एआई और कार्य का भविष्य पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

नौकरियों और समाज पर एआई के असर को समझने पर ज़ोर

अविकल उत्तराखंड

डोईवाला। एसआरएचयू स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जौलीग्रांट ने एआई और कार्य का भविष्य विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह से हमारी नौकरियों के स्वरूप को बदल रहा है, भविष्य में कौन से नए कौशल (स्किल्स) ज़रूरी होंगे, और यह हमारे सामाजिक ढाँचे को किस तरह प्रभावित करेगा पर चर्चा की।

स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के बीसी रॉय सभागार में गोष्ठी का आयोजन किया गया। स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डीन डॉ. प्रमोद कुमार ने औपचारिक रूप से वक्ताओं का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने तेजी से विकसित हो रहे एआई-एकीकृत कार्यबल के लिए छात्रों को तैयार करने के महत्व पर जोर दिया। इस दौरान आायोजित सत्र में एशिया स्कूल ऑफ बिजनेस मलेशिया के डॉ. डेविड असिरवथम ने जेनएआई ग्लोबल डिसरप्शन विषय पर बात की और बताया कि कैसे जेनरेटिव एआई मानव बुद्धि से परे की दुनिया बना रहा है। उन्होंने एआई के संभावित प्रभावों के साथ-साथ इसके सही और नैतिक उपयोग पर जोर दिया।

यूनिवर्सिटी ऑफ ए कोरूना स्पेन के डॉ. फेलिक्स पुइमे गिलन ने एआई और मानविकी (ह्यूमैनिटी) के बीच संबंधों पर विचार साझा किए। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से कहा कि वे केवल तकनीक पर ध्यान न दें, बल्कि बुद्धिमान तकनीकों का उपयोग करते समय मानवता, भावनाओं और दर्शन (फिलॉसफी) को भी साथ लेकर चलें। इसके अलावा वक्ताओं ने एआई संचालित कार्यस्थल परिवर्तन, उभरती स्मार्ट नौकरी की भूमिकाएं, भविष्य की कौशल मांगें, एआई को अपनाने के व्यापक नैतिक और आर्थिक निहितार्थ विषय पर विस्तृत चर्चा की।

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