गैरसैंण ने लिख दी एक निर्णायक आंदोलन की इबारत

स्वाभिमान रैली में महिला और युवाओं के जोश ने दिखाए अपने इरादे

देखें वीडियो, …जिन्हें लगती गैरसैंण में ठंड वो छोड़ दें उत्तराखंड

अविकल थपलियाल/नीरज

गैरसैंण/देहरादून। रविवार को जिस समय हरिद्वार में डकैत दिन दहाड़े सोना लूट कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे थे। ठीक उसी दिन की दोपहर सीमान्त गैरसैंण में महिलाओं,युवाओं और बुजुर्गों का सैलाब उमड़ रहा था। कई संगठनों और स्थानीय लोगों की इस स्वाभिमान रैली नरेंद्र सिंह नेगी के गीत व अन्य जनगीतों ने राजनीतिक दलों को चौकन्ना अवश्य कर दिया।

गैरसैंण की नीरवता को भंग करते हुए गगनभेदी नारे गूंज रहे थे। ये किसी दल के बड़े नेता नहीं थे। बल्कि पर्वतीय मूल के हजारों आम हाथ थे,जो जोशीले नारों के साथ स्थाई राजधानी, सशक्त भू कानून व मूल निवास 1950 की मांग को लेकर गैरसैंण में जुटे।

गैरसैंण का यह सैलाब प्रदेश की राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में एक नये बदलाव की ओर साफ संकेत करते दिखा। पूरे आंदोलन की बागडोर युवाओं के हाथ में है।

मौजूदा आंदोलनकारियों के नारों में जनप्रतिनिधियों को खुली चुनौती दी गयी। कुछ ही दिनों में गैरसैंण विधानसभा सत्र को निपटा देने वाले हुक्मरानों को जनता ने साफ सन्देश भी दे दिया।

नारों की बानगी देखिये-

और कहीं मंजूर नहीं, गैरसैंण अब दूर नहीं, जिन्हें लगती गैरसैंण में ठंड वो छोड़ दें उत्तराखंड

ना दिल्ली ना देहरादून, हमें चाहिए भू कानून

नहीं किसी से भीख मांगते ,मूल निवास का अधिकार मांगते

भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले विभिन्न संगठनों और महिला मंगल दलों व व्यापार संघ के लोगों ने महारैली के माध्यम से भाजपा और कॉंग्रेस पर सवाल खड़े किए । कहा कि राज्य स्थापना के 24 वर्षो बाद भी राज्य आंदोलन कारियों की मांगे पूरी नही हो पाई है ।

वक्ताओं ने कहा कि राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में कई राज्य आंदोलन कारियों ने अपनी कुर्बानी दी थी । इसके पीछे सोच यह थी कि अलग राज्य होगा तो इस पहाड़ी राज्य का समुचित विकास होगा और यहाँ का पानी और यहां की जवानी यही के काम आएगी लेकिन राज्य गठन के 24 साल बीत जाने को है लेकिन आज भी राज्य आन्दोलन कारियों के सपने साकार नही हो पाए है ।

राज्य में बाहरी राज्यों के भू माफिया कब्जा कर रहे हैं । यह राज्य के लिए गम्भीर खतरा है। लेकिन अब धीरे धीरे राज्य में भू कानून व मूल निवास की मांग तेज होने लग गयी है ।

इसके बाद हजारों की संख्या में एकत्र हुए लोगो ने गैरसैंण में भू कानून व मूल निवास को लेकर एक महारैली का आयोजन किया । क्षेत्र के करीब 40 महिला मंगल दल और विभिन्न संगठन सहित व्यापरियों व क्षेत्रीय जनता ने भी हिस्सा लिया ।

मुख्य तौर पर लुशुन टोडरिया,मोहित डिमरी,बॉबी पंवार, प्रांजल नौडियाल,मोहन भण्डारी,जसवंत बिष्ट, नारायण बिष्ट, सुरेंद्र बिष्ट समेत नारी शक्ति रैली की बागडोर संभाले हुई थी।

गैरसैंण की स्वाभिमान रैली में अपने ही सीमित संसाधनों के बल पर पहुंची जनता ने प्रदेश गठन के 24 साल बाद एक और नये आंदोलन की इबारत भी लिख दी।

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