लिटरेचर फेस्टिवल में मैच फिक्सिंग,साइबर एनकाउंटर पर हुई चर्चा

डीप फेक को पहचानना होगा चुनौतीपूर्ण- डीजीपी

अविकल उत्तराखंड 

देहरादून। दून कल्चरल एण्ड लिटरेरी सोसाइटी द्वारा वेल्हम ब्वॉयज स्कूल में क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत आकर्षक सत्र ‘सट्टेबाजों की दुनिया के अंदर: मैच फिक्सिंग’ के विशेष सत्र के साथ हुई । लेखक नीरज कुमार ने एक खुलासा करते हुए कहा कि “मेरी लेखन में कोई पृष्ठभूमि नहीं थी,” लेखक ने कहा कि ‘डायल डी फॉर डॉन’ सी0बी0आई0 में उनके कार्यकाल के दौरान ग्यारह जांचों के जटिल विवरणों पर प्रकाश डालता है । उन्होंने क्रिकेट के भीतर भ्रष्टाचार के बारे में बात की. मैच फिक्सिंग में शामिल व्यक्तियों के नाम बताने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में, नीरज कुमार ने बताया की “मैच फिक्सिंग के संबंध में नाम सार्वजनिक डोमेन में हैं, इसमें झिझक की कोई गुंजाइश नहीं थी। तथ्य के आधार पर ही विवरणो का समावेश किया गया है। । इस सत्र का संचालन मानस लाल (मॉडरेटर) ने किया ।

साईबर एंकाउंर्टस पर हुए एक विशेष सत्र में पुलिस महानिदेशक,उत्तराखण्ड अशोक कुमार ने कहा कि साईबर अपराधी का हजारों मील दूर होना, साईबर अपराध के डिजिटल फूटप्रिंट न होने के कारण साईबर अपराध तेजी से बढ़े हैं, उन्होने फेक न्यूज के अतिरिक्त, डीप फेक में सही की पहचान करना मुश्किल एवं चुनौतिपूर्ण कार्य बताते हुए कहा कि वर्तमान में डीप फेक पुलिस के लिए बहुत बडा चैलेंज है । उन्होने पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए कहा की साईबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए पुलिस के अतिरिक्त टेलिकॉम कम्पनियों एवं बैंकों को अपने सिस्टम को ओर अधिक साईबर सिक्योर बनाना होगा। उन्होने बताया कि आरबीआई इस दिशा में पूर्व में ही बैंको एवं फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट को निर्देश जारी कर चुका है, उन्होने आमलोगों से अपील की कि सस्ते लोन हेतु चाईनिज एप के चक्कर में बिल्कुल न फसें। सत्र में पैनलिस्ट के रुप में मौजूद रहे ओपी मिनोचा ने बताया कि सोशल मीडिया में हर चीज पोस्ट न करें, उन्होने कहा कि अनजान वीडियो कॉल उठाना रिस्की है । इसके अतिरिक्त क्रिप्टोकरेंसी के विभीन्न पहलूओं में प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन डॉ0 अनुपमा खन्ना (मॉडरेटर) ने किया ।

इसके साथ ही लिटरेचर फेस्टिवल में ‘वो 24 घंटे’, ‘हौसलानामा’, ‘द प्राइम टारगेट’, ‘रॉ हिटमैन’ और ‘किसे चाहिए सभ्य पुलिस?’ जैसी कृतियों को उत्सुक और जिज्ञासु दर्शकों के सामने पेश किया। ‘इंडियाज नार्कोस एंड अदर ट्रू क्राइम्स’ जैसी वास्तविक जीवन की अपराध कहानियों की खोज और ‘बार्ड ऑफ ब्लड’, प्रतिष्ठित ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी श्रृंखलाओं में अपराध के चित्रण ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘क्राइम पेट्रोल’ और ‘मर्डर्स इन द सिटी ऑफ जॉयज़ एंड हिल्स’ जैसे सत्रों ने अपराधों की जांच और विभिन्न संदर्भों में उनके चित्रण पर अंतर्दृष्टि प्रदान की । महोत्सव ने ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ जैसी चर्चाओं के साथ क्षेत्रीय अपराध पर भी गहराई से प्रकाश डाला, कार्यक्रम में फिल्म निर्माण, साहित्य, कानून प्रवर्तन और कहानी कहने के क्षेत्र से उल्लेखनीय हस्तियों भी मौजूद रहीं।

आज के समारोह के दौरान विचार विमर्श की प्रमुख बातें

सत्र: एक महान जासूस का निर्माण
ऋचा एस मुखर्जी “मैं हास्य लेखन की ओर आकर्षित हूं क्योंकि यह मुकाबला करने का तंत्र है और अपराध और हास्य दोनों का मिश्रण काफी कठिन है” ऋचा और सलिल दोनों ने अपनी पुस्तक के पात्रों के बारे में बात की और सलिल देसाई ने इंस्पेक्टर सरलकर के बारे में बात की और बताया कि यह किरदार मूल रूप से कितना अस्पष्ट है।

सत्र: ‘दलदल’
ओपी सिंह और केपी सिंह जेलों में महिलाओं और उनकी स्थितियों के बारे में बात कर रहे थे, और पुलिस इस बारे में क्या कर सकती है।

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