पैतृक गांव पहुंचे न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल

बहुद्देश्यीय शिविर में किया प्रतिभाग

अविकल उत्तराखंड

पौड़ी। उत्तराखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल रविवार को अपने पैतृक गांव श्रीकोट पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने पारंपरिक अंदाज में ढोल-नगाड़ों व पुष्पमालाओं से उनका भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कुल देवता के मंदिर में पूजा-अर्चना की और मंदिर परिसर में फलदार व छायादार पौधों का रोपण भी किया।


न्यायमूर्ति थपलियाल ने गांव में आयोजित बहुद्देश्यीय शिविर में प्रतिभाग करते हुए विभागीय स्टॉलों का निरीक्षण किया और ग्रामीणों से योजनाओं का सामूहिक रूप से लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाएं गांवों के उत्थान का माध्यम बन सकती हैं, यदि लोग समय पर जानकारी लेकर उनका लाभ लें। न्यायमूर्ति थपलियाल ने गांव के सभी सेवारत व सेवानिवृत्त लोगों से रिवर्स माइग्रेशन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि बंजर पड़ी भूमि पर फलदार पौधों का रोपण कर उद्यानिकी को आजीविका का स्रोत बनाया जा सकता है। उन्होंने राजस्व विभाग को निर्देश दिए कि वे गांव से पलायन कर चुके लोगों की भूमि का सर्वे करें ताकि उन्हें अपनी जमीन के बारे में जानकारी मिल सके।


उन्होंने पंचायत भवन में एक सूचना बोर्ड या होर्डिंग लगाने के निर्देश भी दिए, जिसमें सभी विभागीय योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी, आवेदन से संबंधित वेबसाइट और अधिकारियों के संपर्क नंबर शामिल किए जाएं। साथ ही गांव में स्ट्रीट लाइट, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और पुलिस चौकी खोलने के लिए भी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही करने को कहा। शिविर में कृषि, पशुपालन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, समाज कल्याण, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामोत्थान परियोजना एवं एसबीआई द्वारा वित्तीय साक्षरता संबंधी स्टॉल लगाकर ग्रामीणों को योजनाओं की जानकारी दी गई।


इस मौके पर जिला न्यायाधीश अजय चौधरी, सीजेएम लक्ष्मण सिंह रावत, मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत, परियोजना निदेशक विवेक कुमार उपाध्याय, सीओ त्रिवेंद्र सिंह राणा, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, जिला पर्यटन अधिकारी खुशाल सिंह नेगी, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ वीके यादव, जिला आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी शैलेंद्र पांडेय, बीडीओ पाबौ धूम सिंह कोहली, तहसीलदार दीवान सिंह राणा, ग्राम प्रधान राजेंद्र थपलियाल सहित कई अधिकारी व ग्रामीण उपस्थित रहे।

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