मंगलौर उपचुनाव-कांग्रेस के साथ ‘अपनों’ को भी मिल रही भड़ाना से ‘चुनौती’
हरिद्वार की पॉलिटिक्स में भड़ाना नये पावर सेंटर के तौर पर उभरे
अविकल थपलियाल
हरिद्वार। आयातित व पैराशूट भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के काजी निजामुददीन व बसपा प्रत्याशी को कितनी चुनौती दे सकेंगे, यह तो दस दिन के अंदर साफ हो जाएगा। लेकिन धन बल से लैस भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना चुनाव बाद भी हरिद्वार जिले की राजनीति में सक्रिय रहे तो वे पार्टी कैकई दिग्गजों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने जा रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व ने मंगलौर उपचुनाव के बहाने करतार सिंह भड़ाना की लांचिंग कर जिले के अन्य कद्दावर नेताओं की पेशानी पर बल डाल दिये हैं।
गुर्जर समुदाय से होने के चलते भड़ाना से सबसे ज्यादा खतरा भाजपा के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन के लिए माना जा रहा है। चूंकि,मंगलौर सीट पर भाजपा कभी भी जीतने की स्थिति में नहीं रही। और इस उपचुनाव में कांग्रेस के चांस बेहतर बताये जा रहे हैं।
ऐसे में आयातित भाजपा प्रत्याशी भड़ाना ने हार के बाद हरिद्वार जिले की राजनीति नहीं छोड़ी तो पुराने कद्दावर नेता मदन कौशिक, यतीश्वरानन्द और आदेश चौहान को अपनी मज़बूती के लिए नये सिरे से मशक्कत करनी पड़ेगी।
उत्तराखंड से बाहर के करतार सिंह भड़ाना ने स्थानीय दावेदारों को पीछे छोड़ते हुए भाजपा का टिकट लाकर पार्टी हाईकमान से अपने रिश्तों की ताकत दिखा ही दी है। यही नहीं, प्रदेश भाजपा के कुछ नेता भी भड़ाना को समर्थन देते हुए हरिद्वार के अपने पुराने विरोधियों को चित्त करने की कोशिश में भी हैं।
इधर, उपचुनाव में भी उनके धन बल के दर्शन भी हो रहे हैं। हरिद्वार भाजपा की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि चुनाव का परिणाम अनुकूल नहीं आने के बाद भी करतार सिंह भड़ाना हरिद्वार जिले की भाजपा राजनीति का एक महत्वपूर्ण ध्रुव बनेंगे। और पावर पॉलिटिक्स एक नया मोड़ लेती दिखाई देगी…
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