वरिष्ठ पत्रकार आर पी नैनवाल का निधन, सीएम समेत पत्रकार संगठनों ने जताया दुख

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। वरिष्ठ पत्रकार आर पी नैनवाल का ह्रदय गति रुकने से निधन हो गया। उन्होंने गुरुग्राम के अस्पताल में अंतिम सांस ली। नैनवाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया में कई साल तक काम किया। उनके निधन पर सीएम धामी सहित कई पत्रकार संगठनों ने दुख जताया। छोटे शहरों कस्बों और फ्रीलांस पत्रकारों के समाजिक सुरक्षा और उनकी पेंशन के मुद्दों की मांग पर हमेशा मुखरता से सरकार के सम्मुख खुलकर अपनी बात रखते थे तथा पत्रकारो के हितों की बात करने में हमेशा आगे रहते थे।

नैनवाल पहाड़ से निकले अंग्रेजी के चुनिंदा पत्रकारों में शामिल रहे हैं। आपको पत्रकारिता में बड़ा ब्रेक टाइम्स आफ इंडिया में मिला और अखबार के अहमदाबाद संस्करण में वरिष्ठ उपसंपादक उपसंपादक रहे। वर्ष 1988 में समाचार संपादक के रूप में प्रोन्नत होकर टाइम्स ऑफ इंडिया के जयपुर एडीशन से जुड़े। इसके बाद 1992-93 में टाइम्स, नई दिल्ली संस्करण के देहरादून ब्यूरो के विशेष संवाददाता रहे और इसी पद से रिटायर हुए। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में एक सक्रिय पत्रकार के रूप में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। रिटायरमेंट के बाद भी आप दक्षिण के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक डेक्कन हेराल्ड के अलावा गढ़वाल पोस्ट में लिखते रहे।

अत्यंत विनम्र और मिलनसार नैनवाल के पिता एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी थे। आपके एक भाई भारतीय वन सेवा और दूसरे भारतीय पुलिस सेवा में थे। बड़ी बहन मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी की पत्नी हैं। आपकी पत्नी होम साइंस में पीएचडी हैं। आपकी दो बेटियां आईटी क्षेत्र में उच्च पदों पर आसीन हैं। मृत्यु के समय वे अपनी बेटी के पास गुड़गांव में थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ पत्रकार आर.पी नैनवाल के आकस्मिक निधन पर दुःख व्यक्त किया। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने वरिष्ठ पत्रकार नैनवाल के निधन पर दुःख व्यक्त किया और दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है।

नैनवाल, बहुत व्यापक दृष्टिकोण के पत्रकार होने के साथ ही उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के मुद्दों को राष्ट्रीय पटल तक पहुंचाने वाले पत्रकारों में शुमार होते थे। वे बेहद सरल और मृदुभाषी होने के साथ राज्य बनने के बाद निर्भीकता से सत्ता और सरकारों के कामकाज पर बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। उनके निधन से देश और उत्तराखण्ड की पत्रकरिता का एक बड़ा स्तंभ ढह गया। उमाकांत लखेड़ा पूर्व अध्यक्ष, प्रेस क्लब आफ इंडिया। 

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