विधायक उमेश मामले में हाईकोर्ट सख्त, तो विधानसभाध्यक्ष क्यों नहीं – मोर्चा

विधानसभाध्यक्ष पर किसका दबाव और किसका डर-मोर्चा

यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग व जालसाजी के दर्ज के व्यक्ति को संरक्षण देना दुर्भाग्यपूर्ण -मोर्चा

हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले मिसाल कायम की

अविकल उत्तराखंड

विकासनगर। खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के दल बदल कानून के उल्लंघन के मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है। ढाई साल से स्पीकर ऋतु खंडूड़ी के निर्णय नहीं लेने पर राजनीति तेज हो गयी गया।
सवाल उठ रहे हैं कि विधानसभा भर्ती घोटाले में तय समय सीमा से पहले 250 तदर्थ कर्मियों को नौकरी से निकालने का फैसला लेने वाली स्पीकर विधायक उमेश कुमार की सदस्यता से जुड़ी याचिका पर मौन क्यों है।

इस लंबित प्रकरण पर जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि खानपुर विधायक उमेश कुमार के मामले में जिस प्रकार से उच्च न्यायालय के मा.न्यायाधीश राकेश थपलियाल ने स्वत: संज्ञान लेकर मिसाल कायम की है,वह निश्चित तौर पर प्रदेश की जनता के लिए किसी सौगात से कम नहीं है ।
वहीं दूसरी ओर, विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा विधायक उमेश कुमार का दल- बदल मामले में बचाव करना अपराधिक षड्यंत्र से कम नहीं है ।

ऐसा विधायक, जिसके खिलाफ लगभग तीस मुकदमे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड व पश्चिम बंगाल में दर्ज है।
उन्होंने कहा कि यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, षड्यंत्र, बलपूर्वक भूमि हड़पने व जालसाजी आदि धाराओं के तहत दर्ज हुए हों, ऐसे व्यक्ति को संरक्षण देकर विधानसभाध्यक्ष प्रदेश की जनता को धोखा दे रही हैं ।

नेगी ने कहा कि 26 मई 2022 को रुड़की निवासी रविन्द्र पनियाला ने विधानसभाध्यक्ष के समक्ष विधायक उमेश कुमार द्वारा दल- बदल किए जाने के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।

याचिका में उल्लेख किया गया था कि उक्त विधायक द्वारा निर्दलीय रूप से विधायक चुने जाने के उपरांत पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने और अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाकर दल -बदल कानून का उल्लंघन किया है। और निर्दलीय विधायक दल- बदल कानून की परिधि में आ गए हैं । इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए ।

जन संघर्ष मोर्चा द्वारा भी विधानसभाध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की गई थी। लेकिन ढाई साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन इतने लंबे अंतराल के उपरांत भी विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूरी द्वारा कोई कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी मिली भगत /किसी भय की आशंका की तरफ इशारा करती है ।

यहां तक कि विधानसभाध्यक्ष ने सचिवालय विधानसभा के अधिकारियों/ कर्मचारियों को भी इस मामले में कोई कार्रवाई न करने के निर्देश मौखिक रूप से दिए गए हैं । आखिर विधानसभाध्यक्ष को किस बात का डर सता रहा है ! वे निर्णय लेने से क्यों डर रही हैं ! क्यों संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम किया जा रहा है ! इस मिलीभगत का राज क्या है ! अगर ऊपर से कोई दबाव है तो क्यों इस्तीफा नहीं दे देतीं !

नेगी ने कहा कि सदस्यता रद्द करने/ निर्णय लेने के मामले में कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है । विधानसभाध्यक्ष को चाहिए कि इस मामले में निर्णय लें ।

निर्णय चाहे कुछ भी हो, लेकिन हर हालत में निर्णय लिया जाना चाहिए ।
नेगी ने कहा कि पूर्व में दल -बदल के चलते विधायक राम सिंह केड़ा, प्रीतम पंवार, राजेंद्र भंडारी व राजकुमार आदि विधायकों को भी इस्तीफा देना पड़ा था ।

इसी क्रम में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय वर्ष 2016 में 9 विधायकों द्वारा दल- बदल करने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी ।

मोर्चा खंडूरी से मांग करता है कि उच्च न्यायालय का अनुसरण कर स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित करने की दिशा में काम करें, जिससे प्रदेश की जनता को ऐसे विधायक से छुटकारा मिल सके । पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *