निकाय चुनाव- जुगरान ने सीएम व पार्टी संगठन को खत लिख जताई दावेदारी
दून मेयर सीट पर भाजपा टिकट की जंग हुई रोचक
अविकल थपलियाल
देहरादून। दून नगर निगम मेयर पद के लिए आन्दोलनकारी व भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने भी अपनी दावेदारी ठोक दी है।राज्य आंदोलन में कई बार जेल गए डीएवी कालेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रविन्द्र जुगरान ने सीएम धामी,प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्री संगठन को तीन पेज का पत्र भेज मेयर पद के लिए दावेदारी की है।
जुगरान ने पत्र में राज्य आंदोलन से अभी तक किये गए अपने संघर्ष व विभिन्न जेल यात्राओं का उल्लेख भी किया है। जुझारू जुगरान ने विभिन्न जनमुद्दों पर सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़ी गयी जंग की चर्चा कर भाजपा नेतृत्व का ध्यान खींचा है। 1997 में भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी की सरकारों में मिले दायित्वों के निर्वहन का भी जिक्र किया है।
जुगरान ने कहा कि बीते 34 वर्षों से भी अधिक समय से सतत राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में पार्टी कार्यकर्ता के रूप में पूरी तरह से सक्रिय रहा हूँ और पार्टी हित में ही कार्य किया है। गौरतलब है कि विधानसभा टिकट की जंग में आन्दोलनकारी जुगरान को पार्टी नेतृत्व ने कभी कंसीडर नहीं किया। अब जुगरान के दावे के बाद भाजपा नेतृत्व के सामने एक और च्वाइस सामने आई है। जुगरान की छवि संघर्षशील नेता की रही है।
अभी तक निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, प्रकाश सुमन ध्यानी, ऋषिराज डबराल, दिगम्बर नेगी ,सौरभ थपलियाल, कुलदीप बुटोला, धीरेंद्र पंवार,अनिल गोयल, पुनीत मित्तल, सिद्धार्थ अग्रवाल सहित कई अन्य नाम सम्भावित दावेदारों के तौर पर लिए जा रहे हैं।
इधर, जुगरान की दावेदारी के बाद पार्टी हलके में एक नयी सुगबुगाहट देखी जा रही है।
देखें भाजपा नेता जुगरान का पत्र
विषय- उत्तराखण्ड के आगामी नगर निकाय चुनाव में देहरादून शहर के महापौर (मेयर) पद के प्रत्याशी हेतु प्रार्थी के नाम पर विचार करने हेतु सविनय निवेदन व महोदय के समक्ष पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मेरा संक्षिप्त परिचय।
महोदय
आपको अवगत करवाना है कि मैंने विधिवत रूप से वर्ष 1997 में मा० मनोहर कान्त ध्यानी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा, उत्तराखण्ड के सानिध्य में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।
महोदय वर्ष 1997 से लेकर वर्तमान समय तक मुझे भाजपा युवा मोर्चा व भारतीय जनता पार्टी में प्रदान किये गये विभिन्न दायित्वों का मैंने पूर्ण निष्ठा से व सफलतापूर्वक निर्वहन करने का प्रयास किया है।
महोदय मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूड़ी जी (सेवानिवृत) की सरकार में पार्टी ने मुझे राज्य युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान किया साथ ही डा० रमेश पोखरियाल निशंक जी की सरकार में पार्टी ने मुझे उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान किया।
महोदय यह भी अवगत करवाना चाहूँगा कि वैसे तो मैं वर्ष 1991 में ही राम मंदिर आन्दोलन के प्रारम्भ से ही भारतीय जनता पार्टी से जुड गया था और वर्ष 1991 में डी०ए०वी० (पी०जी०) कॉलेज छात्र संघ में महामंत्री का चुनाव भी मुझे पार्टी ने ही लड़ाया था जिसमें मैं विजयी रहा व छात्र संघ का महामंत्री निर्वाचित हुआ था।
महोदय इसके उपरान्त वर्ष 1993 में मैं डी०ए०वी० (पी०जी०) कॉलेज छात्र संघ में अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित हुआ था। महोदय विगत 34 वर्षों से भी अधिक समय से मैं सतत राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में पार्टी कार्यकर्ता के रूप में पूरी तरह से सक्रिय रहा हूँ और पार्टी हित में ही कार्य किया है।
महोदय उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद विपक्ष में रहते हुये भारतीय जनता पार्टी, उत्तराखण्ड के उन कार्यकर्ताओं में से हूँ जो विपक्ष में रहते हुये सबसे प्रखर, मुखर और संघर्षशील रहा हूँ, जिस कारण भारतीय जनता पार्टी ने मुझे प्रदेश प्रवक्ता के दायित्व का निर्वहन करने का सुअवसर भी प्रदान किया है।
महोदय उत्तराखण्ड के अनेक सामाजिक संगठनों से जुडाव और संरक्षक के रूप में कार्य करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है, महोदय वर्तमान समय में भी मैं उत्तराखण्ड के कई सामाजिक संगठनों से जुडा हुआ हूँ जिनके माध्यम से मुझे अनेकों प्रकार के सामाजिक कार्यों को करने का सुअवसर प्राप्त होता है।
वर्ष 1989 – 90 में जब केंद्र सरकार ने मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू किया तब उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अव्यवहारिक मण्डल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का विरोध किया और छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया, तब लगभग 08 – 09 दिनों तक मैं देहरादून जिला कारागार में निरुद्ध रहा।
वर्ष 1994 में मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा जब उत्तर प्रदेश में 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू किया तब पर्वतीय क्षेत्रों में इस अव्यवहारिक 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के विरोध में प्रदेश के छात्रों, नौजवानों को एकजुट किया और आन्दोलन का नेतृत्व किया। बाद में सितम्बर 1994 में इस आन्दोलन को अलग उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की मांग को लेकर आन्दोलन का नेतृत्व किया।
वर्ष 1994 से वर्ष 2000 तक अलग उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की मांग को लेकर आन्दोलन का नेतृत्व किया। इस आन्दोलन में दर्जनों बार जेल में निरुद्ध रहना पड़ा, जिसमें प्रमुख रूप से मैनपुरी जेल में लगभग 15 दिन व बरेली सेंट्रल जेल में एक माह तक व देहरादून जेल में भी लगभग 17 दिन तक निरुद्ध रहा। मैंने अपने 34 वर्षों की राजनैतिक यात्रा में लगभग एक दर्जन बार जेल यात्रायें की हैं।
अलग उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की मांग को लेकर तत्कालीन केन्द्रीय मंत्रियों से वार्ता हेतु उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति का नेतृत्व किया। वर्ष 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी०वी० नरसिम्हा राव जी के प्रधानमंत्री आवास पर भी वार्ता का नेतृत्व किया।
न्याय, जनहित सरोकारों के लिये प्रतिबद्ध सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्त्ता के रूप में मैंने अब तक उत्तराखण्ड उच्च न्यायलय व सर्वोच्च न्यायलय में लगभग 25 जनहित याचिकायें दायर की हैं। मेरी जनहित याचिकायें उत्तराखण्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर रही हैं, जिनमें अधिकांश मामलों में निर्णय मेरी जनहित याचिकाओं के पक्ष में आया है।
अनेक सामाजिक संगठनों से जुडाव और संरक्षक के रूप में कार्य करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिये प्रतिबद्ध स्वच्छ, पारदर्शी, उच्च नैतिक मूल्यों, आचरण, व्यवहार, ईमानदारी, संघर्षशील, जागरूक, समर्पित राजनैतिक कार्यकर्त्ता के रूप में मैंने अपनी पहचान बनायी है।
मसूरी में जन्मा और देहरादून में लगभग 34 वर्षों से मैं राजनैतिक / सामाजिक क्षेत्र में सक्रीय रहा हूँ।
2- मूल रूप से मेरा पैतृक गाँव जनपद टिहरी, विकासखण्ड चम्बा, पट्टी उदयकोट, पो०ओ० नैल, ग्राम जुगड़ गाँव है।
3- मैं विगत 34 वर्षों से लगातार राजनैतिक / सामाजिक रूप से देहरादून में सक्रीय हूँ।
4- छात्र राजनीति से प्रारम्भ किया था और आज 34 वर्ष बाद भी युवाओं और उत्तराखण्ड से सम्बंधित सभी विषयों पर प्रखर, मुखर, संघर्षरत हूँ।
5- उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के उपरान्त पूरे प्रदेश में छात्रों/युवाओं से सम्बंधित सभी मुद्दों पर मैंने काम किया है और विद्यार्थियों / युवाओं से सम्बंधित किसी भी मुद्दे को नहीं छोड़ा है। मैं हमेशा सामाजिक विषयों, सरोकारों व भ्रष्टाचार पर मुखर रहा हूँ।
6- राज्य गठन के बाद विपक्ष में रहते हुये भारतीय जनता पार्टी, उत्तराखण्ड के उन कार्यकर्ताओं में से हूँ जो विपक्ष में रहते हुये सबसे प्रखर, मुखर, संघर्षशील रहा हूँ।
7- नारायण दत्त तिवारी सरकार में शिक्षित प्रशिक्षित युवाओं के लिये सरकार के खिलाफ संघर्ष करते हुये देहरादून में लगभग 09 दिन जिला कारागार में निरुद्ध रहा हूँ।
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