अविकल उत्तराखंड
देहरादून। स्पर्श हिमालय फाउंडेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस पर लेखक गाँव थानो, देहरादून में कार्यक्रम स्थल – नालंदा पुस्तकालय एवं अनुसंधान केन्द्र में पूर्व दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ.नंद किशोर हटवाल जी द्वारा” नयी शिक्षा नीति में लोक भाषाओं का महत्व एवं उन्नयन पर अपना व्याख्यान दिया गया।
इस अवसर पर करीब 70 से अधिक उत्तराखंड की लोक भाषाओं पर लेखन करने वाले कुमाउनी, गढ़वाली के साहित्यकारों को मंच से शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। मंचस्थ अतिथियों द्वारा भी लोक भाषा के महत्व व उन्नयन पर अपनी बात रखी। मंचस्थ अतिथियों में वक्ता के रुप में गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी ने कहा कि हम अपनी मातृभाषा को बस में बस के अन्दर जाते ही भूल जाते हैं, वही से हिंदी पर बोलना शुरु कर देते हैं।
मंचस्थ अतिथियों में मुख्य अतिथि इन्दु कुमार पांडेय(पूर्व आई.ए.एस.), विशिष्ट अतिथि प्रताप शाह,अति विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा, अध्यक्ष डा. वी.के.एस.संजय , विदुषी निशंक उनियाल जी की गरिमामयी उपस्थिति में कुमाउनी साहित्यकार कृपाल सिंह शीला को अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस के अवसर पर शॉल ओढ़ाकर मंच से सम्मानित किया गया। कृपाल सिंह शीला को सम्मानित किये जाने पर डॉ. हरीश अण्ड़ोला दून यूनिवर्सिटी देहरादून व साथी शिक्षकों, गुरुजनों व स्नेहीजनों द्वारा प्रसन्नता व्यक्त करने के साथ बधाई, शुभकामनाएं प्रेषित की है।
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