उम्मीद पोर्टल की अस्थिरता पर जमीअत ने उठाई आवाज़

प्रदेश महासचिव ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को लिखा पत्र

विगत पांच दिनों से नहीं चल रहा उम्मीद पोर्टल, समय सीमा बढ़ाने की मांग

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। जमीअत उलेमा-ए-हिन्द (उत्तराखंड) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत निर्धारित पंजीकरण प्रक्रिया में आ रही गंभीर तकनीकी दिक्कतों को उठाते हुए केंद्र सरकार से समय-सीमा बढ़ाने की मांग की है।

संगठन के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली क़ासमी की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को पत्र लिखा गया है।

जमीअत के मीडिया प्रभारी मोहम्मद शाह नज़र ने जानकारी देते हुए बताया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 और यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट रूल्स, 2025 के तहत सभी पुराने वक्फों को छह माह के भीतर अपनी संपूर्ण विवरणी उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है, लेकिन पोर्टल की गंभीर तकनीकी कमियों ने इस प्रक्रिया को लगभग असंभव बना दिया है।

उन्होंने ने बताया कि उम्मीद पोर्टल 6 जून 2025 को लॉन्च किया गया, लेकिन इसके तुरंत बाद लगातार संरचनात्मक बदलाव, अधूरे मॉड्यूल, बार-बार फ्रीज़ होना, सर्वर ओवरलोड, सबमिशन असफल होना, मेकर/चेकर मॉड्यूल का काम न करना और अचानक सत्र समाप्त होने जैसी समस्याएँ पोर्टल को लगभग अनुपयोगी बनाती रहीं।
उत्तराखण्ड में अभी तक मात्र 15 प्रतिशत डाटा उम्मीद पोर्टल पर अपलोड़ हो सका है।

संगठन की ओर से कहा गया कि कई मॉड्यूल आज भी पूर्ण रूप से कार्यशील नहीं हैं, जिसके कारण छह माह की निर्धारित अवधि का बड़ा हिस्सा तकनीकी खराबियों की भेंट चढ़ गया, जबकि फील्ड टीमें लगातार काम में लगी रहीं।
जमीअत उलेमा-ए-हिन्द उत्तराखंड ने साफ कहा किकृ “जब पोर्टल ही स्थिर और पूर्ण रूप से संचालित नहीं है, तो 5 दिसंबर 2025 तक अनुपालन संभव ही नहीं है।

अधिनियम की भावना के अनुसार, छह महीने की अवधि तभी शुरू मानी जानी चाहिए जब पोर्टल पूरी तरह से कार्यात्मक हो।” इस संबंध में मौलाना शराफत अली क़ासमी, जनरल सेक्रेटरी, जमीअत उलेमा-ए-हिन्द (उत्तराखंड), ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भेजे पत्र में दो प्रमुख मांगें रखी हैंकृवर्तमान छह माह की समय-सीमा को पोर्टल की अस्थिरता को देखते हुए तुरंत बढ़ाया जाए।

उम्मीद पोर्टल को शीघ्रातिशीघ्र स्थिर और पूर्णतया क्रियाशील बनाया जाए, ताकि वक्फ पंजीकरण की प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी हो सके।

जमीअत ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस गंभीर तकनीकी समस्या को समझते हुए न्यायसंगत निर्णय लेगी, जिससे अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति प्रभावी तरीके से हो सके।

देखें ज्ञापन

सेवा में,
सचिव महोदय/महोदया
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
भारत सरकार, नई दिल्ली
विषयः पोर्टल की अस्थिरता एवं अपूर्ण परिचालन स्थिति के कारण समय-सीमा बढ़ाने हेतु अनुरोध कृ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के अंतर्गत।

महोदय/महोदया,
सविनय निवेदन है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 तथा यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट रूल्स, 2025 के कार्यान्वयन से संबंधित निम्नलिखित बिंदुओं पर आपके सम्यक विचार हेतु अनुरोध किया जाता है।
अधिनियम के अनुसार, प्रारम्भ से पूर्व पंजीकृत सभी वक्फ को अपनी संपूर्ण विवरणी निर्धारित पोर्टल पर छह माह की अवधि में अपलोड करना अनिवार्य है।
यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट रूल्स, 2025 को 3 जुलाई 2025 को अधिसूचित किया गया, जिससे डिजिटल गवर्नेंस ढांचे की औपचारिक स्थापना हुई।
न्डम्म्क् पोर्टल को 6 जून 2025 को इस संपूर्ण प्रक्रिया के केंद्रीय डिजिटल सिस्टम के रूप में प्रारंभ किया गया।
किंतु, लॉन्च के तुरंत बाद पोर्टल में कई संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिवर्तन किए गए, जिससे कार्यप्रवाह निरंतर बाधित होता रहा।
कई मॉड्यूल आज तक अपूर्ण, अस्थिर या लगातार परिवर्तित होते रहे, जिससे सिस्टम का नियमित तथा सुचारु उपयोग संभव नहीं हो पाया।
पोर्टल पर बार-बार दिखाई देने वाली मुख्य तकनीकी समस्याएँ निम्नलिखित हैंरू
डैशबोर्ड एवं मॉड्यूल्स का अत्यधिक धीमा लोड होना
फ़ॉर्म व पृष्ठों का प्रायः न खुलना अपलोड प्रक्रिया के दौरान बार-बार फ्रीज़ होना
मेकर/チェकर प्रविष्टियाँ सबमिट करते समय त्रुटि संदेश अचानक सत्र समाप्त होना और लॉगआउट
सर्वर ओवरलोड के कारण सबमिशन असफल होना
प्रसंस्करण में देरी के चलते अनुमोदन बाधित होना
कार्यदिवसों में लगातार तकनीकी अपडेट्स के कारण डाउनटाइम सिस्टम लैग होने से-इनसा कंजं- प्रोसेसिंग लगभग असंभव कई वर्कफ़्लो कॉम्पोनेंट अभी तक पूर्ण रूप से क्रियाशील नहीं हैं।
इन समस्याओं के कारण छह माह की अवधि का एक बड़ा हिस्सा व्यर्थ चला गया, जबकि फील्ड टीमें लगातार सक्रिय रहीं।
पोर्टल, जो अनुपालन की आधारशिला है, इस अवधि के अधिकांश समय स्थिर या पूर्णतरू परिचालित नहीं रहा, जिससे अनिवार्य छह माह की समय-सीमा का उद्देश्य ही अप्रभावी हो गया।
वर्तमान परिस्थितियों में 5 दिसंबर 2025 तक पूर्ण अनुपालन करना वस्तुतः असंभव है, और यह विलंब केवल पोर्टल की तकनीकी कमियों के कारण है। अधिनियम और नियमों की भावना के अनुसार, छह माह की वैध अनुपालन अवधि उसी समय से प्रारंभ मानी जानी चाहिए जब पोर्टल पूर्ण, स्थिर और पूरी तरह कार्यात्मक होकृजो कि अभी तक नहीं हुआ है।
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपयाकृ
वर्तमान समय-सीमा को पोर्टल की अपूर्ण एवं अस्थिर स्थिति को ध्यान में रखते हुए बढ़ाने की कृपा करें; तथा
न्डम्म्क् पोर्टल को शीघ्रातिशीघ्र स्थिर एवं पूर्णतरू कार्यात्मक बनाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि अनुपालन प्रक्रिया सुचारु एवं सार्थक रूप से पूर्ण की जा सके।
आपकी यह कृपा अधिनियम एवं नियमों के उद्देश्यों की सफल प्राप्ति में अत्यंत सहायक होगी।
भवदीय,
मौलाना शराफत अली क़ासमी
जनरल सेक्रेटरी
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (उत्तराखंड राज्य)

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