जन सुनवाई और सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी का आरोप
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना की जन सुनवाई और उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया पर गुरुवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक बार फिर सवाल खड़े हुए।
दून समग्र विकास अभियान की ओर से अधिवक्ता तनुप्रिया जोशी ने अदालत के समक्ष तर्क रखा कि न्यायालय के पूर्व आदेश और नियमावली की अनदेखी करते हुए पूरी जन सुनवाई और सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (SIA) प्रक्रिया जल्दबाजी, गैर-पारदर्शी और गैर-कानूनी ढंग से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने परियोजना की नई विस्तृत रिपोर्ट 13 अगस्त को ही अपलोड की, जिस दिन इस मामले पर पहली बार अदालत में सुनवाई हुई थी। रिपोर्ट के बारे में अब तक कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं दी गई है। वहीं, दोबारा आयोजित जन सुनवाइयों के लिए केवल तीन दिन का नोटिस जारी किया गया, जो नियमों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता पक्ष ने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में कई अन्य गंभीर खामियां हैं। ऐसे में याचिका को बंद करना उचित नहीं होगा क्योंकि सरकार लगातार कानून के विपरीत कार्यवाही कर रही है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार की ओर से दाखिल अनुपालन रिपोर्ट पर निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता अपनी राय पेश करे। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।
दून समग्र विकास अभियान का कहना है कि सरकार इस परियोजना को जिस ढंग से आगे बढ़ा रही है, उससे साफ हो गया है कि यह योजना न केवल विनाशकारी बल्कि जनविरोधी भी है।
संगठन ने कहा कि जनता हर जनसुनवाई और सड़कों पर इस परियोजना का विरोध कर रही है। लोगों की स्पष्ट राय है कि इससे शहर, पर्यावरण और नागरिकों को गंभीर नुकसान होगा। बावजूद इसके, अधिकारी और सत्ताधारी नेता बार-बार यह घोषणा कर रहे हैं कि परियोजना हर हाल में बनेगी। इसी वजह से लगातार विभिन्न संगठनों द्वारा आंदोलन जारी हैं।

