नदीम उद्दीन ,एडवोकेट की बी.एन.एस. का परिचय पुस्तक बाजार में
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। भारतीय न्याय संहिता (बी.एन.एस.) की जानकारी केवल वकील, मजिस्ट्रेट, जजों व पुलिस कर्मियों के लिये ही आवश्यक नहीं हैं बल्कि अपराध नियंत्रण तथा न्याय पाने व दिलाने के लिये इसकी जानकारी हर आम आदमी को होना जरूरी हैं। उक्त जानकारी कानूनी जागरूकता पुस्तकों के लेखक व अनुभवी अधिवक्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने अपनी 45 वीं पुस्तक ’’ बी.एन.एस. का परिचय’’ आम जनता के लिये जारी करते हुये दी।
नदीम द्वारा लिखित तथा युगनिर्माता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस कानूनी जागरूकता पुस्तक “बी.एन.एस. का परिचय“ में 12 अध्याय तथा एक विशेष परिशिष्ट है। इस पुस्तक में जहां बी.एन.एस. का परिचय तथा पूर्व लागू भारतीय दण्ड संहिता (आई.पी.सी.) की सभी धाराओं की भारतीय न्याय संहिता (बी.एस.एन.) की धाराओं के समान व संशोधित धाराओं की सूची शामिल की गयी है, वहीं बी.एस.एन. के रोजमर्रा प्रयोग वाले प्रावधानों का सरल हिन्दी भाषा में विवरण दिया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कार्य साधारण परिस्थितियों में तो अपराध होते हैं जबकि विशेष परिस्थितियों तथा अपने बचाव में करने पर अपराध नहीं होते उसका विवरण भी “जब अपराध नहीं होता“ अध्याय में दिया गया है।
पुस्तक में अपराधों की जानकारी सम्बन्धी जिन अध्यायों को शामिल किया गया है। उसमें अवैध मानाव वध (कत्ल), चोट, बन्दी व हमला, अपहरण, महिला तथा बाल अपराध, धमकी व अपमान, सम्पत्ति छीनने सम्बन्धी अपराध, सम्पत्ति अधिकारों सम्बन्धी अपराध तथा संगठित व आतंकवादी अपराध अध्याय शामिल है।
पुस्तक में अपराध सम्बन्धी प्रत्येक अध्याय में अपराध की प्रकृति, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुसार संज्ञेय (गंभीर) तथा बिना वारन्ट गिरफ्तारी योग्य होने या न होने का भी विवरण दिया गया है। इसके अतिरिक्त अपराधों के जमानतीय होने जिसमें थाने से ही जमानत अभियुक्त का अधिकार है या अजमानतीय होने जिसमें जमानत न्यायालय के विवेक पर निर्भर है तथा अपराध जिस न्यायालय (कोई मजिस्ट्रेट, प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय) द्वारा विचाराधीन है का विवरण भी दिया गया है।
नदीम ने बताया कि पुस्तक को देश भर में कोई भी व्यक्ति कहीं से भी पब्लिकेशन की वेबसाइट तथा ऑमेजन के माध्यम से ऑन लाइन आर्डर करके मंगा सकता है।
नदीम की इससे पूर्व सूचना अधिकार, मानवाधिकार, उपभोक्ता अधिकार, भ्रष्टाचार, चुनाव, आयकर, वैट, जी.एस.टी. आदि विषयों पर 44 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
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