अभी भी फंसे है एक हजार तीर्थयात्री , हवाई व जमीनी बचाव अभियान जारी
आपदा की विभिन्न घटनाओं में 15 की मौत
सीएम ने केंद्रीय मंत्री गडकरी से मदद मांगी
देहरादून। केदार आपदा के बाद विभिन्न बचाव टीम शनिवार तीन अगस्त तक कुल 9099 श्रद्धालुओं को सकुशल निकाल चुकी हैं।
आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि 31 जुलाई को अतिवृष्टि के चलते केदारनाथ क्षेत्र में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू अभियान युद्धस्तर पर जारी है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें मार्ग में फंसे यात्रियों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।
उन्होंने बताया कि 2 अगस्त तक कुल 7234 यात्रियों का रेस्क्यू किया गया है। 3 अगस्त को 1865 यात्रियों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। तीन अगस्त तक कुल 9099 यात्रियों का रेस्क्यू किया जा चुका है। करीब 1000 यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए अभियान जारी है। कहा कि मुख्यमंत्री रेस्क्यू अभियान की मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 2 अगस्त तक 15 तीर्थयात्री केदारनाथ से एयरलिफ्ट किए गए। लिंचौली और भीमबली से 1354 यात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। भीमबली लिंचौली से पैदल 365 यात्री चौमासी-कालीमठ पहुंचे । गौरीकुंड से सोनप्रयाग पैदल पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 5500 रही।
तीन अगस्त को केदारनाथ से 43 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया। लिंचौली और भीमबली से कुल 495 यात्री एयरलिफ्ट किए गए। वहीं 90 यात्री भीमबली- लिंचौली से पैदल चौमासी-कालीमठ सुरक्षित पहुंचे।
गौरीकुंड से सोनप्रयाग आने वाले यात्रियों की संख्या 1162 रही। चीड़बासा ;गौरीकुंड से 75 तीर्थयात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। वहीं विभिन्न स्थानों पर फंसे करीब एक हजार यात्रियों को सुरक्षित निकालने की कार्रवाई जारी है।
उन्होंने बताया कि 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण 15 लोगों की मृत्यु हुई है। वहीं 1 अगस्त को देहरादून के सहसत्रधारा में स्नान करते समय पैर फिसलने से 2 लोगों की मौत हुई, जो मानवीय भूल की श्रेणी में दर्ज है। इस प्रकार कुल 17 यात्रियों की मृत्यु हुई है। वहीं अलग-अलग स्थानों पर हुए हादसों में 10 लोग घायल हुए और 01 व्यक्ति अभी लापता है। जिलावार टिहरी में 03, हरिद्वार में 04, देहरादून में 06, चमोली में 01, रुद्रप्रयाग में 03 लोगों की मृत्यु हुई है।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही वायुसेना के चिनूक तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के 83 जवान, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ तथा पीआरडी के 168 जवान, पुलिस विभाग के 126, अग्निशमन के 35 कार्मिक अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं।
35 आपदा मित्रों के साथ ही लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यरत 150 मजदूर अवरुद्ध मार्गों को खोलने में लगाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के 12 डाक्टरों के नेतृत्व में 32 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राजस्व विभाग के 57, जीएमवीएन के 68, खाद्य विभाग के 27 कर्मचारी संबंधित व्यवस्थाओं को दुरुस्त बनाने में जुटे हैं। इस प्रकार कुल कुल 882 जवानध्कार्मिक युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को जैसे ही केदारनाथ यात्रा मार्ग में यात्रियों के रुके होने की सूचना मिली, उन्होंने भारत सरकार से वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मांग की। भारत सरकार ने तुरंत एक चिनूक तथा 01 एमआई-17 हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर नागरिग उड्डयन विभाग ने भी 5 अन्य हेलीकॉप्टर यात्रियों के रेस्क्यू हेतु उपलब्ध कराए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जो यात्री अभी भी रुके हैं, जिला प्रशासन की टीमों ने उनके रहने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की है। उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से पूरे रेस्क्यू अभियान की सतत मॉनीटरिंग की जा रही है। यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। मौसम की वजह से कुछ दिक्कतें रेस्क्यू अभियान में आ रही हैं, मौसम जैसे-जैसे साफ हो रहा है, वैसे-वैसे यात्रियों का रेस्क्यू किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री से किया सड़कों के पुनर्निर्माण मे सहयोग का अनुरोध
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी से प्रदेश की क्षतिग्रस्त सड़कों के पुनर्निर्माण में सहयोग का अनुरोध किया है। शनिवार को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से दूरभाष पर वार्ता कर प्रदेश में अतिवृष्टि मे क्षतिग्रस्त सड़कों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि राज्य मे चार धाम सहित अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों को राज्य मे हुयी अतिवृष्टि के कारण भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने क्षतिग्रस्त सड़कों के पुनर्निर्माण का अनुरोध करते हुए बताया कि बरसात के बाद चार धाम यात्रा सहित प्रदेश में पर्यटकों का आवागमन तेजी से बढ़ेगा, जिसके लिये समय पर सड़कों की मरम्मत की जानी जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने नितिन गडकरी से सड़कों की मरम्मत के लिये केन्द्रीय सड़क सुरक्षा निधि के तहत आवश्यक धनराशि स्वीकृत किये जाने का भी अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों मे सड़क ही एक मात्र आवागमन का प्रमुख साधन है, अतः समय पर क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत राज्य हित में आवश्यक है।
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