वैकल्पिक ईंधन की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर

ग्राफिक एरा में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

अविकल उत्तराखंड

देहरादून । अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक ईंधन की क्षमता बढ़ाने के लिए शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया। देश-विदेश के प्रख्यात वैज्ञानिक आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आईसी इंजनस, प्रोपल्शन एण्ड कम्बस्चन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में नेशनल यूनिवर्सिटी आफ सिंगापुर के प्रो. जियांग ह्वांगवी ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि वैकल्पिक ईंधन के रूप में अमोनिया रिन्यूएबल एनर्जी का बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है।

इसका कम्बस्चन, बॉयलर गैस, टरबाइन और आईसी इंजन की क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। प्रो. ह्वांगवी ने कहा कि ऊर्जा का अच्छा स्रोत होने के बावजूद अमोनिया की कुछ चुनौतियां हैं जैसे की जलने की कम तीव्रता, प्रदूषण कारी नाइट्रोजन का उत्सर्जन और आसानी से बुझना। इन चुनौतियों से निपटने के लिए शोध किया जाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कम्बस्चन सिस्टम को कार्बन फ्री करने के लिए अमोनिया व हाइड्रोजन के मिश्रण से तैयार होने वाले ईंधन पर विस्तार से जानकारी दी।

सम्मेलन में नेशनल चेंग कुंग यूनिवर्सिटी, ताइवान के प्रो. मिंग सुन वू ने ग्रीन प्रोपल्शन तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि रॉकेट व अंतरिक्ष यान में हाइड्रोजीन नामक केमिकल का उपयोग प्रोपेलेंट के रूप में किया जाता है। यह प्रोपेलेंट न केवल वातावरण को प्रदूषित करता है बल्कि कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोऑक्सिल अमोनियम नाइट्रेट (एचएएन), अमोनिया डाईनेट्रामाइड व हाइड्रोजन परओक्साइड जैसे प्रोपेलेंट प्रदूषण कम करने में सहायक होंगे। उन्होंने स्लाइड्स के जरिए एचएएन प्रोपेलेंट पर जानकारी साझा की।
आईआईटी मद्रास के डॉ. एस. आर. चक्रवर्थी ने स्वर्ल कंबस्टर में अस्थिर कंबशन प्रक्रिया पर किए गए प्रयोगों के बारे में बताया।

सम्मेलन में आज 70 शोध पत्र पढ़े गए और 12 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी के डॉ. जीवन वचन टिरके, अन्नमली यूनिवर्सिटी, के डॉ. पी. अरविन्धा बाबू, आईआईटी खड़गपुर के डाॅ. एस. कर्माकर, काउंसिल ऑफ़ इंडस्ट्रियल एंड साइंटिफिक रिसर्च, चेन्नई के डॉ. पी षणमुघम, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी भोपाल के डॉ. विजय पटीदार व वी डॉ. पोरपथम ई., एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के डॉ. अनुज कुमार शर्मा, चितकारा यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के डॉ. जितेंद्र कटियार, आईआईटी दिल्ली के डॉ. सुजीत यादव, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैट्रोलियम, देहरादून के डॉ. आशीष कुमार, वैलिडी ईसी मेंबर डॉ. गुरुनाथ, जीडी गोयनका के डॉ. राजेश यादव, यूपीईएस, देहरादून के डॉ. हर्षित शुक्ला और शालिनी पांडे ने इन सत्रों की अध्यक्षता की।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने द कम्बस्चन इंस्टीट्यूट- इंडियन सेक्शन के सहयोग से किया। सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिकों के साथ ही द कम्बस्चन इंस्टीट्यूट- इंडियन सेक्शन के सचिव पी. के. पांडे, ग्राफिक एरा के डिपार्मेंट आफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के एचओडी व आयोजन सचिव डॉ. सुधीर जोशी, डॉ. पुष्पेंद्र कुमार, डॉ. पुनीत गुप्ता, डॉ. मानवेंद्र सिंह, डॉ. गोपाल जी, शिक्षक- शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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