स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जन्मदिन पर अंग दान का लिया संकल्प

73 वें वर्ष में प्रवेश पर 73 हजार पौधों के रोपण का महासंकल्प

अविकल उत्तराखंड

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के 73 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर परमार्थ निकेतन में बड़ी ही धूमधाम से हरित जन्मोत्सव-पर्यावरण सेवा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस दिव्य, भव्य और अलौकिक हरित जन्मोत्सव-पर्यावरण सेवा महोत्सव में माननीय राज्यपाल केरल आरिफ मोहम्मद खान साहब और मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहरलाल खट्टर सहित पूज्य संतों, विशिष्ट अतिथियों और देश-विदेश से आये अनेक विभूतियों ने सहभाग किया पूज्य स्वामी जी को जन्मदिवस की शुभकामनायें भेंट करते हुये उनके पर्यावरण समर्पित जीवन से प्रेरित होकर अपने संकल्पों को दोहराया।

पूज्य स्वामी महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर देश-विदेश के अनेक भक्तों, श्रद्धालुओं, पूज्य संतों, राजनेताओं और अभिनेताओं के वीडियों संदेश, लिखित संदेश, शुभकामनायें और पर्यावरण के प्रति समर्पित संकल्पों के अनेक संदेश प्राप्त हुये।
इस दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से पर्यावरण को समर्पित कई नूतन पहलों के शुभारम्भ के साथ आगामी सेवा पहलों यथा दिव्यांगता मुक्त भारत, गंगा योग, गंगा कथा, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज, मनसून कांवड़ मेला पौधारोपण आदि कई पर्यावरण व मानवता को समर्पित योजनाओं की घोषणायें भी की।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जगद्गुरू शंकराचार्य जी महाराज से लेकर महामंडलेेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज तक की परम्परा को प्रणाम कर सभी पूज्य संतों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह प्राकट्य महोत्सव नहीं बल्कि पर्यावरण सेवा महोत्सव है। यह पूरा जीवन पर्यावरण, प्रकृति, धरती माता, गंगा जी सहित सम्पूर्ण मानवता को समर्पित है। हमारा सौभाग्य है कि परमात्मा ने हमें इस दिव्य भारत भूमि पर जन्म दिया।

स्वामी ने अभी पूज्य संतों व अतिथियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि सबसे बड़ा दान समय दान है आप सभी ने यहां पर आकर अपना अमूल्य समय दिया है। हमारे यहां बहुत सारी वैक्सीन है परन्तु आज विचारों के वैक्सीन की पूरे विश्व को जरूरत है क्योंकि विचार ही समाधान है। स्वामी जी ने कहा कि सनातन है तो नेचर है, सनातन है तो कल्चर है और सनातन है तो फ्यूचर है। राज्यपाल केरल, आरिफ मोहम्मद खान साहब ने कहा संतहृदय, सन्यासी व समाज को प्रेरणा देने वाले पूज्य स्वामी जी के जन्मदिवस पर मैं अपने विचारों की अभिव्यक्ति हेतु आया हूँ। उन्होंने का कि यह जन्मदिवस अपने संकल्पों का उत्सव मनाने का एक अवसर है इससे सभी की ञर्जा एकत्र हो जाती है और उस ऊर्जा से संकल्प की तरफ बढ़ने में आसानी होती है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत का सबसे बड़ा आदर्श एकात्मता है। दुनिया में संस्कृतियाँ रंग, भाषा, आस्था की परम्परा से बनी है। आदिगुरू शंकराचार्य जी ने मठों के द्वारा एकता की स्थापना की और चारों वेदों से एक-एक महावाक्य निकालकर उन चारों मठों को दिया परन्तु उन चारों का एक ही अर्थ है मैं और आप सब एक हैं और उस परमपिता परमात्मा की संतान है।
भारतीय संस्कृति यह मानती ही नहीं कि मैं शरीर हूँ। जो चीज परिवर्तनशील है, जो विनाश होने वाली चीजों में अविनाशी देख सके वहीं तो भारतीय संस्कृति है। जहां हम यह मान लिया कि मैं आत्मा हूँ यही विद्या है और जब हम यह मान लेते हैं कि मैं शरीर हूँ यह अविद्या है।

उन्होंने कहा कि अपनी स्वयं की इच्छाओं की पूर्ति के लिये किसी के जीवन को संकट में मत डालो। अगर पर्यावरण संकट में होगा तो सब का जीवन संकट में होगा इसलिये पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है। यह समय अपनी समीक्षा का है कि मेरे द्वारा किसी का अहित तो नहीं हो रहा। हमें जिम्मेदारी लेना सिखना होगा। उन्होंने कहा कि जिस स्थिति से हम गुजरते है उसके लिये हम स्वयं जिम्मेदार है। हमारे जीवन से मोह अगर भंग हो जाये तो स्थिरता व मजबूती आ जाती है। हमें मजबूती से अपने आदर्शों व मान्यताओं के लिये खड़ा होने चाहिये। पूज्य संतों का नेतृत्व व आशीर्वाद जरूरी है क्योंकि ये हमें अपने जिम्मेदारी का अहसास कराते हैं। जो भी मानवीय व्यवस्था है वे अपने दौर की समस्याओं का समाधान करंे वही वास्तविक व्यवस्था है और यही भारतीय संस्कृति है।

महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा आज प्रसन्नता का अवसर है, परमार्थ निकेतन के संस्थापक पूज्य स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज ने इसकी स्थापना की थी और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी इसका संचालन बड़ी ही निष्ठा से कर रहे हैं। स्वामी जी की सेवा में अद्भुत रूचि है, वे समाज व देश के लिये अत्यंत उपयोगी है। वे सभी मर्यादाओं का पालन करने वाले हैं। परमार्थ निकेतन संस्था पूरे देश का एक मूर्धन्य स्थान है। पूज्य संतों के आशीर्वाद से परमार्थ निकेतन पूरी दुनिया का सतत मार्गदर्शन करता रहे।

योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा हम सभी पूज्य स्वामी के जन्मदिवस पर अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करने आये हैं। ग्रीन व क्लीन अर्थ के पीछे समर्थ भारत और समृद्ध भारत का दर्शन है। स्वामी का जीवन गंगा के प्रवाह की तरह सभी के लिये निर्मल और सहज है। सनातन एक जीने का तत्व है, श्री राम एक व्यक्तित्व है और जीने का तत्व है। उन्होंने एकत्व, सहयोग, सामन्जस्य और सद्भाव का संदेश देते हुये कहा कि जैसे हमारा शरीर एकत्व का उत्कृष्ट उदाहरण है वैसे ही पूरे देश को एकत्व के साथ आगे बढ़ना होगा। स्वामी ने सनातन तत्व को जिया है उनका पूरा जीवन पूरूषार्थ व परमार्थ हेतु समर्पित है।

जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती पर्यावरण संरक्षण की प्रेरक विभूति हैं। पूज्य स्वामी जी पेड़ व आरती वाले स्वामी जी के नाम से पूरे देश में जाने जाते हैं। वेद में उल्लेख है कि दस पुत्रों के बराबर एक कन्या है और सौ कन्याओं के बराबर एक पेड़ है इसलिये पेड़ों का रोपण जरूरी है। हजारों यज्ञों का फल एक वृ़़क्ष में है। स्वामी जी के द्वारा जल, वायु नदियों के संरक्षण का अद्भुत कार्य किया जा रहा है जो अनुकरणीय है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द ने कहा मनुष्य जीवन दुर्लभ है, परमपिता परमात्मा ने अपार क्षमतायें देकर हमें भेजा है इसलिये हमें विराट से जुड़ना है संर्कीण नही बनना है। हमारे जीवन का लक्ष्य विराट होना चाहिये। हमारा लक्ष्य बटोरने का नहीं बाटंने का होना चाहिये। जब लक्ष्य बाटंने का हो तो वह वरदान बन जाता है। जब से मनुष्य ने देने की प्रवृति छोड़कर लेने की प्रवृति अपनायी है तब से पूरी दुनिया में प्रदूषण बढ़ा है इसलिये आइये स्वामी जी के जन्मदिवस पर संकल्प लें कि हम प्रकृति की तरह देने का संकल्प लें और पूरी मानवता के लिये परम स्नेही बने। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का जीवन पूरी मानवता के लिये एक प्रेरणा व वरदान है।

महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द ने कहा कि विश्व विश्रुत संत स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अपना जन्मदिवस पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं उनका अवतरण दिवस पर्यावरण प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया जाये। वर्तमान समय में पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण पर अगर संत समाज में किसी ने भारत ही नहीं पूरे विश्व में सबसे बड़ा कार्य किया वह हमारे स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज हैं। स्वामी जी लगभग चार दशकों से पर्यावरण के चिंतित ही नहीं समर्पित है। वे सोच व मस्वप्न में भी पर्यावरण सेवा के लिये समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि चार जून भी बहुत बड़ा दिन है हम चार जून सनातन दिवस के रूप में मनायेंगे। जिस देश का शासक मेडिटेशन करने लगे उस देश के 140 करोड़ लोगों को टेंशन करने की जरूरत नहीं है। प्रकृति के गौरव को लौटाने के लिये सभी को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की तरह पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित होना होगा। आइये आज के इस दिवस को पर्यावरण प्रेरणा दिवस के रूप में मनायें।

डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी का जीवन, उनका हर पल, हर श्वास और हर क्षण अपने लिये नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिये है। उनके सामने जो भी सेवा आती हैं उसे वे प्रसाद स्वरूप ले लेते हैं। सेवा, कुछ भी हो वह प्रभु का प्रसाद मानकर उसे पूर्ण करते हैं और वे सेवायें पूर्ण होती भी हैं क्यों? क्योंकि उनका समर्पण, त्याग व प्रभु के प्रति विश्वास अद्भुत है। इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिन्दुइज्म पूरे विश्व को स्वामी जी एक अद्भुत भेंट है। इस अवसर पर उन्होंने स्वामी जी के दिव्यांगता मुक्त भारत के संकल्प को भी दोहराया।

साध्वी ने कहा कि गुरू वह है जो हमारे जीवन में प्रकाश लाते हैं। स्वामी ने न जाने कितनों के जीवन में प्रकाश लेकर आये हैं। अपने टाइम, टैलेंट, टेक्नालाजी और टेनासिटी अपने गुरू को समर्पित करें। कथाकार संत मुरलीधर ने कहा कि परम श्रद्धेय स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपना पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित कर दिया। आप रातदिन नदियों को अविरल व निर्मल बनाने के लिये प्रयास करते हैं यही हम सभी का संकल्प हो।

मेदांता के विख्यात सर्जन प्रोफेसर डा अरविंद कुमार जी ने अंगदान के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि अगर एक व्यक्ति मृत्यु के पश्चात अंगदान करता है तो हम आठ लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्री गणेश अंग प्रत्यारोपण का सबसे बड़ा व प्रथम उदाहरण है। उनके मुख का सबसे पहले प्रत्यारोपण किया गया है। महर्षि दधिचि ने अपनी सम्पूर्ण हड्डियों का दान कर अंगदान का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

स्वामी बाबा हठयोगी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती के विषय में जितना कहा जाये वह कम है। जन्मदिवस तो एककाज है यह मंच है अपनी आवाज़ जन-जन तक पहुंचाने का। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाना है तो रामायण का पाठ हर घर में शुरू करना होगा। संसदीय कार्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा स्वामी ने भारतीय धर्म ध्वजा को पूरे विश्व में पहंुचाया। संतों ने सनातन की धर्म ध्वजा को थामे रखा और पूरे विश्व में फहरा रहे हैं। उन्होंने अपनी व अपनी सरकार की ओर से बधाईयाँ दी।

प्रसिद्ध उद्योगपति विनोद बागडोरिया ने कहा कि 38 वर्ष पूर्व हम कुछ मित्रों ने मिलकर जो लोग चल नहीं पाते थे उन्हें पांव लगाना शुरू किया और इन 38 वर्षों में पूज्य स्वामी जी व गुरूजनों के आशीर्वाद से लाखों-लाखों लोगों को निःशुल्क हाथ पांव लगाये हैं। हमारा आह्वान है कि जहां पर भी आपको जरूरत है हम वहां पर निःशुल्क दिव्यांगता मुक्त कैम्प लगाने के लिये सदैव तत्पर है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी पूज्य संतों और अतिथियों को इलायची व हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के अवतरण दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया।

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