अविकल उत्तराखंड
देहरादून । सहकारिता सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य भंडारण निगम के परिचालन प्रदर्शन और भविष्य की रणनीतियों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक बुलाई। आज शुक्रवार को निबन्धक कार्यालय में हुई बैठक का मुख्य उद्देश्य निगम की भंडारण क्षमताओं का मूल्यांकन और सुधार करना था, ताकि वर्तमान और अनुमानित वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। कुशल भंडारण समाधानों की तत्काल आवश्यकता के मद्देनजर, सचिव जावलकर ने भंडारण क्षमताओं का विस्तार करने और उन्हें बाजार की मांग के अनुसार अनुकूलित करने के महत्व पर जोर दिया।
राज्य भंडारण निगम वर्तमान में खाद्यान्न और उर्वरकों की महत्वपूर्ण मात्रा की देखरेख करता है। इनमें भारतीय खाद्य निगम और खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के लिए खाद्यान्न, साथ ही इफको के उर्वरक शामिल हैं। वर्तमान में, निगम के पास कुल 114,998 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता है, जो विभिन्न सुविधाओं में वितरित की जाती है। यह क्षमता खाद्य विभाग के लिए आरक्षित 69,200 मीट्रिक टन, भारतीय खाद्य निगम के लिए 44,298 मीट्रिक टन और इफको के लिए 1,500 मीट्रिक टन से बनी है। उल्लेखनीय रूप से, निगम ने 90.31 प्रतिशत की भंडारण क्षमता उपयोग दर हासिल की है, जो परिचालन दक्षता के उच्च स्तर को दर्शाता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि बुनियादी ढांचा मजबूत और जरूरतों के प्रति उत्तरदायी बना रहे, जावलकर ने अधिकारियों को सभी मौजूदा गोदामों का भौतिक निरीक्षण करने का निर्देश दिया। ये साइट मूल्यांकन प्रत्येक सुविधा की स्थितियों और परिचालन स्थिति के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आवश्यक संवर्द्धन या समायोजन के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी। अधिकारियों को इन निरीक्षणों के बाद विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है, जिसमें क्षमता और उपयोग मीट्रिक दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इसके अलावा, बैठक में विस्तार की तत्काल आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। भंडारण बाधाओं को कम करने के लिए, दस स्थानों- खटीमा, ऋषिकेश, श्रीनगर, कोटद्वार, रामनगर, रुड़की, हरिद्वार, काशीपुर और गदरपुर में नए गोदामों के निर्माण के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इन नई सुविधाओं का लक्ष्य 48,000 मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता का योगदान देना होगा, जिससे राज्य भंडारण निगम की समग्र भंडारण क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
भंडार निगम के बाद सचिव जवालकर ने सहकारिता विभाग की समीक्षा में अधिकारियों से सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं के संबंध में प्रगति रिपोर्ट जानी। साथ ही सचिव ने निर्देश दिए कि राज्य के पर्वतीय जनपदों में लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए सहकारिता के क्षेत्र में और प्रयासों की जरूरत है। ताकि सरकार की विभिन्न योजनाओं का आम जन अधिक से अधिक फायदा ले सकें, इसके लिए ऐसी व्यवस्था की जाए कि एक जैसी प्रकृति की योजनाओं के तहत लोगों को संबंधित विभागों की योजना का लाभ उठाने के लिए मिश्रित लोन लेने की सुविधा मिल सके। सहकारी बैंकों द्वारा एनपीए को कम करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जाएं। बैंकों को ऋण जमा अनुपात को बढ़ाने के दिशा में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में और प्रयासों की आवश्यकता है। निबंधन कार्यालय में बैठक के दौरान अधिकारियों को ये निर्देश दिए गए। अल्पकालीन और मध्यकालीन ऋण वितरण दीनदयाल सहकारिता किसान कल्याण योजनागत ऋण वितरण प्रगति सहकारी बैंकों में प्रगति समीक्षा।
सचिव जावलकर ने कहा कि लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। क्लस्टर आधारित अप्रोच पर अधिक ध्यान दिया जाए। पर्वतीय जनपदों में सहकारिता आधारित कार्यों को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है। राज्य में मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएं। इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। आम जन को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके, इसके लिए सहकारी बैंकों के माध्यम से लोन की प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। इसके साथ ही सभी जनपदों के एआर को निर्देश दिए गए कि जल्द से जल्द डीसीडीसी की बैठक सभी जनपदों में कर दी जाए। इसके साथ ही सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं की आम जन को गोष्ठियों एवं कैम्प के माध्यम से जानकारी दी जाए। समीक्षा बैठक में रजिस्टार कोऑपरेटिव सोनिका, एमडी राजकीय भंडारण निगम रमिन्द्री मंद्रवाल, अपर निबन्धक ईरा उप्रेती, अपर निबन्धक आनंद शुक्ल, संयुक्त निबंधक नीरज बेलवाल, संयुक्त निबन्धक एमपी त्रिपाठी सहित सचिवालय के सहकारिता विभाग के अधिकारी थे। जिलों से जिला सहायक निबन्धक ऑन लाइन मीटिंग से जुड़े।
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