‘निष्ठा, समर्पण व लक्ष्य प्राप्ति की सीख हनुमान जी से लें’

भागवताचार्य दिनेश डोभाल ने भागवत कथा के प्रसंग सुनाए

अविकल उत्तराखंड

एकेश्वर। विकासखंड के मासौं थपलियाल गांव में थपलियाल परिवार द्वारा पूनम थपलियाल की स्मृति में आयोजित भागवत कथा में भागवताचार्य दिनेश डोभाल ने कथा के छठवें दिन हनुमान जन्मोत्सव व कथा में भगवान श्री कृष्ण-रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनाया । अपने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति को निष्ठा, समर्पण व लक्ष्य प्राप्ति की सीख हनुमान जी सीखनी चाहिए।
हनुमान जी बहुत बलशाली होने के बावजूद संयमी भी थे।

उन्होंने कभी अपने बल पर घमंड नहीं किया उन्होंने अपने बल का सदुपयोग हमेशा जनमानस व प्रभु राम की सेवा में किया।
हमें भी अपने बल का उपयोग हमेशा समाज व गरीब लोगो के हित में करना चाहिए । आचार्य ने श्रद्धालुओं को कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य व गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।

रुक्मणी का बड़ा भाई श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदुरथ व पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर स्वागत कर विवाह के मंगल गीत गाकर नृत्य किया।

थपलियाल परिवार द्वारा आयोजित इस कथा को लक्ष्मी थपलियाल, नरेश थपलियाल, योगेश थपलियाल, वैजयंती करवा रहें है कथा में मासौं, मासौं मसेटा बुडोली, नैल बाजार के श्रदालु कथा श्रवण को पहुँच रहें है।

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