जन संगठनों ने जनसुनवाई रोकने की मांग की
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। बिंदाल और रिस्पना नदियों पर प्रस्तावित ‘एलीवेटेड रोड’ परियोजनाओं की हाल में प्रकाशित सामाजिक असर आकलन (SIA) रिपोर्ट को लेकर जन संगठनों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। मंगलवार को ‘दून समग्र विकास अभियान’ के बैनर तले विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव को पत्र सौंपकर इन रिपोर्टों को अधूरा, अपारदर्शी और कानूनी मानकों के विपरीत बताया।
हस्ताक्षरकर्ताओं का कहना है कि रिपोर्ट में न तो परियोजना का नक्शा है, न प्रभावित लोगों की संख्या, न पुनर्वास की योजना, न पर्यावरणीय असर का आकलन। यहां तक कि मसूरी रोड पर प्रभाव, प्रदूषण, जल बहाव और यातायात व्यवस्था पर असर के बारे में भी कोई विवरण नहीं दिया गया। आरोप है कि DPR फरवरी में ही बन चुका है, लेकिन उसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया और आरटीआई के जरिए भी इसकी जानकारी देने से इनकार किया गया।
संगठनों ने यह भी कहा कि जनसुनवाई के लिए केवल तीन दिन का समय देकर प्रशासन नियमों का उल्लंघन कर रहा है, जबकि कानून के मुताबिक कम से कम तीन सप्ताह का समय जरूरी है। उनका कहना है कि बिना पूरी जानकारी जनता के साथ जनसुनवाई करना गैरकानूनी है।
पत्र में मांग की गई है कि अधूरी SIA रिपोर्ट को रद्द किया जाए और प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से दोबारा संचालित किया जाए। साथ ही, सरकार से अपील की गई कि इस महंगे और विनाशकारी प्रोजेक्ट को रद्द कर, धनराशि को बस सेवाओं में सुधार, ट्रैफिक प्रबंधन, आवास परियोजनाओं और अन्य ज़रूरी नागरिक सुविधाओं पर खर्च किया जाए।

