कुंजबिहारी नेगी- अलविदा आंदोलनों के पुरोधा…

स्मृति शेष

अविकल उत्तराखंड

पौड़ी का आंदोलनों से गहरा रिश्ता रहा है… राज्य निर्माण के आंदोलन से लेकर कई सामाजिक आंदोलनों की जननी रही पौड़ी ने एक आंदोलनकारी कुंजबिहारी नेगी को खो दिया है … कुंजबिहारी नेगी पौड़ी का एक ऐसा विराट व्यक्तित्व थे जिन्होंने गढ़वाल यूनिवर्सिटी जो कि अब सेंटर यूनिवर्सिटी बन गई है के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया था… बात जनसरोकारों की हो या कुछ और कुंजबिहारी नेगी पौड़ी के हितों के लिए हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े दिखाई देते थे…पौड़ी के लिए उनके संघर्षों को भुलाया नहीं जा सकता….वे 80 के दशक में पत्रकारिता के भी स्नातक रहे थे..जनहित से जुड़े आंदोलनों के लिए वे कई बार भूख हड़ताल पर बैठे … उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में उच्च शिक्षा की मांग को पूरा करने के लिए एक बड़े जन आंदोलन का नेतृत्व करने का श्रेय भी उन्हें जाता है…

इस आंदोलन में उस दौर में छात्र छात्राएं सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नेता शामिल हुए थे…कुंज बिहारी नेगी उस वक्त पौड़ी डिग्री कॉलेज के पहले छात्रसंघ अध्यक्ष थे…1972 में, उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए चलाए गए आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी.. उन्होंने आस पास के सैकड़ों ग्रामीणों को भी इस आंदोलन से जोड़ कर संगठित किया…कई दिन तक भूख हड़ताल पर बैठे और आंदोलन को धार देकर इसे सफल बनाया …

उनके साथ श्रीनगर के पूर्व पालिकाध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी, वीरेंद्र कुमार पैन्यूली, मंजूर अहमद बेग और जगदंबा प्रसाद रतूड़ी सहित अन्य आंदोलनकारी भी इस मुहिम में साथ रहे.. इन्हें जेल भी जाना पड़ा… एक दौर तो ऐसा था जब कुंजबिहारी नेगी आंदोलन के पर्याय बन गये थे …कुंजबिहारी नेगी का पौड़ी के प्रति बेहद लगाव था …1996 में जब वे नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ें तो पौड़ी की जनता ने उन्हें भारी बहुमत देकर अपना स्नेह दिया …वे अविवाहित थे और पिछले लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे … पौड़ी के हितों के लिए प्रतिबद्ध कुंजीभाई जी को भावभीनी श्रद्धांजलि

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