अविकल उत्तराखंड
देहरादून। कृषि गणना योजना के द्वितीय एवं तृतीय चरण का प्रशिक्षण कार्यकम सम्पन्न हुआ।
कृषि संगणना के आंकड़ों को उपयोग विभिन्न हितधाराकों द्वारा विकास योजना, सामाजिक आर्थिक नीति निर्माण और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की स्थापना के लिए किया जाता है।
कृषि गणना योजना के द्वितीय चरण में प्रदेश के 20 प्रतिशत राजस्व ग्रामों में सिचिंत एवं असिंचित क्षेत्रफल, जोत के पट्टे की सूचना एवं फसल पैटर्न को AG Census App के माध्यम से फीड कर डाटा संकलन किया जाता है।
कृषि गणना के तृतीय चरण में काश्तकार के परिवार के सदस्यों की संख्या, शिक्षा का स्तर, आयु एवं काश्तकार द्वारा उपयोग किये जाने वाले इनपुट-खाद, रसायनिक उर्वरक, बीज, दवाइयां, कृषि ऋण, कृषि यंत्र आदि की सूचना संकलित की जाती है।
कृषि संगणना के मुख्य उद्देश्य प्रचालन जोतों की संख्या एवं क्षेत्रफल की गणना, भूमि उपयोग एवं फसल पैटर्न, सिंचाई एवं काश्तकारी विवरण, अनुसूचित जाति/जनजाति/महिला सहित विभिन्न आकार के जोतों का विवरण, कृषि में इनपुट उपयोग के पैटर्न, कृषि संगणना के मुख्य उद्देश्य हैं।
आनन्दबर्द्धन, अपर मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड/अध्यक्ष, राजस्व परिषद्, जागृति गोयल, सहायक निदेशक, भारत सरकार, चन्द्रेश कुमार आयुक्त एवं सचिव, राजस्व परिषद्/निदेशक कृषि संगणना, शिवकुमार बरनवाल अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ एवं श्रीमती इला गिरी, अपर जिलाधिकारी पौड़ी, सुरेश चन्द सिंह, सहायक निदेशक (कृषि संगणना) एवं जनपदों से आये सहायक भूलेखाधिकारी, अपर सांख्यिकीय अधिकारी एवं सहायक सांख्यिकीय अधिकारियों, कृषि निदेशालय उत्तराखण्ड एवं राजस्व परिषद् के सांख्यिकी अनुभाग के कार्मिकों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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