हलचल- प्रधानमंत्री कार्यालय व सीबीआई ने मुख्य सचिव को भेजा पत्र
जिलाबदर आरटीआई एक्टिविस्ट ने सैन्य धाम निर्माण में लगाया था घपले का आरोप
अविकल थपलियाल
देहरादून। गुंडा एक्ट के तहत जिला बदर किये गए आरटीआई एक्टिविस्ट व अधिवक्ता के सैन्य धाम निर्माण घपले के मामले का प्रधानमंत्री कार्यालय व सीबीआई ने नोटिस लेते हुए मुख्य सचिव को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
विकेश नेगी ने 15 जुलाई को सैन्य धाम निर्माण से जुड़े दस्तावेज नत्थी करते हुए सीबीआई व पीएमओ कार्यालय को शिकायती पत्र भेजा था।
विकेश नेगी की शिकायत का उल्लेख करते हुए पीएमओ कार्यालय ने 22 जुलाई व सीबीआई की दून शाखा ने 25 जुलाई को प्रदेश शासन की मुखिया राधा रतूड़ी को पत्र भेजा है।
पीएमओ से शासन को भेजे गए पत्र में लिखा है कि
इस कार्यालय में प्राप्त विकेश सिंह नेगी के पत्र/मौखिक अभ्यावेदन का सार यथोचित कार्रवाई हेतु अग्रेषित करने की अपेक्षा की गई है। कृपया याचिकाकर्ता को जवाब भेज दिया जाए और इसकी एक प्रति पोर्टल पर अपलोड करा दी जाए।
दूसरी ओर, सीबीआई की दून ब्रांच प्रभारी ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में शिकायत की जांच अपने स्तर से कराने को कहा है। पत्र में यह भी कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई नहीं कर रही है। प्रदेश शासन शिकायत आवश्यक कार्यवाही करें।
शिकायत में सैन्य धाम के निर्माण की कार्यदायी एजेंसी उत्तराखण्ड पेयजल संस्थान विकास निर्माण निगम की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने जुलाई माह में देहरादून के पुरुकुल में निर्माणाधीन सैन्य धाम की लागत बढोत्तरी, टेंडर प्रक्रिया समेत अन्य मुद्दों को लेकर मीडिया के सामने दस्तावेज समेत घोटाले के बारे में खुलासा किया था।
25 जुलाई को जिला पुलिस- प्रशासन ने विकेश नेगी को जिला बदर कर दिया था। पुलिस की जांच रिपोर्ट में विकेश पर दर्ज विभिन्न मुकदमो का जिक्र किया गया था।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी के जिला बदर की कार्रवाई का विभिन्न दलीय संगठन, बार एसोसिएशन, आरटीआई क्लब समेत ज़ह संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है।
इस बीच, सैन्यधाम के मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय व सीबीआई के पत्र के बाद शासन के निर्णय पर सभी की निगाहें टिक गई है। शासन को इस मुद्दे पर उठाए गए कदम की जानकारी पीएमओ पोर्टल पर भी साझा करनी होगी।
इधर, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि सैन्य धाम का निर्माण अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
यह है सैन्य धाम से जुड़ी शिकायत
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सैन्य धाम के निर्माण में घपले का आरोप। यह प्रोजेक्ट 8 नवम्बर 2023 तक पूरा होना था । और अब इस समय सीमा को बढ़ाकर अक्टूबर कर दिया गया है।सैन्य धाम के निर्माण के लिए अधिकांश धनराशि केंद्र सरकार ने दी है।
– 48 करोड़ का बजट बढ़कर 99 करोड़ हो गया
– उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं विकास निर्माण निगम ने ग्लोबल टेंडर जारी नहीं किया
– पोर्टल पर जारी यह टेंडर 48 करोड़ का था। इसमें दो कंपनियों मैसर्स शिवकुमार अग्रवाल और मैसर्स एमएचपीएल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भाग लिया। इस टेंडर को विभाग ने निरस्त कर दिया और दोबारा से निविदा आमंत्रित की गयी।
– तत्कालीन वित्त निदेशक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह तकनीकी बिड खोली ही क्यों गई? लेकिन इस आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया गया
– निगम ने इतनी बड़ी धनराशि का टेंडर बिना प्रशासनिक अनुमति के जारी किया था। टेंडर के लिए जिन दो कंपनियों ने निविदाएं दीं, उसके स्टाम्प और नोटरी एक ही वेंडर से किये गये। दोबारा अल्पकालीन टेंडर जारी किया गया और इसके लिए दोबारा से उन्हीं दो कंपनियों ने आवेदन दिया। इस बार यह ठेका मैसर्स शिव कुमार अग्रवाल को दे दिया गया। टेंडर की धनराशि अब 49 करोड कर दी गयी। विभाग ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए कंटीजेंसी का लगभग एक करोड़ 9 लाख रुपये भी छोड़ दिये। टेंडर ओवरप्राइस था और इसे ग्लोबल नहीं किया गया।
– इंजीनियरों और संबंधित अफसरों ने बेहद लापरवाही बरती और 48 करोड़ का प्रोजेक्ट महज एक साल में बढ़कर 99 करोड़ हो गया।
– ठेकेदार को निविदा शर्तों के विपरीत समय-समय पर अग्रिम भुगतान किया गया है। अब तक 35 करोड़ 94 लाख का भुगतान किया जा चुका है। यही नहीं ठेकेदार को बिना निविदा के ही लगभग सात करोड़ 75 लाख रुपये के अतिरिक्त कार्य भी आवंटित कर दिये गये।
-निविदा के दौरान ठेकेदार की बिड कैपिसिटी को नापा जाता है। इस आधार पर ठेकदार शिवकुमार अग्रवाल की बिड कैपिसिटी लगभग 56 करोड़ है। लेकिन अब यह कार्य 100 करोड़ का हो चुका है।
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