एक माह में सभी अस्पतालों का डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान तैयार करें- मुख्य सचिव

सभी स्कूलों में एक साथ मॉक ड्रिल कराने और चारधाम यात्रा के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के निर्देश

अविकल उत्तराखंड 

देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने प्रदेश के सभी अस्पतालों को एक माह के भीतर डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय कर इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा।

शुक्रवार को उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) के आईटी पार्क स्थित भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य को हर प्रकार की आपदाओं के लिए तैयार रहना होगा।

प्रमुख निर्देश और निर्णय:

अस्पतालों का डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान:

सभी सरकारी व निजी अस्पतालों के लिए एक माह में आपदा प्रबंधन योजना तैयार की जाए। मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और निजी अस्पताल प्रबंधकों के साथ बैठक कर ठोस रणनीति बनाई जाए।

सभी स्कूल-कॉलेजों में एक साथ मॉक ड्रिल:
विद्यालयी और उच्च शिक्षा विभाग के समन्वय से सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक ही दिन मॉक ड्रिल कराई जाए। यह प्रक्रिया हर तीन माह में दोहराई जाए।

भूकंप चेतावनी प्रणाली को मजबूत किया जाए:
यूएसडीएमए और IIT रुड़की द्वारा विकसित पूर्व चेतावनी प्रणाली में सेंसर और सायरन की संख्या बढ़ाई जाए। वर्तमान में 177 सेंसर और 192 सायरन सक्रिय हैं। 500 अतिरिक्त सेंसर व 1000 नए सायरन लगाए जा रहे हैं।

चारधाम यात्रा के लिए विशेष तैयारी:
यात्रा मार्गों पर रियल टाइम वार्निंग सिस्टम और मौसम पूर्वानुमान की व्यवस्था की जाए। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक संसाधन तैनात किए जाएं। 10 नए आश्रय स्थलों का निर्माण प्रगति पर है, जहां 300 यात्रियों को आपदा की स्थिति में ठहराया जा सकेगा।

भवन निर्माण दिशा-निर्देशों में बदलाव:
आपदा के दृष्टिकोण से भवन निर्माण के बायलॉज में संशोधन कर नए बिल्डिंग कोड लागू किए जाएं।

समुदाय आधारित प्रशिक्षण और चेतावनी:
समुदायों को फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में प्रशिक्षित किया जाए। नई टिहरी के बूढ़ाकेदार क्षेत्र के तोली और तिनगढ़ गांव में समय रहते की गई खाली कराई कार्रवाई को उदाहरण के तौर पर सराहा गया।

ग्लेशियर झीलों पर सतत निगरानी:
एनडीएमए द्वारा चिन्हित 13 ग्लेशियर झीलों की नियमित सैटेलाइट निगरानी की जाए और आसपास के लोगों को संभावित खतरों को लेकर जागरूक किया जाए।

मुख्य सचिव ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की कार्यप्रणाली की भी समीक्षा की और ईआरएसएस-112 के रिस्पांस टाइम को 21 मिनट से घटाकर 11 मिनट किए जाने पर संतोष व्यक्त किया।

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