अविकल उत्तराखंड
देहरादून। विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं से तकनीक की मदद से रक्षा प्रणालियों में नई खोज करने का आवाहन किया।
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में साइबर नेशन एंड कंप्यूटेशन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया। यह सम्मेलन 2 दिन चलेगा। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के उपकरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. अजय कुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा की नई तकनीकें युद्ध के मैदान में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
यह तकनीकें न केवल खराब मौसम बल्कि पांच किलोमीटर तक दूर खड़े लक्ष्य को खोजने में भी कारगर है। उन्होंने कहा कि जमीन पर होने वाले हमलों के मुकाबले आसमानी हमलों की चुनौतियां अलग होती हैं। इनसे निपटने के लिए इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम का उपयोग किया जाता है। यह सिस्टम ऑप्टिकल स्पेक्ट्रम में रेडिएशन का पता लगाता है, उसे उत्पन्न करने के साथ ही उसे माप भी सकता है। मिसाइल प्रणाली में इसका उपयोग लक्ष्य का पता लगाने और रडार को निर्देशन देने के लिए किया जाता है।
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजय जसोला ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है। जेनरेशन- एआई का उपयोग विभिन्न तरह के कंटेंट बनाने में किया जा रहा है। भविष्य में छात्र-छात्राओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मुकाबला करना पड़ सकता है। इसके लिए छात्र-छात्राओं को नए कौशल सीखने के साथ-साथ खुद में सकारात्मक और रचनात्मक बदलाव लाने होंगे।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर खरे ने इंफ्रारेड इमेजिंग में नवीनतम बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इंफ्रारेड सेंसर अंधेरे में गर्मी का पता लगाकर उसे चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करता है। इस पर धूल, धुएं व हल्की बारिश का कोई असर नहीं पड़ता और इसका उपयोग अंधेरे में भी दूर तक देखने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इंफ्रारेड सेंसर रक्षा प्रौद्योगिकी में निगरानी करने, मिसाइल मार्गदर्शन, खोज व बचाव के लिए किया जाता है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट टेलिनेटिक्स, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. गुप्तेश्वर माझी ने कहा कि ऑप्टिकल संचार का उपयोग डाटा सेंटर, क्लाउड सर्विसेज, ई-कॉमर्स, वित्तीय सेवा और 5G व 6G नेटवर्क में होता है। इसकी उच्च गति, सुरक्षा, छोटे वह हल्के उपकरण, कम लागत, अधिक बैंडविथ और विश्वसनीयता इसको अन्य संचारों की तुलना में और भी ज्यादा लाभदायक बनाता है। उन्होंने कहा कि ऑप्टिकल संचार का उपयोग डाटा सेंटर, अंतरिक्ष इमेजिंग, टेलीफोन, कंप्यूटर नेटवर्क, आदि में किया जाता है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के डॉ. करण सिंह ने छात्र-छात्राओं के साथ साइबर अपराधों से बचने के लिए टिप्स साझा किए।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आज स्मारिका का विमोचन किया गया और 100 शोध पत्र पढ़े गए।अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग ने किया। सम्मेलन में डीन (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) डॉ. व्रिंस विमल, एचओडी डॉ. दिव्याहश बोरदोलोई, संयोजक डॉ. विक्रांत शर्मा व डा. सात्विक वत्स, शिक्षक- शिक्षिकाएं और छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
अच्छे अंक पाने वालों के लिए ग्राफिक एरा में साइंस कैंप
हाईस्कूल में अच्छे अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए ग्राफिक एरा में साइंस कैंप का आयोजन किया जा रहा है। कैंप 18 नवंबर से शुरू होगा। पांच दिवसीय डीटीएस इंस्पायर इंटर्नशिप साइंस कैंप ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित किया जाएगा। कैंप में उत्तराखंड बोर्ड से हाई स्कूल में 89.40 प्रतिशत, सीबीएसई बोर्ड में 96 प्रतिशत व आईसीएसई बोर्ड में 97.83 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं भाग ले सकेंगे। इस निशुल्क कैंप में देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग देंगे।
विशेषज्ञों में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. नरपिंदर सिंह, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के प्रो. वेणुगोपाल अचंता, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर की निदेशक डॉ. श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, केंद्रीय विश्वविद्यालय सिक्किम के पूर्व कुलपति प्रो. अविनाश खरे,राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन केंद्र, आईआईएससी बेंगलुरु के डॉ.गुफरान बेग, आईआईटी, रुड़की के प्रो. डी.सी श्रीवास्तव, पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमेरिटस प्रो. के. के. भसीन, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के प्रो. दिनेश खुराना, आईआईटी रुड़की की मधु जैन शामिल हैं।
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