की सीबीआई जांच नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि नए तथ्यों से स्पष्ट हो गया है कि अंकिता की हत्या न तो कोई दुर्घटना थी और न ही यह किसी एक व्यक्ति की मानसिक विकृति का मामला था।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सत्ता-संरक्षित दरिंदगी का जघन्य उदाहरण है, जहां उत्तराखंड की एक बेटी ने सत्ता के दबाव के आगे झुकने से इनकार किया। अंकिता को अपनी अस्मिता का सौदा न करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग संस्कार, धर्म, मर्यादा और संस्कृति की ठेकेदारी करते हैं, उनके शासनकाल में ही बेटियां सबसे अधिक असुरक्षित क्यों हैं।

यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि अंकिता हत्याकांड का मूल कारण भाजपा संगठन से जुड़े एक अति विशिष्ट व्यक्ति को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने उस कथित अति विशिष्ट व्यक्ति को जांच के दायरे से बाहर रखा। उन्होंने कहा कि अब भाजपा जाति का सहारा लेकर उस व्यक्ति का बचाव कर रही है, जबकि अपराध में जाति नहीं, केवल अपराध देखा जाना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अंकिता हत्याकांड जैसा विभत्स अपराध करने वालों को मौत से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए थी। उन्होंने भाजपा सरकार के कार्यकाल में राज्य में घटित कई जघन्य घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि नैनीताल, लालकुआं, किच्छा, उत्तरकाशी, बागेश्वर, थराली, देहरादून, चम्पावत, मंगलौर, श्रीनगर, द्वाराहाट और बहादराबाद सहित अनेक स्थानों पर महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ शर्मनाक अपराध हुए, जिनमें से कई मामलों में भाजपा नेताओं की संलिप्तता सामने आई।

उन्होंने कहा कि अंकिता का मामला राजनीति से ऊपर इंसानियत का प्रश्न है। अब जब नए सवाल खड़े हो चुके हैं, तो सरकार को इस संवेदनशील मामले को दोबारा खोलकर स्वतंत्र और निष्पक्ष सीबीआई जांच के आदेश देने चाहिए।

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