उठे स्वर, निर्दलीय विधायक उमेश कुमार अपने बयान का आधार व सबूत पेश करें
जुगरान व नेगी ने गैर जिम्मेदाराना बयान की जांच की मांग की
दो साल से विधायक की सदस्यता पर फैसला नहीं ले पायीं स्पीकर
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आंदोलनकारी व भाजपा नेता जुगरान ने विधायक उमेश कुमार के बयान को हास्यास्पद बताया
धामी सरकार ने तख्तापलट की साजिश के तार पुराने साजिशकर्ताओं से तो नहीं जुड़े हुए -नेगी
निर्दलीय विधायक के सरकार गिराने सम्बन्धी बयान की सीबीआई जॉच की मांग
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के सरकार गिराने सम्बन्धी बयान ने नया मोड़ ले लिया है। सदन में दिए गए बयान की प्रामाणिकता व तथ्यपरक आधार पर निर्दलीय विधायक की घेराबंदी शुरू हो गयी है।
गौरतलब है कि 22 अगस्त को गैरसैंण विधानसभा के निर्दलीय विधायक ने गुप्ता बंधुओं पर 500 करोड़ में बहुमत की धामी सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। लेकिन सदन के अंदर अपने आरोप के समर्थन में कोई सबूत व प्रमाण पेश नहीं कर पाए।
इस बयान के अगले दिन स्वंय सीएम धामी ने कहा था कि जांच एजेंसियां मामले की पड़ताल करेगी।

एक स्टिंग के जरिये हरीश रावत सरकार गिराने के अहम किरदार निर्दलीय विधायक के 500 करोड़ में सरकार गिराने के “गैरसैंण खुलासे” का राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान व जन सँघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कड़ा विरोध किया है।
आंदोलनकारी जुगरान ने बयान को गैरजिम्मेदाराना बताया
भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि विधानसभा के अंदर निर्दलीय विधायक का बयान गैर जिम्मेदाराना और हास्यास्पद है। प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार स्थिर है और रहेगी।
जुगरान ने कहा की विधायक उमेश कुमार जी का वक्तव्य की गुप्ता बंधु सरकार गिराने का षडयंत्र कर रहे हैं तो क्या विधायक जी यह कह रहे हें कि गुप्ता बंधु भाजपा विधायकों में ही सेंध लगा रहे हैं? जुगरान ने कहा कि विधायक के वक्तव्य की जांच पड़ताल जरूरी है आखिर उन्होंने किस मंतव्य व मंशा से यह बयान सदन में दिया था। रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि विधायक की स्वयं की पृष्ठ भूमि विवादित विवादास्पद रही है और वो हमेशा विवादों में रहे हैं। विधायक को उत्तराखण्ड में स्टिंग मास्टर के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि गुप्ता बंधु भाजपा सरकार में सेंध लगा रहे हैं। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के ऐसे सरकार को अस्थिर करने वाले बयान की गहन जांच जरूरी है। प्रदेश में कुछ लोगों ने कम समय में करोड़ों-अरबों कहां से कमा लिए। यह भी पड़ताल जरूरी हो गयी है।
किसके तार हैं गुप्ता बंधुओं से जुड़े हुए !
गुप्ता बंधुओं के जेल जाने के बाद से क्यों बरपा हंगामा !
दूसरी ओर, जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने रविवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि दो-तीन दिन पहले विधानसभा सत्र के दौरान सदन में एक विधायक द्वारा गुप्ता बंधुओं पर धामी सरकार का तख्तापलट करने संबंधी बयान दिया गया था, चूंकि बयान सदन में दिया गया है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है।
अगर तख्तापलट की साजिश थी तो इसकी घोषणा करने वाले ने पहले इस बात को क्यों सार्वजनिक नहीं किया ! ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि सदन में इस बात को रखा गया ।

रघुनाथ नेगी ने कहा कि आखिर क्यों गुप्ता बंधुओं के जेल जाने के बाद से इस बात का खुलासा किया गया कि सरकार गिराने की साजिश में गुप्ता बंधुओं का हाथ था , जबकि गुप्ता बंधु कुछ माह तक जेल में रहे ।
नेगी ने कहा कि एक प्रचंड बहुमत वाली सरकार के तख्तापलट की अगर साजिश हुई है तो उसके हर पहलु की बारीकी से जांच होनी चाहिए ।
हो सकता है कि इसके तार तत्कालीन हरीश रावत सरकार का तख्तापलट करने वालों में से तो नहीं जुड़े हुए ! या फिर राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए एवं विपक्ष का ध्यान बांटने के लिए इस तरह का बयान दिया गया ।

उन्होंने कहा कि यह बयान किस आधार पर दिया गया एवं इसकी प्रामाणिकता क्या है ! क्या सदन का समय खराब करने के लिए तो ऐसा नहीं किया गया ।
नेगी ने कहा कि जिन लोगों ने तत्कालीन हरीश रावत सरकार का तख्तापलट किया था उन लोगों के खिलाफ मोर्चा द्वारा सीबीआई जांच में उनको भी शामिल करने हेतु जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर मा. न्यायालय ने इनके खिलाफ भी सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे ।
यह भी संभव है कि कुछ हाशिए पर पड़े दल -बदल करने वाले नेता भी इसमें शामिल हो सकते हैं । नेगी ने कहा कि कैसे इन महाशय को पता लगा कि तख्ता पलट होने वाला है !यानी इस षड्यंत्र में भी खेला किया जाना था।
नेगी ने कहा कि पैसे के दम पर प्रदेश में इस तरह के खेल हमेशा के लिए बंद करने की जरूरत है, जिससे कोई भी जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को अपदस्थ /तख्तापलट करने की साजिश न कर सके ।
मोर्चा सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग करता है | पत्रकार वार्ता में -मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व अमित जैन मौजूद थे ।
दो साल से विधायकी की सदस्यता पर फैसला लंबित
निर्दलीय विधायक के चुनावी घोषणा पत्र में मुकदमे छुपाने व विधायक बनने के बाद राजनीतिक दल में शामिल होने के बाद सदस्यता पर तलवार लटकी है।

विधानसभा में उमेश कुमार की दल बदल के तहत सदस्यता खारिज करने को लेकर याचिका पर स्पीकर ऋतु खंडूडी दो साल बीतने के बाद भी कोई फैसला नहीं ले पायी हैं।
विधानसभा के भर्ती घोटाले की जॉच रिकॉर्ड समय में करने वाली स्पीकर ऋतु खंडूडी के निर्दलीय विधायक की सदस्यता पर फैसला नहीं लेने पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।

