अविकल उत्तराखंड
देहरादून। राजधानी देहरादून में रियल एस्टेट निवेश के नाम पर कथित रूप से बड़े घोटाले के सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। दीपावली के बाद से ही अपने परिवार के साथ लापता बिल्डर शाश्वत गर्ग के खिलाफ अब राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हो गया है। बिल्डर पर आरोप है कि उन्होंने एक ही फ्लैट को कई लोगों को बेचा, फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेजों के जरिये बैंकों और हाउसिंग कंपनियों से करोड़ों का ऋण लिया और अब परिवार समेत फरार हो गए हैं। इस प्रकरण में बिल्डर का पूरा परिवार, रिश्तेदार और बैंक अधिकारी भी नामजद हुए हैं। शिकायत के अनुसार बिल्डर ने मसूरी रोड स्थित आवासीय प्रोजेक्ट आर्केडिया हिलाक्स के नाम पर सेना अधिकारियों समेत कई निवेशकों से करोड़ों रुपये लिए, लेकिन न तो तय समय पर कब्जा दिया और न ही रजिस्ट्री कराई। प्रभावित लोगों ने इस घटनाक्रम को अब नया ‘पुष्पांजलि जैसा घोटालाÓ बताया है। शिकायतकर्ता विवेक राज के अनुसार, शाश्वत गर्ग और उनके सहयोगियों ने एक संगठित तरीके से सेना अधिकारियों एवं अन्य खरीदारों के साथ धोखाधड़ी की।
कब और कैसे बनी ठगी की योजना?
शिकायत में दावा किया गया है कि पूरा घोटाला वर्ष 2014 से योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था। जमीन गाजियाबाद निवासी अतुल गर्ग की थी, लेकिन दस्तावेजों, पावर ऑफ अटॉर्नी और अनुबंधों के नाम पर धीरे-धीरे अधिकार शाश्वत गर्ग, उनके पिता और रिश्तेदारों के नाम पर ट्रांसफर किए गए। 2017 में प्रोजेक्ट को रेरा में आर्केडिया हिलाक्स नाम से पंजीकृत कराया गया और इसी दौरान बड़े पैमाने पर निवेश और लोन लिए गए।
आरोप क्या हैं?
- एक ही फ्लैट एक से अधिक खरीदारों को बेचना
- फर्जी हस्ताक्षर, एग्रीमेंट और अलॉटमेंट लेटर जारी करना
- बैंक और वित्तीय संस्थानों से फर्जी निवेशकों के नाम पर ऋण लेना
- परियोजना के दस्तावेज एमडीडीए और रेरा से छिपाना
- निवेशकों को कब्जा और रजिस्ट्री न देना
कौन-कौन आरोपी?
रिपोर्ट के अनुसार मुकदमे में जिनके नाम शामिल हैं—
- शाश्वत गर्ग (मुख्य आरोपी)
- साक्षी गर्ग (पत्नी)
- प्रवीण गर्ग (पिता)
- अंजली गर्ग (मां)
- अतुल गर्ग (ताऊ)
- कुशल गोयल व सुलभ गोयल (साले)
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी
- पिरामल दिवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन के कर्मचारी
लापता होने का आखिरी सुराग
शाश्वत गर्ग 16 अक्टूबर को परिवार के साथ हापुड़ में अपने ससुराल में थे। शिकायत में बताया गया कि 17 अक्टूबर की दोपहर वह दो गाडिय़ों में देहरादून के लिए निकले, लेकिन उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला। तभी से परिवार, निवेशक और पुलिस उन्हें तलाश रहे हैं। राजपुर थाना अध्यक्ष प्रदीप रावत के अनुसार मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा की दिशा में बढ़ाई जा रही है और लुक आउट नोटिस जारी करने पर विचार किया जा रहा है।
आगे क्या?
निवेशकों ने मुख्यमंत्री और रेरा प्राधिकरण को शिकायत भेजकर सरकार से आग्रह किया है कि—
- प्रोजेक्ट को सरकारी नियंत्रण में लिया जाए
- खरीदारों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित हो
- आरोपी परिवार की संपत्ति कुर्क की जाए

