ग्रामीणों को कीवी की बागवानी पर दी गयी तकनीकी जानकारी

हिमाचल की वाई एस परमार हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी में सीखे बागवानी के गुर

अविकल उत्तराखंड

रूद्रप्रयाग। गत दिवस किसानों को बागवानी का प्रशिक्षण दिया गया। और हिमाचल में स्टडी टूर के जरिये विशेष जानकारी दी गयी। 28 जनवरी से 1 फरवरी तक पांच दिवसीय अध्ययन व भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले थलेड़ी के बेड़, नारग स्थित किवी के बागवान नरेन्द्र सिंह पंवार के स्थापित किवी उद्यान का भ्रमण किया। नरेन्द्र सिंह पंवार ने किसानों को किवी की तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने किवी पौध का रोपण, कटिंग व प्रूनिंग एवं पॉलीनेशन आदि की जानकारी दी। उसके बाद ओप्छाघाट के अन्तर्गत रामगढ़ में डॉ० रितेश शर्मा द्वारा उनकी नर्सरी में पौध की तैयारी एवं नर्सरी संबंधी जाानकारी दी।
यहाँ से सभी बाईस कास्तकारों को प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु सिंह के निर्देशानुसार पांच-पांच किवी की पौध भी उपलब्ध करवाई गई।
अगले दिन वाई एस परमार यूनिवर्सिटी के साईंटिस्ट डॉ० धर्मपाल सिंह एवं डॉ० सी० एल शर्मा ने किवी की जानकारी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के किवी उद्यान का भ्रमण करवाया और तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में किवी की बागवानी पर प्रकाश डाला और किवी के साथ ही सेब, पुलम, नाशपाती, आड़ू, खुबानी आदि फलों के बारे में भी तकनीकी जानकारी दी।

“आजीविका संवर्धन के लिए किवी की बागवानी” का अध्ययन

विष्णुगाड़-पीपलकोटी कैट प्लान के अंतर्गत ग्रामीणों को “आजीविका संवर्धन के लिए कीवी की बागवानी” पर वाई एस परमार हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी, नौणी, सोलन, हिमाचल प्रदेश में तकनीकी अध्ययन एवं भ्रमण का आयोजन गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति ने किया।

28 जनवरी से 1 फरवरी तक 5 दिवसीय अध्ययन व भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम थलेड़ी के बेड़, नारग स्थित किवी के बागवान नरेन्द्र सिंह पंवार ने स्थापित किवी उद्यान का भ्रमण करवाया। नरेन्द्र सिंह पंवार एवं जोगेन्द्र सिंह ने किसानों को किवी की तकनीकी जानकारी बताई। उन्होंने किवी पौध का रोपण, कटिंग व प्रूनिंग एवं पॉलीनेशन आदि की जानकारी स्थल पर ही दी। उसके बाद ओप्छाघाट के अन्तर्गत रामगढ़ में डॉ० रितेश शर्मा ने उनकी नर्सरी में पौध की तैयारी एवं नर्सरी संबंधी जानकारी दी। यहाँ से सभी बाईस कास्तकारों को प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु सिंह के निर्देश पर पांच-पांच किवी की पौध भी उपलब्ध करवाई।

अगले दिन वाई एस परमार यूनिवर्सिटी के साईंटिस्ट डॉ० सी० एल० शर्मा एवं डॉ० परमजीत ने किवी की जानकारी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के किवी उद्यान का भ्रमण करवाया गया व तकनीकी जानकारी दी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में किवी की बागवानी पर प्रकाश डाला गया एवं किवी के साथ ही सेब, पुलम, नाशपाती, आड़ू, खुबानी आदि फलों के बारे में भी तकनीकी जानकारी दी गई।

वापसी में जिला सिरमौर स्थित रेणुका झील का भ्रमण भी कराया। तथा इस क्षेत्र की परिधि में हिमाचल वन विभाग के द्वारा मिनी जू स्थापित किया गया है जिसमें अलग-अलग बाड़े बनाकर विभिन्न वन्य प्राणियों को रखा गया है। इसमें मुख्य रूप से हिरन, सांभर विभिन्न प्रजाति के पक्षी तेंदुआ आदि पाये गये। वन्य प्राणियों के बारे में सूचना पटों में उनकी जीवन शैली उनका व्यवहार उनकी विभिन्न प्रजातियों तथा खानपान का विस्तार से विवरण मय तैल चित्रों सहित सुरुचिपूर्ण ढंग से चित्रण किया गया है। मिनी जू में बाड़े की घेरबाड़ दो लेयर में बहुत सुदृढ ढंग से की गयी है।

इसमें वन्य जीवों को पूर्ण रूप से प्राकृतिक वातावरण देने का हरपल प्रयास किया गया है। स्वच्छ तथा सतत रूप से पानी की सुचारु रूप से व्यवस्था हर बाड़े में सुनिश्चित की गयी है।

इस अध्ययन व भ्रमण कार्यक्रम में आशीष सिंह, पंकज, जयदीप, सहदेव, सूरज, सुरजीत, रोहित, संजय, लक्ष्मण, ताजवर, विक्रम, रघुवीर, मनमोहन, गणेश, भोपाल, अर्जुन, मोहन देव, पालेन्द्र, नीरज, सुरजीत, प्रदीप, संदीप सिंह आदि ग्रामीणों एवं वन बीट अधिकारी बीनु रावत तथा गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति की ओर से उपाध्यक्ष दिनकर प्रसाद जोशी आदि ने प्रतिभाग किया।

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