उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे पर मंथन
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त अंतर को कम करने के लिए अंतर विश्लेषण (गैप एनालिस) पर राजभवन में एम्स ऋषिकेश द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई।
इस परिचर्चा में विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में विभिन्न क्षेत्रों में अंतर को कम किए जाने हेतु अपने-अपने विचार रखे जिसमें एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो. मीनू सिंह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, प्राचार्य हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून प्रो. ए.के. देवराड़ी, कुलपति चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. मदन लाल ब्रह्मभट्ट मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि उत्तराखंड के भौगोलिक परिदृश्य के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं को पंहुचाना बेहद चुनौतीपूर्ण है इस तरह की परिचर्चा और मंथन से ही उसके समाधान निकलेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए एआई और तकनीकी का प्रयोग जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि एम्स दिल्ली में जिस प्रकार से डैशबोर्ड के माध्यम से सभी सुविधाओं की जानकारी तक लोगों की पहुंच को आसान बना दिया है राज्य में भी ऐसे अभिनव प्रयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत और अपनी कार्यबल क्षमता को बढ़ाकर अंतर विश्लेषण को कम किया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि टेलीमेडिसिन, टेली कंसल्टेशन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, हैली एंबुलेंस जैसे प्रयास राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए हैं जिसे और अधिक व्यापक स्तर पर किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को भी पूरा करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि आज की परिचर्चा से जो निष्कर्ष निकलेगा वह हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक सुदृढ़ और आम आदमी तक उसकी पहुंच को और आसान करेगा। उन्होंने कहा कि इस परिचर्चा के सुझावों को मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव के साथ साझा किया जाएगा।
परिचर्चा में एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद स्वास्थ्य उपकरणों और दवाइयों के लिए एकीकृत-डैशबोर्ड बनाए जाने की जरूरत बताई जिससे चिकित्सा इकाइयों में उपकरणों और दवाइयों की जानकारी उपलब्ध हो सके, जिसे जरूरत के अनुसार उपयोग में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि उपकरणों के रखरखाव के लिए हर चिकित्सा इकाइयों में बायोमेडिकल इंजीनियर की नियुक्ति जरूरी है जिससे ऐसे उपकरणों की देखभाल सही से की जा सके। निदेशक एम्स ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मैन पावर को प्रशिक्षित किया जाना भी जरूरी है और सप्लाई चैन को निरंतर ठीक करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग हेतु एम्स सदैव तत्पर है।
परिचर्चा में प्राचार्य हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून प्रो. ए.के. देवराड़ी ने भी अपने सुझाव और अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि स्पेशलिटी और सुपर स्पेशलिटी में डॉक्टर्स की कमी की जड़ तक जाना होगा और इनकी रिक्तियों को भरने के विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे डॉक्टर्स को लोगों के बीच जाना चाहिए और उनकी समस्याओं का अनुभव कर उसके निदान खोजें जाने चाहिए। निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना ने विभाग द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सभी उपस्थित लोगों को इस परिचर्चा में प्रतिभाग हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अपर सचिव श्री राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, कुलपति चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. मदन लाल ब्रह्मभट्ट, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. विनीता शाह एवं मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सहित स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञ मौजूद रहे।
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