गम्भीर धारा हटने पर चैंपियन को मिल सकती है राहत,कोर्ट पर टिकी नजरें

14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं भाजपा नेता चैंपियन

गुर्जर समाज ने विधायक उमेश कुमार की सदस्यता रद्द करने की मांग की

अविकल उत्तराखंड

हरिद्वार। चैंपियन की मुश्किलें कुछ कम हो सकती है। गुर्जर समाज के विरोध के बाद जेल में बंद भाजपा नेता प्रणव चैंपियन पर गम्भीर धाराएं हटाई जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो चैंपियन तय अवधि से पहले जेल से बाहर आ सकते हैं।

दूसरी ओर, गुर्जर महापंचायत के नेताओं ने एक बार फिर विधायक उमेश कुमार पर हमला बोला। समाज के नेताओं ने उमेश की सदस्यता खत्म करने की मांग के साथ माफी मांगने को भी कहा।

उन्होने कहा कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की है। उमेश कुमार पर भी धारा 307 का मुकदमा दर्ज हो। नहीं तो चैंपियन पर लगी 307 की धारा हटाई जाय।

इधर, बुधवार को पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह की ओर से जिला एवं सत्र न्यायालय में जमानत याचिका दायर की गई। सुनवाई से पहले ही चैंपियन के अधिवक्ता ने जमानत याचिका वापस ले ली। इस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत जोशी ने याचिका निस्तारित कर दी है।
इधर, इस मामले में विवेचक ने जानलेवा हमले की धारा हटाते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश श्रीवास्तव की अदालत में एक प्रार्थना पत्र दिया। इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि मुकदमे में चैंपियन के खिलाफ जानलेवा हमले के आरोप में लगाई गई धाराओं की जांच में कोई सबूत नहीं मिला।

गौरतलब है कि चैंपियन व समर्थकों ने गणतंत्र दिवस की दोपहर खानपुर विधायक उमेश कुमार के सरकारी आवास पर कई राउंड फायरिंग की थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद कुंवर प्रणव सिंह व अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जनवरी को आरोपित कुंवर प्रणव सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। चैंपियन की जमानत याचिका पर बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई की जानी थी, लेकिन सुनवाई से पूर्व ही उनके अधिवक्ता ने जमानत याचिका वापस ले ली। इसके आधार पर सत्र न्यायाधीश प्रशांत जोशी ने जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया है।

दूसरी ओर बुधवार को मुकदमे के विवेचक उपनिरीक्षक धर्मेद्र राठी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में इस मुकदमे में धाराएं परिवर्तित किए जाने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया। उक्त प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने अभी तक कोई आदेश नहीं दिया है।

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