वैवाहिक जीवन में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्परिभाषा जरूरी- स्वामी अवधेशानंद गिरी

समाज में बढ़ती तलाक की प्रवृत्ति पर चिंतन

अविकल उत्तराखंड

हरिद्वार- समाज में तेजी से बढ़ती तलाक की प्रवृत्ति और बदलते पारिवारिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में आज हरिद्वार में देवभूमि विकास संस्थान के तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक परम पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज के सान्निध्य में तथा हरिद्वार के सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।

स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में प्री-वेडिंग काउंसलिंग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “विवाह केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसमें समझ, सहनशीलता और समर्पण की आवश्यकता होती है।” उन्होंने समाज के चार प्रमुख वर्गों के लिए मार्गदर्शन को आवश्यक बताया:

  1. विवाह योग्य युवा जोड़े – जिन्हें वैवाहिक जीवन की वास्तविकताओं के प्रति मानसिक व भावनात्मक रूप से तैयार किया जाना चाहिए।
  2. उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले युवा – जो विद्यालय से निकलकर कॉलेज जीवन में प्रवेश करते हैं, उन्हें नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है।
  3. माता-पिता – जो अपनी संतानों को संस्कारित जीवन के लिए प्रेरित कर सकते हैं और स्वयं संवाद व समर्पण का उदाहरण बन सकते हैं।
  4. तलाक अथवा संबंध-विच्छेद से गुज़रे व्यक्ति – जिनके अनुभवों से समाज बहुत कुछ सीख सकता है।

बैठक को संबोधित करते हुए त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लिव-इन रिलेशनशिप की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई और इसे पारिवारिक व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि “युवा पीढ़ी को उचित मार्गदर्शन देने के लिए संस्थागत प्रयासों की सख्त आवश्यकता है।”

बैठक में रमेंद्री मंद्रवाल, एडवोकेट रवि नेगी, सतेंद्र नेगी, डॉ. राकेश भट्ट, प्रमोद रावत, डॉ. एच.सी. पुरोहित, कृति रावत, यशवंत रावत समेत विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, समाजसेवियों व युवा प्रतिनिधियों ने सहभागिता की और विषय पर सार्थक विचार-विमर्श किया।

देवभूमि विकास संस्थान शीघ्र ही प्री-वेडिंग काउंसलिंग सत्रों की एक श्रृंखला आरंभ करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को वैवाहिक जीवन के लिए तैयार करना और पारिवारिक संस्था को सुदृढ़ बनाना है।

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