आठ महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार बुनियादी पाठ्यचर्चा दस्तावेज के आधार पर एससीईआरटी तैयार करेगा पाठ्यक्रम
सभी आंगनबाड़ियों को विद्यालयों से जोड़ना जरूरी- शिक्षा मंत्री
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बुनियादी स्तर पर शिक्षा के स्वरूप को लेकर प्रदेश ने एक कदम आगे बढ़ाया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बुनियादी स्तर शिक्षा के पाठ्यचर्या दस्तावेज का लोकार्पण किया। आठ महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार इस दस्तावेज का डिजिटल लोकार्पण कर वेबसाइट भी लांच की गई। (NEP 2020) अब इस पाठ्यचर्चा के आधार पर एससीईआरटी पाठ्यक्रम तैयार करेगा। इस दस्तावेज के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण को दी गयी है।
शिक्षा मंत्री ने डॉ धन सिंह रावत ने एससीएफ के लोकार्पण की बधाई देते हुए कहा कि पूरे राष्ट्र में इस दस्तावेज को तैयार कर लोकार्पित करने में उत्तराखंड राज्य प्रथम स्थान पर रहा है। इसके अतिरिक्त बाल वाटिका प्रारंभ करने में भी उत्तराखंड ने अपना स्थान बनाये रखा है। कहा कि बच्चों का 85% विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है इसलिए बुनियादी शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण होना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पूर्ण कल्याण में कुछ समय लगेगा लेकिन यह आवश्यक है कि सभी आंगनबाड़ियों को विद्यालयों से जोड़ दिया जाए।
मंत्री डॉ रावत ने कहा कि प्रत्येक जनपद में हमारी विरासत पुस्तक डाइट के माध्यम से प्रकाशित की जानी है, इसके लिए समाज के लोगों से सहयोग लिया जाए। साहित्यकारों को बुलाया जाए ,बच्चों से भी संवाद किया जाए , महिला मंगल दल और अभिभावकों को बुलाकर उनके विचार लिए जाए और तब क्षेत्र विशेष पर आधारित यह दस्तावेज जनपद द्वारा निर्मित किया जाए।
महानिदेशक विद्यालय शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह दस्तावेज अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 हमें दिशा देती है कि शिक्षा में संस्कार कैसे समाहित किए जाएं। New Education Policy निदेशक प्रारंभिक शिक्षा रामकृष्ण उनियाल जी ने भारतीय संस्कृति के मूल्य तत्व धर्म, अर्थ ,काम, और मोक्ष पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चे की शिक्षा में इनका बहुत अधिक महत्व है और एससीएफ-एफ एस बच्चों के संपूर्ण विकास में सहायक सिद्ध होगा।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी ने एससीएफ-एफएस के लोकार्पण पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि इस दस्तावेज के निर्माण में 8 महीने की कड़ी मेहनत है । और यह दस्तावेज बॉटम टू अप अप्रोच के आधार पर बना है । यह महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग , स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग का एक संयुक्त प्रयास है उनके द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया। निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण ने बुनियादी स्तर हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला ।उनके द्वारा एससीएफ-एफ एस के निर्माण की पूरी प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक बताया गया।
कार्यक्रम समन्वयक रविदर्शन तोपाल ने विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विजन और इसके पांच महत्वपूर्ण भागों की जानकारी दी। इस अवसर पर विद्यालय शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ भी किया गया। मार्गदर्शन हेतु गेस्ट स्पीकर के रूप में फिलासफी ऑफ़ एजूकेशन पर दून के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत व भारतीय ज्ञान पद्धति पर डॉक्टर कृष्ण झरे ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। भारतीय भाषा उत्सव के समापन अवसर पर भी उन्होंने सबको बधाई दी उन्होंने कहा कि हमारे देश में विभिन्न भाषाएं हैं किंतु उनके भाव एक ही है । कार्यक्रम के समापन सत्र में संयुक्त निदेशक एनसीईआरटी श्रीमती कंचन देवरानी ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में श्रीमती बन्दना गर्ब्याल ,निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, श्रीमती सीमा जौनसारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, राम कृष्ण उनियाल निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, अजय कुमार नौडियाल अपर निदेशक एस सी ई आर टी , महावीर सिंह बिष्ट अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा, ललित मोहन चमोला अपर निदेशक महानिदेशालय , शिव प्रसाद खाली अपर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, सहित शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग से मोहित चौधरी , विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, एनजीओ के सदस्य आदि ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।
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