अविकल उत्तराखंड
ऋषिकेश। स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकी के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य को समझने के लिए एम्स, ऋषिकेश के नर्सिंग कॉलेज ने “नर्सिंग इंफॉर्मेटिक्स एक आगामी प्राथमिकता” विषयक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कॉलेज ऑफ नर्सिंग परिसर में आयोजित कार्यशाला का संस्थान की डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर( डॉक्टर) जया चतुर्वेदी, एमएस प्रोफेसर (डॉ.) आर. बी. कालिया, प्रिंसिपल नर्सिंग, प्रोफेसर( डॉ.) स्मृति अरोड़ा ने विधिवत उद्घाटन किया। कार्यशाला में बतौर व्याख्याता लंदन की मेधा वर्मा और सुश्री मेटिल्डा (सलाहकार, ऑस्ट्रेलिया) के अलावा संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर (डा.) जया चतुर्वेदी ने स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में प्रौद्योगिकी के लाभों और सीमाओं पर जोर दिया और मरीजों की देखभाल करते समय मानवीय स्पर्श और आत्मियता के साथ देखरेख किए जाने की आवश्यकता बताई। एम्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आरबी कालिया ने मरीजों के इलाज के दौरान एकत्र किए गए डेटा के महत्व पर जोर दिया और बताया कि हम मरीजों के लाभ के लिए एकत्रित डेटा को किस तरह से उपयोग में ला सकते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कोविड-19 ने देश में और खासतौर से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में डिजिटलीकरण प्रक्रिया को और बढ़ाया है।
नर्सिंग प्राचार्य प्रोफेसर स्मृति अरोड़ा ने नर्सिंग में उपयोग की जाने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे रोबोट नर्स, स्मार्ट घड़ियां, अलार्म सिस्टम, गेमिफिकेशन, चैट जीपीटी और पहनने योग्य प्रौद्योगिकियों के कुछ उदाहरण साझा किए। “स्वास्थ्य सेवा में सूचना प्रणाली- एक उन्नत क्षेत्र” विषय आधारित कार्यशाला के पहले सत्र में व्याख्यान देते हुए सतीश पी. (ए.एन.एस), ने मरीज के एडमिशन से लेकर डिस्चार्ज तक अस्पताल में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य देखभाल मॉड्यूल के बारे में विस्तार से बताया। नागा श्रीकांत दरला (ए.एन.एस) ने नर्सिंग सूचना विज्ञान प्रणालियों के कामकाज, इसके प्रबंधन और कुछ उप-मॉड्यूल पर प्रकाश डाला जो नर्सों के लिए बहुत उपयोगी हैं।
सुश्री मेटिल्डा चिट्टिनापिली जोस (बिजनेस चेंज कंसल्टेंट-ईएमआर, एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया) ने विद्यार्थियों को अनुभव साझाकरण सत्र के माध्यम से एम्स नई दिल्ली के डिजिटलीकरण की यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को एक कामकाजी पेशेवर के रूप में अपनी यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने डिजिटलीकरण के दौरान संस्थान के लिए काम करते समय आने वाली चुनौतियों और सहायक कारकों पर भी चर्चा की।
डॉ. मेधा वर्मा (व्याख्याता, वयस्क नर्सिंग, बकिंघमशायर न्यू यूनिवर्सिटी) द्वारा लिए गए सत्र में उपस्थित लोगों ने नैदानिक वर्कफ़्लो का समर्थन करने और देखभाल समन्वय में सुधार करने के लिए सूचना प्रणालियों को अनुकूल बनाने में मूल्यवान जानकारियों का आदान-प्रदान किया। आईटी प्रभारी, एम्स ऋषिकेश विनीत कुमार व सुश्री दीपिका कांडपाल (एसएनओ, एम्स, ऋषिकेश) ने छात्रों को “टेलीहेल्थ और रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग” प्रणाली से अवगत कराया, इस सत्र में विद्यार्थियों ने जाना कि दूरस्थ परामर्श और वास्तविक के लिए टेलीमेडिसिन प्लेटफार्मों का लाभ किस तरह से उठाया जा सकता है। यह सत्र स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और रोगी जुड़ाव में सुधार के संदर्भ में खासतौर से व्यावहारिक साबित हुआ।
संस्थान के वरिष्ठ लाइब्रेरियन, संदीप कुमार सिंह ने “वैज्ञानिक साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए प्रभावी साहित्य मानचित्रण” पर व्याख्यान दिया, जिससे प्रतिभागियों को नर्सिंग अभ्यास को सूचित करने के लिए साहित्य समीक्षा करने और साक्ष्य को संश्लेषित करने में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की गई। प्रतिभागियों ने प्रासंगिक साहित्य की पहचान करने और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में योगदान देने के साथ-साथ जानकारी खोजने के लिए विभिन्न वैश्विक संसाधनों का उपयोग करने के लिए डेटाबेस और खोज रणनीतियों का उपयोग करने में व्यावहारिक कौशल प्राप्त किया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘हेल्थकेयर का भविष्य’ विषयक सत्र में सहायक प्रोफेसर, डॉ. राकेश शर्मा ने नैदानिक निर्णय लेने, रोग की भविष्यवाणी में क्रांति लाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। इस दौरान प्रतिभागी एआई-संचालित भविष्य कहनेवाला विश्लेषण और रोगी परिणामों में सुधार के लिए इसके निहितार्थ पर चर्चा से मंत्रमुग्ध हो गए। नर्सिंग सूचना विज्ञान कार्यशाला में प्रतिभागियों ने स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को जाना व नर्सिंग सूचना विज्ञान में उभरते रुझानों नवाचारों और व्यावहारिक अनुप्रयोगों की खोज करके, प्रतिभागियों ने डिजिटल परिवर्तन को अपनाकर अपने पेशे में सकारात्मक बदलाव की सीख ली।
कॉलेज ऑफ नर्सिंग की सहायक प्रोफेसर सुश्री राखी मिश्रा के संचालन में आयोजित कार्यशाला में डॉ. राजेश कुमार, डॉ. मलारकोडी एस., डॉ. मनीष शर्मा, डॉ. राजराजेश्वरी, सुश्री श्रीविद्या आदि मौजूद थे।
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