रंगीलो गढ़देशः संगीत के फलक पर सितारों की जगमग

विपिन बनियाल/अविकल उत्तराखंड

देहरादून। अभी ज्यादा समय नहीं हुआ, जब बैडू पाको गाने को नए अंदाज में पेश किया गया था। पहाड़ के सितारों का इस गीत के बहाने कौथिग जुटा था। रंगीलो गढ़देश उस स्तर की कोशिश तो नहीं है, लेकिन अहम कोशिश जरूर है, जिसमें पहाड़ के कई लोक कलाकार एक साथ अपनी चमक बिखेर रहे हैं। इन कलाकारों को एक सूत्र में पिरोने का महत्वपूर्ण काम जाने-माने लोक गायक किशन महिपाल ने किया है। हालांकि यह भी दिलचस्प बात है कि यह गाना सिर्फ किशन महिपाल को ही आॅफर किया गया था। किशन महिपाल चाहते, तो इसे अकेले ही गा सकते थे, लेकिन उनकी दिल की आवाज यह निकली कि अन्य प्रमुख गायकों को भी इस गाने का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने इस विचार को आगे बढ़ाया। खुद भी कोशिश की, तो एक अच्छा गाना सुंदर स्वरूप में सामने आ गया।

दरअसल, रंगीलो गढ़देश गीत पूर्व शिक्षक जंगबहादुर नेगी ने लिखा है। प्रोड्यूसर कुलदीप रावत अपने शिक्षक के लिखे गीत को प्रभावी ढंग से दुनिया के सामने लाना चाहते थे। उन्होंने इसे गाने और संगीत देने के लिए किशन महिपाल को साइन कर लिया। हालांकि किशन महिपाल के दिल में कुछ और ही था। बाद में किशन महिपाल के साथ ही नरेंद्र सिंह नेगी, मीना राणा, संजय कुमोला, सौरव मैठाणी, अमित खरे, अंजली खरे और अमन उनियाल की आवाज भी रंगीलो गढ़देश का हिस्सा बन गई।
रंगीलो गढ़देश यानी जीवंत पहाड़।

उत्तराखंड की इसी जीवंतता के दर्शन कराता है रंगीलो गढ़देश गाना, जिसमें अब पहाड़ केे कई सितारों की चमक अलग से बिखर रही है। रंगीलो गढ़देश गाने का संगीत पक्ष तो बढ़िया है ही, इसका प्रस्तुतिकरण भी शानदार है। खास कर उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को बखूबी कैमरे में उतारा गया है। महत्वपूर्ण बात ये भी है कि सभी कलाकारों ने पहाड़ की खूबसूरती का बखान करते इस गाने के साथ दिली जुड़ाव रखा है। इस कारण पेशेवर तकाजे उभर नहीं पाए हैं। धुन पहाड़ की यूट्यूब चैनल में खुद किशन महिपाल ने मेरे साथ बातचीत में इस गाने के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पर तफसील से बात की है। आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को देख सकते हैं।

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