राष्ट्रीय सैनिक संस्था के गौरव सेनानियों और देशभक्त नागरिकों का अभिनन्दन और संकल्प कार्यक्रम

राष्ट्रीय सैनिक संस्था द्वारा स्वामी चिदानन्द सरस्वती को किया सम्मानित

चरित्र निर्माण के लिये विद्यालयों में प्रारम्भिक सैनिक प्रशिक्षण देने पर हुई चर्चा

अविकल उत्तराखंड

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में राष्ट्रीय सैनिक संस्था के गौरव सेनानियों और देशभक्त नागरिकों का अभिनन्दन और संकल्प कार्यक्रम परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के संरक्षण व नेतृत्व में आयोजित किया गया । दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत के लगभग सभी प्रदेशों के विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर ‘‘चरित्र निर्माण के लिये विद्यालयों में प्रारम्भिक सैनिक प्रशिक्षण’’ देने हेतु चर्चा की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती को राष्ट्रीय सैनिक संस्था द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अतिथियों को रेट माइनर्स सम्मान प्रदान किये गये तथा सभी विशिष्ट अतिथियों का शस्त्र अलंकरण किया गया।

इस अवसर पर भारत के 16 राज्यों के सैनिक परिवारों के प्रतिभागियों ने सहभाग कर सभी का ध्यान आकर्षित किया कि कक्षा आठ से ही प्रारम्भिक सैनिक प्रशिक्षण लागू किया जाना चाहिये ताकि राष्ट्रीय एकीकरण, मेरी धरती का मैं बेटा, राष्ट्रीय चरित्र निर्माण और सहनशीलता, कर्तव्य निष्ठा, अनुशासन, प्रतिबद्धता के गुणों को विकसित किया जा सके। राज्यपाल, उत्तराखंड, ले ज गुरमीत सिंह ने कहा कि यह गंगा जी का पावन तट व चरित्र निर्माण की सोच दोनों ही अद्भुत है। राष्ट्रीय सैनिक संस्था मेरा परिवार है; ये संत, सैनिक व सेवकों का परिवार है और जय हिन्द इसकी पहचान है जो कि राष्ट्र, समाज व जनहित के बारे में ही सोचते हैं। हमें भी सोचना होगा कि पूरे राष्ट्र के चरित्र निर्माण में हम किस प्रकार योगदान दे सकते हैं। हमें योगी बनकर इसमें योगदान देना होगा। जीवन में शब्द व सोर्ड का बड़ा ही महत्व है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण व चरित्र निर्माण का संदेश परमार्थ गंगा तट से पूरे समाज व परमात्मा तक जायेगा। ऐसे समय व ऐसी सोच के साथ भारत को विश्व गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता। सैनिक प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चों में आत्म नियंत्रण, अत्म अनुशासन तो आयेगा ही साथ उनकी ईच्छाशक्ति भी मजबूत होगी।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सैनिकों का जीवन ही अपने वतन के लिये होता है, उनकी शुरूआत भी वतन से और अन्त भी वतन के लिये ही होता है। वे वेतन के लिये नहीं बल्कि वतन के लिये लड़ते हैं। वेतन तो कहीं भी मिल सकता हैं परन्तु वतन तो वतन है। फौजी कभी भी रिटायर नहीं होते, पूर्व फौजी पूर्ण फौजी होता है। फौजी तो राष्ट्र के लिये ही जीते हैं और राष्ट्र हित के लिये ही समर्पित होते हैं। क्या मार सकेगी मौत उसे, देश के हित जो जीता है। मिलता है वतन का प्यार उसे औरों के लिये जो मरता है। हमारे सैनिकों का मरण नहीं स्मरण होता है; न कभी वे रिटायर होते है न ही उनकी राष्ट्र भावना कभी रिटायर होती है। आईये संकल्प ले कि ‘‘देवपूजा अपनी-अपनी पर देशपूजा सभी मिलकर करें।’’

स्वामी ने कहा कि भारत के सभी शहीद वीर जवानों और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि भारत के सैनिक किसी संत से कम नहीं हैं। संत, संस्कृति की रक्षा करते है और सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं। सैनिक है तो हमारी सीमाएं सुरक्षित हैैं; सैनिक हैं तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है उनकी वजह से आज हम जिंदा है और हमारा देश भी जीवंत है। सैनिक अपनी जान को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हैं। स्वामी  महाराज ने कहा कि भारत की महान, विशाल और गौरवशाली विरासत है। हमंे इस देश की विशालता, विरासत में मिली है इसके गौरव को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करें और जिन जवानों की वजह से हमारा तिरंगा लहरा रहा है उनके परिवार के साथ खड़े रहें।

स्वामी ने कहा कि धन्य है वे माता-पिता जिन्होनें भारत को ऐसे बहादुर सपूत दिये जिनके कारण भारत आज गर्व से खड़ा है। हम उन सभी शहीदों के परिवार वालों के साथ है, वे अकेले नहीं है पूरा भारत उनके साथ है। हम सभी एक परिवार के सदस्य है, एक है और हमेशा एक रहेंगे तथा पूरा देश शहीदों, सैनिकों और उनके परिवार के साथ खड़ा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी ने कहा शिक्षा व चरित्र निर्माण गुरूकुलों व सेना में ही सम्भव हो सकता है। भारत के हर कोने-कोने में संत व सैनिक सभी स्थानों पर होते हैं। भारत के प्रत्येक बच्चे को शस्त्र व शास्त्र दोनों की शिक्षा की जरूरत है।

लोकेश मुनि ने कहा कि आज परमार्थ निकेतन गंगा तट पर राष्ट्रीय सैनिक संस्था ने दो प्रमुख विषयों को राष्ट्र के सामने उठाया है। भगवान महावीर ने 10 धर्मों की शिक्षा प्रदान की उसमें राष्ट्र धर्म प्रथम है। बच्चों को भारत की सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ चरित्र निर्माण की शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है। वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बचपन में जो शिक्षा प्रदान की जाती है उसके परिणाम विलक्षण होते है। उन्होंने राजनीति में भी चरित्र निर्माण की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि जनता जागरूक हो जाये तो राजनीति में चरित्र निर्माण सम्भव है। दुनिया में कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जो इन्सान की हिम्मत से बड़ा हो इसलिये जीवन में सपने देखना शुरू करें।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि सैनिक अपने प्राणों का बलिदान कर हमारी, हमारे राष्ट्र व संस्कृति की रक्षा करते हैं। सेना के बिना हम सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना राष्ट्र की सुरक्षा के साथ अपनी शक्ति को पर्यावरण सुरक्षा हेतु भी लगाये क्योंकि पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा तो हम भी सुरक्षित नहीं रह सकते। साध्वी ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार भी अत्यंत आवश्यक है।

कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने कक्षा आठ से ही प्रारम्भिक सैनिक प्रशिक्षण किस प्रकार बच्चों में लागू किया जा सकता है इस विषय को बड़ी ही सहजता से समझाया।

इस अवसर पर बिहार मुख्य संयोजक अरूण सिंह , उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष महिला विंग सीमा त्यागी , उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष युवा विंग  योगेश शर्मा, हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष युवा विंग नवीन जय हिन्द , उत्तरप्रदेश प्रवक्ता ज्ञानेन्द्र त्यागी , मुम्बई प्रदेश अध्यक्ष रामसिंह सांघा , बृजेश त्यागी, मनोज मिश्रा , बीपी शर्मा , कैप्टन शशिकांत मिश्रा और भारत के अन्य प्रदेशों के अतिथियों व सदस्यों ने सहभाग किया।

आज के कार्यक्रम में हीरा लाल डॅगवाल ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनन्दन कर धन्यवाद ज्ञापित किया। तत्पश्चात सभी अतिथियों व प्रतिभागियों ने विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया।

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