उपनल कर्मियों का आंदोलन दसवें दिन भड़का

आठवीं वार्ता भी विफल, ‘नो वर्क-नो पे आदेश पर पुतला दहन

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नियमितीकरण और समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर उपनल कर्मियों का आंदोलन बुधवार को दसवें दिन और उग्र हो गया। सरकार के साथ आठवीं दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, जिसके बाद नाराज कर्मचारियों ने सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र चौधरी का पुतला फूंका और ‘नो वर्क-नो पे आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया।
इधऱ, बुधवार को राज्य सरकार ने छह माह के लिए हड़ताल पर रोक कगा दी है। इस आदेश के बाद उपनल कर्मियों आंदोलन के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है।

कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार वार्ता का दिखावा कर रही है, जबकि दूसरी ओर धमकी भरे आदेश जारी कर आंदोलन को दबाने की कोशिश की जा रही है। लगातार उपेक्षा और समाधान न निकलने से आंदोलनकारियों में भारी रोष पनप गया है।
आंदोलन स्थल पर प्रदेश संयोजक हरीश कोठारी, कार्यकारी अध्यक्ष महेश भट्ट, प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप चौहान, संगठन मंत्री भूपेश नेगी, सागर ध्यानी, विनीत खंडूरी, प्रकाश, मनोज सहित सैकड़ों कर्मचारी मौजूद रहे।

सरकार से समाधान की उम्मीद टूटती जा रही

सूत्रों का कहना है कि कर्मचारी संगठन दो मांगों— नियमितीकरण और समान कार्य के लिए समान वेतन —पर किसी भी समझौते के मूड में नहीं हैं। वहीं सरकार वित्तीय भार और संरचनात्मक व्यवस्थाओं का हवाला देकर त्वरित निर्णय से बच रही है। इसी खींचतान ने वार्ताओं को नतीजे तक नहीं पहुंचने दिया।

आंदोलन में पहली बार उग्र रूप—कर्मचारियों ने मुंडन कर जताया विरोध
धरने के दसवें दिन उत्तरकाशी के जिला महामंत्री आजाद रावत और वाहन चालक संघ के प्रदेश महामंत्री अजय डबराल ने अपना सिर मुंडवाकर सरकार के प्रति नाराजगी जताई। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तीखा किया जाएगा।

कर्मचारियों का आरोप
संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि सरकार कर्मचारियों का शोषण कर रही है। उन्होंने कहा— एक ओर नियमितीकरण के लिए उप समिति का दिखावा, दूसरी ओर काले शासनादेश जारी कर कर्मचारियों को डराया जा रहा है। हद हो चुकी है। प्रदेश महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि सरकार बार-बार आश्वासन देकर कर्मचारियों को छल रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही समान कार्य-समान वेतन के साथ नियमितीकरण पर निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन बड़ा स्वरूप लेगा।

कर्मचारियों की मुख्य मांगें क्या?

  • समान कार्य के लिए समान वेतन
  • उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण
  • अस्थायी व आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त करने की मांग
  • सुरक्षा, सेवा नियमावली और कार्यस्थल पर पारदर्शिता

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