हल्द्वानी हिंसा- गलत डेट व समय की चूक ने खड़ा किया चुनौतियों का पहाड़

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अंडर ट्रांसफर एक अधिकारी के अतिक्रमण हटाओ अभियान में मुख्य भागीदारी पर उठे सवाल

कांग्रेस व विभिन्न जन संगठनों की न्यायिक जांच की मांग.डीएम- एसएसपी का मांगा ट्रांसफर

पूरी विधिक कार्रवाई के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की- डीएम

अविकल उत्तराखण्ड

हल्द्वानी/देहरादून। हल्द्वानी गोलीकांड के बाद विपक्ष ने कुछ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत विभिन्न जन संगठनों ने गोलीकांड की न्यायिक जांच की मांग करते हुए डीएम व एसएसपी के तबादले पर भी जोर दिया है। इधर, गोलीकांड के बाद बेहद संवेदनशील इलाके वनभूलपुरा इलाके में अवैध मदरसा व नमाज स्थल तोड़ने का समय और तारीख को मौजूदा स्थिति के हिसाब से ठीक नहीं माना जा रहा है। सूत्रों का कहना गया कि गलत तारीख और गलत समय पर अवैध अतिक्रमण हटाने पर बवाल हो गया। दंगाई एक इलाके में पूरी तरह काबिज हो गए। गोली चली और उग्र भीड़ का हिस्सा बने छह लोग मारे गए।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान को हल्द्वानी नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी लीड कर रहे थे। नगर आयुक्त पंकज कुमार उपाध्याय का लगभग दस दिन पहले 30 जनवरी को ट्रांसफर हो गया था। उन्हें केएमवीएन की जिम्मेदारी दी गयी थी। लेकिन इस अधिकारी को दस दिन बाद भी रिलीव नहीं किया गया । और संवेदनशील इलाके में अतिक्रमण हटाने के अभियान को लीड करने की कमान दे दी गयी। जबकि अंडर ट्रांसफर अधिकारी को इतने बड़े व खतरे से जुड़े अभियान से अलग रखा जाना चाहिए था। फिर भी आधे अधूरे इंतजामों के बीच अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू कर दिया गया। जिसके बुरे नतीजे आज सभी के सामने हैं।

हल्द्वानी से लेकर दिल्ली-दून तक समूची हिंसा व गोलीकांड को लेकर सरकारी व राजनीतिक स्तर डैमेज कंट्रोल की कवायद जारी है। मुख्य विपक्षी दल व कई जनसंगठन ने बयान जारी कर हल्द्वानी कांड को प्रशासनिक विफलता करार दिया है। और डीएम व एसएसपी के तबादले की मांग की है। इधर, हल्द्वानी कांड के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस व जनसंगठनों का कहना है कि हाईकोर्ट ने अवैध अतिक्रमण से जुड़े मामले की डेट 14 फरवरी तय कर दी। और यह डेट 8 फरवरी की सुनवाई के दिन ही तय की गई। और इसी दिन दोपहर के बाद सरकारी मशीनरी बिना किसी मुकम्मल इंतजाम और सम्भावित खतरे को नजरअंदाज कर जेसीबी लेकर वनभूलपुरा जैसे अति संवेदनशील इलाके में अतिक्रमण हटाने पहुंच गए।

जानकारों का कहना है कि सुबह के समय अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए जबकि हल्द्वानी ऑपरेशन का समय शाम का था। इस तरह के बड़े ऑपरेशन हमेशा सुबह-सुबह शुरू होते हैं। सुबह के समय उग्र भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस बल को पर्याप्त समय मिल जाता और शायद गोली चलाने की नौबत नहीं आती। जबकि हल्द्वानी में सांझ ढल रही थी और जेसीबी ने मलिक बगीचे के अवैध मदरसे व नमाज स्थल तोड़ना शुरू किया। मौके पर हुए घनघोर पथराव से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि बलवाई पूरी तैयारी में थे। इतने पत्थर एक ही समय में एकत्रित नहीं किये जा सकते।

इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस, लोकवाहिनी, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी व अन्य जनसंगठनों ने कहा कि कोर्ट में मामला होने पर अधिकारियों ने जल्दबाजी में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। जनसंगठनों ने घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर की मांग की है। दूसरी ओर, डीएम वंदना सिंह का कहना है कि पूरी विधिक कार्रवाई के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। हम ज्यादा समय नहीं देना चाहते थे। बहरहाल, यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद जश्न में डूबी भाजपा के सामने हल्द्वानी गोलीकांड ने कई चुनौतियां खड़ी कर दी है। इस पूरे मामले में खुफिया तंत्र की विफलता भी खुल कर सामने आ रही है।

खुफिया तंत्र भी यूसीसी एपिसोड और अवैध अतिक्रमण ढहाए जाने पर होने वाली त्वरित प्रतिक्रिया का बिल्कुल भी आंकलन नहीं लगा पाया। वनभूलपुरा के अंदर भड़क रहे शोलों को अगर खुफिया विभाग भांप लेता और सरकार तक इस मसले पर होने वाली विस्फोटक प्रतिक्रिया की रिपोर्ट पहुंचा देता तो शीर्ष स्तर पर अवैध अतिक्रमण हटाने की डेट व टाइम को कुछ समय के लिए टाला जा सकता था। वह घड़ी टलती तो हल्द्वानी हिंसात्मक घटना के काले दाग से बच जाती।

बहरहाल, अब लापरवाही और दंगाइयों के उग्र तेवरों के बाद हुई अनियंत्रित स्थिति को संभालना और सौहार्द कायम रखते हुए पीड़ित परिवार के जख्म सहलाना धामी सरकार के लिए मुख्य प्राथमिकता मानी जा रही है।

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