उत्तराखंड इंसानियत मंच और उत्तराखंड महिला मंच ने बेघर हुए लोगों से की मुलाकात
अविकल उत्तराखंड
देहरादूनI उत्तराखंड इंसानियत मंच और उत्तराखंड महिला मंच के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान के कारण बेघर हुए लोगों से मुलाकात की। इस दौरान काठबंगला और गब्बर सिंह नगर में एक दर्जन से ज्यादा लोगों से मुलाकात की गई। प्रतिनिधि मंडल में कमला पंत, निर्मला बिष्ट, विजय भट्ट और त्रिलोचन भट्ट शामिल थे।
उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष राज्य आंदोलनकारी कमला पंत ने बताया कि प्रशासन ने यह कहकर लोगों के घर तोड़ दिये हैं कि उन्होंने अतिक्रमण करके घर बनाये हैं। इसमें संदेह नहीं कि ये झोपड़ियां सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाई गई हैं, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि इन बस्तियों में जो बिजली की मीटर लगे हुए हैं, वे किसने लगाये? सरकारी पाइप लाइन क्यों इन अवैध बस्तियों में हैं और इन बस्तियों के लोगों से हाउस टैक्स क्यों वसूला जाता है? इन लोगों का नाम वोटर लिस्ट में चढ़ाकर उनसे वोट क्यों लिया जाता है।
कमला पंत ने कहा कि इन बस्तियों में मजदूरों के परिवार हैं, उनके लिए जमीन खरीदकर घर बनाना आसान नहीं, वे मजबूरी ने नदी नालों के किनारे छोटे-छोटे घर बनाकर रहते हैं। ये मजदूर गरीबी के कारण इस तरह का अतिक्रमण करते हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन वहां पानी और बिजली देकर इस तरह के अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने बस्तियों को उजाड़ने से पहले वहां जन सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले विभागों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
कमला पंत ने कहा कि शहरों में हर काम के लिए आपको मजदूरों की जरूरत होती है। लेकिन, ये मजदूर रहेंगे कहां, इसकी कोई परवाह नहीं करता। ऐसे में कुछ नेता सरकारी जमीनों पर मजदूरों को बसाते हैं। इन नेताओं के लोग मजदूरों से इस जमीन के बदले पैसे भी ऐंठते हैं और नेता सरकार और प्रशासन पर दबाव बनाकर बिजली पानी उपलब्ध करवाते हैं। बदले में इन बस्तियों से वोट की उगाही करते हैं। उन्होंने मांग की कि देहरादून में बसी सभी बस्तियों की जांच की जाए कि वे किसने बसाई हैं और किसके कहने पर उन्हें बिजली-पानी जैसी सुविधाएं दी गई हैं। इसके साथ ही ऐसी बस्तियों को हटाने से पहले वहां रह रहे लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की भी उन्होंने मांग की। उन्होंने बताया कि इन दोनों बस्तियों में कुछ परिवार घर तोड़े जाने के बाद बेहद खराब स्थिति में रह रहे हैं।
उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि मजदूरों को शहर के आसपास आवास की सुविधा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करवाने के असली दोषियों का सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक बार फिर इन बस्तियों का दौरा किया जाएगा। इस तोड़फोड़ को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी, जिसे मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया जाएगा।
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