शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, अनुसंधान व व्यवसायिक कृषि सहित विभिन्न मुद्दों पर मिल कर काम करेंगे
अविकल उत्तराखंड
डोईवाला। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट और हिमाचल प्रदेश पालमपुर में स्थित सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) अब शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, अनुसंधान व व्यवसायिक कृषि सहित विभिन्न मुद्दों पर साझा रुप से काम करेंगे। दोनों संस्थानों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट के कुलाधिपित डॉ.विजय धस्माना के दिशा-निर्देशन में कुलपति डॉ.राजेंद्र डोभाल व सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के निदेशक डॉ.सुदेश कुमार यादव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि इस साझेदारी से एसआरएचयू में अध्ययरत विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं सहित उस क्षेत्र के लोगों को भी लाभ मिलेगा, जहां पर संस्थान ग्राम्य विकास, व्यवसायिक कृषि व पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहा है।
कुलपति डॉ.राजेंद्र डोभाल ने कहा कि समझौते के अकादमिक, अनुसंधान एवं सामाजिक विकास के लिए दोनों संस्थानों के बीच प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण हो सकेगा। ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन इंटर्नशिप के लिए छात्रों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के निदेशक डॉ.सुदेश कुमार ने कहा कि एमओयू होने के बाद सीएसआईआर-आईएचबीटी अनुसंधान नवाचार और विकास क्षेत्र में एसआरएचयू जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा।
व्यवसायिक कृषि में तकनीक को जोड़कर आमदनी बढ़ाना मुख्य उद्देश्य
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया संस्थान के रूरल डेवलपमेंट इंस्टीट्टयूट (आरडीआई) की ओर से वर्ष 2018 से जनपद पौड़ी में जयहरीखाल ब्लॉक के तोली गांव के आसपास के क्षेत्र में व्यापक सामुदायिक विकास कार्यक्रम (सीसीडीपी) चलाया जा रहा है। एमओयू के बाद सीएसआईआर-आईएचबीटी के विशेषज्ञ भी हमारे काम में सहयोग करेंगे। इसका मूल उद्देश्य है पहाड़ में किसानों की आय बढाकर सामाजिक उत्थान करना।
किसानों की निर्भरता खत्म करना लक्ष्य
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि हम किसानों की निर्भरता खत्म कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। इसके लिए हम सीएसआईआर-आईएचबीटी के साथ मिलकर किसानों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाएंगे। इसमें हम किसानों भौगोलिक संरचना के अनुसार फसलों के चयन के साथ कृषि में इस्तेमाल होने वाली तकनीक व आधुनिक यंत्रों का प्रशिक्षण देंगे।
पलायन पर भी लगेगी रोक
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि इस प्रशिक्षण के मुख्यत: तीन फायदे होंगे। पहला तकनीक की मदद से शारिरिक श्रम को कम कर पहाड़ों में व्यवसायिक कृषि बढ़ावा मिलेगा। दूसरा, तकनीक के इस्तेमाल से युवा भी कृषि के प्रति आकर्षित होंगे। ज्यादा से ज्यादा युवाओं के कृषि व्यवसाय से जुड़ने से पलायन भी रुकेगा। तीसरा, किसानों की फसलों के लिए बाजार उपलब्ध होगा, ताकि उन्हें उनकी फसल का उचित दाम मिले और उनकी आमदनी बढ़े।
एसआरएचयू से जुड़े हैं देश-दुनिया के कई नामी प्रतिष्ठित संस्थान
एसएचआरयू का बहुराष्ट्रीय कंपनी आईबीएम (इंटरनेशनल बिजनेस मशीन), इंटरनेशनल बिजनेस कॉलेज (आईबीसी) डेनमार्क, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रुडक़ी, ग्लोबल हेल्थ एलायंस (जीएचए) यूनाइडेट किंगडम, लौरिया फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एपलाइड साइंसेज, जर्मनी की रॉसटॉक यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड सरकार के अधीन उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) सहित कौशल विकास के क्षेत्र में काम कर रहे लर्न-इट जैसी नामी संस्थानों के साथ करार है।
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