ढाई साल से लंबित याचिका पर क्यों नहीं फैसला ले पा रही स्पीकर ?
फैसले में देरी पर इस्तीफा दें विधानसभाध्यक्ष -मोर्चा
अविकल उत्तराखंड
विकासनगर- खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के दल बदल कानून के उल्लंघन के मामले दायर याचिका का मुद्दा फिर नये सिरे से गर्मा गया है। विधानसभा भर्ती घोटाले में तुरत फुरत निर्णय लेने वालीं स्पीकर बीते ढाई साल से लंबित याचिका पर कोई फैसला नहीं ले पायी है।
इस मुद्दे पर स्पीकर ऋतु खंडूडी लीगल राय ले रहीं हैं और विस सचिवालय मामले सेजुड़ी आरटीआई पर साफ जानकारी नहीं दे रहा है। बुधवार को जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि 26 मई 2022 को रुड़की निवासी रविन्द्र पनियाला ने विधानसभाध्यक्ष के समक्ष खानपुर के निर्दलीय विधायक द्वारा दल- बदल किए जाने के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।
जिसमें उल्लेख किया गया था कि उक्त विधायक द्वारा निर्दलीय रूप से विधायक चुने जाने के उपरांत पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने और अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाकर बनाकर दल -बदल कानून का उल्लंघन किया है । नतीजतन, ये दल- बदल कानून की परिधि में आ गए हैं और इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।
नेगी ने कहा कि लगभग ढाई साल होने को हैं, इतने लंबे अंतराल के उपरांत भी विधानसभाध्यक्ष ऋतु खंडूरी द्वारा कोई कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर बहुत बड़ी मिली भगत की तरफ इशारा करता है ।आखिर किस बात का डर है उनको सता रहा है ! वह निर्णय लेने से क्यों डर रही हैं ! इस मिलीभगत का सबसे बड़ा प्रमाण यह भी है कि विधानसभा सचिवालय का कोई भी अधिकारी सदस्यता संबंधी मामले में दस्तावेज देने को तैयार नहीं है ।
यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने कनिष्ठ अधिकारियों को 9-9 रिमाइंडर भेजने के उपरांत भी उनके द्वारा सदस्यता रद्द करने संबंधी मामले के कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए ।और सब चुप्पी साध गए हैं । सूचना आयोग में मामले की तिथि निर्धारित होने के उपरांत अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि सदस्यता रद्द करने संबंधी मामला विधानसभाध्यक्ष के पटल पर लंबित है/विचाराधीन है ।
मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्व में विधानसभाध्यक्ष ने विधानसभा भर्ती घोटाले में जिस तरह से नियुक्तियां रद्द कर दी थी, उस समय यह लगा कि इनमें कुछ कर गुजरने का माद्दा है लेकिन सदस्यता रद्द करने/ निर्णय लेने के मामले में विधानसभाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई न करना निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है । विधानसभाध्यक्ष को चाहिए कि इस मामले में निर्णय लें ,निर्णय चाहे कुछ भी हो, लेकिन हर हालत में निर्णय होना चाहिए । नेगी ने कहा कि पूर्व में दल -बदल के चलते विधायक राम सिंह केड़ा, प्रीतम पंवार, राजेंद्र भंडारी व राजकुमार आदि विधायकों को भी इस्तीफा देना पड़ा था ।
इसी क्रम में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय वर्ष 2016 में 9 विधायकों द्वारा दल- बदल करने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी ।
रघुनाथ नेगी ने कहा कि आज जनता सवाल पूछ रही है कि यह दोहरा मापदंड क्यों ! मोर्चा इस मिलीभगत / नाकामी के मामले में स्पीकर खंडूरी से इस्तीफे की मांग करता है । पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, भीम सिंह बिष्ट व प्रमोद शर्मा मौजूद थे।
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