गैर क़ानूनी बेदखली कार्यवाही के खिलाफ नगर निगम का घेराव

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। विपक्षी दलों एवं जन संगठनों ने नगर निगम का घेराव किया।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अपने ही 2018 के कानून एवं वादों की धज्जिया उड़ा कर सरकार मज़दूर परिवारों को उजाड़ कर पुनर्वास के नाम पर ऐसी जगह में उनका विस्थापन करना चाह रहे हैं जो उनके परिवारों के लिए रहने लायक नहीं है और जहाँ पर उनकी जान के लिए भी खतरा हो सकता है। कांठ बंगले बस्ती में 21 तारीख को MDDA द्वारा दिए गए 15 दिन के अंदर खाली करने का नोटिस पर आक्रोश जताते हुए वक्ताओं ने कहा कि 2018 के मलिन बस्ती अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि 2016 से पहले रह रहे लोगों पर 2027 तक ज़बरन कार्यवाही नहीं की जा सकती है, ताकि सरकार इन क्षेत्रों के लिए स्थाई नीति बना पाए।

अब जब नोटिस में ही स्वीकारा जा रहा है कि प्रभावित लोग 2016 से पहले रह रहे हैं, यह नोटिस कानून के खिलाफ है। इसके अतिरिक्त नोटिस में लिखा है कि नगर निगम द्वारा फ्लैट का आवंटन किया जायेगा लेकिन वह फ्लैट बहुत  प्रभावित परिवारों के लिए रहने लायक नहीं है, और उनमें खतरा भी हो सकता है। कहीं परिवारों को नोटिस दिया गया है जबकि वह नदी से दूर में रह रहे हैं।  प्रदर्शनकारियों ने नगर निगम से मांग की कि वह प्राधिकरण का इस गैर क़ानूनी काम में सहयोग न दे, और अगर फ्लैग में खतरा न होने की बात की पुष्टि होती, तो उसके बाद इन फ्लैट उन लोगों को आवंटित किया जाये जो सही में खतरे में रह रहे हैं और जिनके परिवारों के लिए यह फ्लैट रहने लायक होंगे।  ऐसे ज़बरदस्ती, जल्दबाजी और लापरवाही से कदम उठाने से यह लगता है कि प्रशासन की मकसद लोगों का पुनर्वास कराना नहीं है बल्कि एलिवेटेड रोड एवं अन्य विनाशकारी परियोजनाओं के लिए ज़मीन खाली करने का है। 

प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए शहर के महापौर सौरभ थपलियाल ने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को ले कर प्राधिकरण के अधिकारीयों को बुलाया जायेगा और ज्ञापन द्वारा उठाये गए बिंदुओं पर गंभीरता से विचार किया जायेगा।  निकलते हुए प्रदर्शनकारियों ने तय किया कि अगर प्रशासन इस गैर क़ानूनी कदम को वापस नहीं लेता, आने वाले सप्ताह में वह दोबारा आंदोलन करेंगे। 

प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय शर्मा और प्रवीण त्यागी, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड के हरबीर सिंह कुशवाहा, समाजवादी पार्टी के सायेद अहमद एवं चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, सुनीता, रमन, भूपेंद्र, मिश्रा, इत्यादि मौजूद रहे। 

ज्ञापन सलग्न।
निवेदक

दून समग्र विकास अभियान

ज्ञापन

सेवा में

महापौर महोदय

नगर निगम, देहरादून

विषय: कांठ बंगले बस्ती से ज़बरन विस्थापन करने के संबंध में

महोदय,

22 नवंबर को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) की और से कांठ बंगले बस्ती के निवासियों को नोटिस जारी किया गया है कि 15 दिन के अंदर वह अपने घरों को खाली करे और नगर निगम द्वारा उनको बगल में बने हुए आवासीय फ्लैट में विस्थापित किया जायेगा।

महोदय, इस सन्दर्भ में हम कुछ बातों को आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे:

  1. उत्तराखंड नगर निकायों और प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान अधिनियम, 2018 के धारा 4(3) के अनुसार “(3) उपधारा (1) में संदर्भित अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित प्रकरणों में किसी भी उत्तराखंड अधिनियम संख्या 24 वर्ष 2021 एवं उत्तराखंड अधिनियम संख्या 5 वर्ष 2025 द्वारा संशोधित स्थानीय निकाय/प्राधिकरण द्वारा दिये गये नोटिस के फलस्वरूप होने वाली दण्डात्मक कार्यवाही इस अधिनियम के लागू होने की दिनांक से आगामी 09 वर्ष के लिए स्थगित रहेगी एवं इस अवधि में इन प्रकरणों पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकेगी।”  MDDA की और से दिए गए नोटिस इस क़ानूनी प्रावधान के विरोध में हैं, और हम आपसे विनम्र निवेदन करना चाहेंगे कि नगर निगम इस गैर क़ानूनी प्रक्रिया में सहयोग न करे।  एमडीए को भी उसकी गैर कानूनी कार्रवाई को न करने हेतु अलग से एक ज्ञापन भी दिया जा रहा है।यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा कोई पुनर्वास नीति अभी तक बनायी ही नहीं गई है।
  2. इसके अतिरिक्त सत्ताधारी दल की और से जनता को स्पष्ट आश्वासन दिया गया है कि 2016 से पहले रहने वाले परिवारों को ले कर ज़बरन हटाने की  कार्यवाही पर रोक लगाई गयी है  और मलिन बस्तियों को नहीं उजाड़ी जाएगी। इस बात पर 17 जनवरी को माननीय मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट बयान दिया था।  अब जब MDDA कानून और सरकार की घोषित नीतियों के विरोध में अवैध कार्यवाही पर उतर रही है, इस समय नगर निगम की और से स्पष्ट राय लिया जाये, यह भी हमारे आपसे निवेदन है। 
  3. नगर निगम EWS फ्लैट ज़रूरतमंद परिवारों को देने की नीति बनाना चाह रही है, यह बात सराहनीय एवं स्वागतयोग्य है। लेकिन  पुरे देश के अनुभवों से यह बात स्पष्ट है कि पुनर्वास की प्रक्रिया तब सफल हो पाता है जब वह प्रभावित लोगों की भागीदारी एवं सहमति से की जाती है। जिन आवासीय फ्लैट की बात की जा रही है, वह किसी भी बड़े परिवार के लिए रहने लायक नहीं है। तो जिन परिवारों को नोटिस दिया गया है उनसे न उनकी राय के बारे में पूछा गया है और न ही उनके परिवारों की बातों को ध्यान में रखा गया है।  नगर निगम से हमारे निवेदन है कि रिस्पना नदी किनारे जो लोक खतरे में रह रहे हैं और जो इस प्रकार के विस्थापन के लिए तैयार हैं, उन्ही को ही इन फ्लैट का आवंटन किया जाये। 
  4. महोदय, किसी भी विस्थापन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले नगर निगम और प्रशासन को  इन आवासीय फ्लैट को ले कर दो बातों की पुष्टि करनी चाहिए, पहली बात यह है कि यह स्थान बाढ़ के समय में सुरक्षित रहेगा क्या, और दूसरी बात यह है कि पंद्रह साल से ज्यादा यह फ्लैट आधा निर्मित स्थिति में रहने की वजह से उनके ढांचा में कोई कमज़ोरी तो नहीं आयी है? जब तक इन दोनों बातों की पुष्टि नहीं होती है, तब तक किसी को इन में रहने देना शायद प्रशासन की और से लापरवाही होगी।  और जिन परिवारों की यह भवन आवंटित किए जाएंगे उनकी जान को जोखिम में डालने के तुल्य होंगे  एक कल्याणकारी राज्य वेलफेयर स्टेट में यह ना तो प्रशासनिक स्तर पर उचित है और नहीं मानवीय दृष्टिकोण से उचित है
  5. जिस जल्दबाजी एवं लापरवाही से इस कार्यवाही को किया जा रहा है, उससे जनता के बीच में यह आशंका पैदा हो रही है कि सरकार एलिवेटेड रोड एवं अन्य विनाशकारी परियोजनाओं के लिए लोगों को हटाना चाह रही है और इसके लिए इस क्षेत्र को वह उदहारण बनाना चाह रही है।  हम प्रशासन को याद दिलाना चाहेंगे कि एलिवेटेड रोड जैसे परियोजनाओं के खिलाफ शहर भर में लोगों ने आवाज़ उठाया है और अगर उसके लिए प्रशासन गैर क़ानूनी कदम उठा रहा है, यह बेहद निंदनीय एवं जन विरोधी है। 

अतः हमारा आपसे निवेदन है कि MDDA की इस गैर क़ानूनी प्रक्रिया में नगर निगम किसी भी प्रकार का सहयोग न करे और कांठ बंगले के फ्लैट की सुरक्षा को ले कर पुष्टि होने के बाद नगर निगम सही में ज़रूरतमंद परिवारों को उनकी सहमति के साथ उनका आवंटन करे। 

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