‘प्रस्तावित एलिवेटेड रोड – जल्दबाज़ी में जन सुनवाई कराना गैरकानूनी’

सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट व पुनर्वास योजना सार्वजनिक किए बिना जन राय लेना निरर्थक

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। सामाजिक संगठनों के संयुक्त मंच सृष्ट मंडल ने प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को लेकर अगले सप्ताह से जन सुनवाई आयोजित किए जाने की खबर पर गहरी आपत्ति जताई है। मंगलवार को जिलाधिकारी देहरादून से भेंट कर प्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि जब तक परियोजना से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं कराई जाती, तब तक जन सुनवाई की कोई वैधानिक और नैतिक वैधता नहीं है।

प्रतिनिधियों ने कहा कि परियोजना की सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट (SIA) रिपोर्ट अब तक न तो किसी वेबसाइट पर अपलोड की गई है, न ही किसी सार्वजनिक माध्यम से आम नागरिकों तक पहुँची है। जब सबसे प्रभावित वर्ग — जैसे मज़दूर बस्ती के निवासी — ही अनजान हैं कि उनके पुनर्वास की क्या योजना है, तो जन सुनवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगी।

ज्ञापन में यह भी बताया गया कि अब तक इस परियोजना की डीपीआर, नक्शा, प्रस्तावित बजट जैसी आवश्यक जानकारी न DM कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है, न RTI के माध्यम से ही प्राप्त हो सकी है। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और जन भागीदारी के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।

सृष्ट मंडल ने मांग की कि सभी दस्तावेज और रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाएं और उसके बाद कम से कम एक से डेढ़ माह का समय जनता को दिया जाए ताकि वे इस विषय पर गंभीर और सूचित राय रख सकें।

प्रतिनिधिमंडल में सर्वोदय मंडल उत्तराखंड के हरिबर सिंह कुशवाहा, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल और सामाजिक कार्यकर्ता एन. राघवेंद्र शामिल थे। उन्होंने यह भी स्मरण दिलाया कि 26 अप्रैल और 17 मई को इसी विषय में मुख्य सचिव को दो संयुक्त ज्ञापन भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है।

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