काटने वाले डॉग्स को लेकर शासन ने जारी की एसओपी
पूर्व में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहे निकाय
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। शासन ने काटने वाले उग्र डॉग्स के बारे में एसओपी जारी की है। शहरी निदेशालय के निदेशक की ओर से जारी SOP में कहा गया कि निकाय पूर्व में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। निदेशक नितिन भदौरिया ने कहा कि प्रदेश के निकाय पूर्व में जारी SOP एवं शासन के आदेशों को गम्भीरता से नहीं ले रहे है। यह स्थिति अत्यन्त खेदजनक है। 18 दिसंबर को जारी निर्देश में हाईकोर्ट में दायर याचिका का भी उल्लेख किया गया है। SOP में उग्र व काटने वाले डॉग्स की निगरानी और एनिमल बर्थ कंट्रोल के लिए NGO का सहयोग लेने को कहा गया है।
देखें SOP का मजमून
उग्र श्वानपशुओं के प्रबन्धन के सम्बन्ध में आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया (SOP) निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में।
कृपया उपरोक्त विषयक ई-शासनादेश संख्या-94084/2023, दिनांक 27-01-2023 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके माध्यम से उग्र श्वानपशुओं के प्रबन्धन के सम्बन्ध में आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया (SOP) निर्गत करते हुए SOP में निर्गत दिशा निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिये गये है।
2- उल्लेखनीय है कि ई-शासनादेश दिनांक 27-01-2023 द्वारा पशुपालन मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन गठित भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा उनके अनुशंसा पत्रांक-3-4/ 2021-2022/PCA, दिनांक 29-11-2022 के अनुरूप निर्गत निम्न अनुशंसाओं के आलोक में उग्र श्वानपशुओं के प्रबन्धन के सम्बन्ध में आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया (SOP) निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में निम्न कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये है:-
(1) नगर निकाय द्वारा उग्र श्वानपशुओं की समस्या से सम्बन्धित शिकायतों के निवारण हेतु ABC Rules: Animal Birth Control (Dogs) Rules, 2001 के Rule-4 के आलोक में ABC Monitoring Committee का गठन सुनिश्चित किया जाए।
(2) ABC Monitoring Committee द्वारा प्राथमिकता के आधार पर उग्र श्वानपशुओं की समस्या से सम्बन्धित शिकायतों पर सुनवाई की जाय। तत्सम्बन्धित शिकायत प्राप्त होने पर शिकायतकर्ता का नाम, पता, दूरभाष संख्या, श्वानपशु द्वारा काटे जाने की तिथि, समय, स्थान को पंजीकृत कर भली प्रकार से अभिलेखबद्ध किया जाय।
(3) नगर निकाय /ABC Monitoring Committee में विशेष रूप से सम्मिलित किये गये गैर सरकारी पशु कल्याण संस्था के प्रतिनिधि द्वारा ABC-ARV Program के कार्यदायी संस्था को सूचित कर स्थलीय जांच कराते हुए प्रत्येक प्रकरण में श्वानपशु द्वारा काटे जाने के बाद Post Bite Treatment के अभिलेखों को एकत्रित कर लिया जाय तथा निकट भविष्य में मानव पशु संघट के निवारण हेतु किये गये प्रयासों (जनसमुदाय को जागरूक किये जाने हेतु अपील / आवश्यक सावधानियों के प्रचार-प्रसार, निराश्रित श्वानपशुओं हेतु निर्धारित Animal Feeding Timing & Spots की समीक्षा तथा उस क्षेत्र विशेष में ABC-ARV Program की प्रगति, बध्याकृत निराश्रित श्वानपशुओं की प्रतिशत जनसंख्या तथा रैबीजरोधी टीकाकरण की प्रगति) को अभिलेखबद्ध कर लिया जाय।
(4) सामान्यतः अधिकांश प्रकरणों में विशिष्ठ नस्लवाले पालतू श्वान पशुओं (Pedigreed Pet Dogs of Specific Breeds) द्वारा काटे जाने के प्रकरण संज्ञान में आते है। निराश्रित श्वानपशु द्वारा काटे जाने की पुष्टि हो जाने की स्थिति में पशु को Dog Squad के माध्यम से पकड़ लिया जाए। ABC (Dog) Rules, 2001 के Rule 7(2) के अनुरूप Dog Squad में Dog Van का Driver, Dog Catching हेतु दो प्रशिक्षित कार्मिक तथा गैर सरकारी पशु कल्याण संस्था के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाय। नगर निकाय द्वारा Dog Squad के प्रत्येक सदस्य को पहचान पत्र निर्गत किया जाय।
(5) Dog Squad द्वारा उग्र निराश्रित श्वानपशु को पकड़ लिये जाने के उपरान्त निगरानी में रखे जाने हेतु ABC Campus में लाया जाय। इस क्रम में नगर निकाय द्वारा ABC (Dog) Rules, 2001 के Rule 6(1) के अनुरूप आवश्यक ढांचागत व्यवस्थायें सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है।
(6) भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मा० उच्चतम न्यायालय अन्तर्गत योजित Revised Modul for street Dog population Management, Rabies Eradication and Reducing Man-Animal Conflict के बिन्दु 46 के अनुरूप प्रत्येक प्रकरण में विशेष रूप से गठित निगरानी समिति द्वारा पकड़कर लाये गये निराश्रित श्वानपशु की 07 दिनों तक निगरानी कर यह सुनिश्चित किया जाए कि क्या वास्तव में कोई विशेष श्वानपशु उम्र एवं काटने की प्रवृत्ति वाला है। निगरानी समिति में नगर निकाय के प्रतिनिधि ABC (Dog) Rules, 2001 के Rule 4 के आलोक में नगर निकाय स्तरीय मासिक अनुश्रवण समिति द्वारा अनुमतिप्रदत्त एवं अर्ह पशुचिकित्सादिद और District SPCA के प्रतिनिधि अथवा भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यताप्रदत्त पशु कल्याण संस्था के प्रतिनिधि को सम्मिलित किया जाए। यदि निगरानी समिति इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि कोई विशेष श्वानपशु काटने की प्रवृत्ति वाला नहीं है तो 07 दिनों के उपरान्त श्वानपशु को बक्रयकरण शल्यचिकित्सा रेबीजरोधी टीकाकरण उपरान्त उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ दिया जाय।
(7) यदि निगरानी समिति यह निर्णय करती है कि किसी विशेष श्वानपशु को कुछ और दिनों तक निगरानी में रखा जाना उचित होगा तो अभिलेखबद्ध कारणों के आलोक में श्वानपशु को 01 से 03 सप्ताह तक आवश्यक पशुचिकित्सा एवं निगरानी में रखा जाय।
(8) निगरानी की अवधि में श्वानपशु को निरन्तर पशु चिकित्सक की चिकित्सा सेवायें उपलब्ध करायी जाय। यदि निगरानी देख-रेख एवं पशु की अवधि में यह स्पष्ट होता है कि कोई विशेष श्वानपशु वास्तव में उग्र एवं काटने की प्रवृत्ति वाला है तो ऐसे पशु को उसके मूल स्थान पर वापस न छोड़ा जाय।
(9) निगरानी समिति द्वारा ऐसे श्वानपशुओं की समस्त पशु चिकित्सा एवं अन्य अभिलेखों के (७ आलोक में प्रत्येक 12 माह की अवधि उपरान्त पुनः समीक्षा की जाय।
(10) गत अनेकों महीनों से निगरानी में रखे गये श्वानपशु को तब ही उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाय, जब यह सुनिश्चित हो जाय कि विशेष श्वानपशु की प्रवृत्ति में वांछित सुधार हो चुका है। किसी भी दशा में किसी भी श्वानपशु को उनके मूल स्थान (जहां से उसे पकड़ा गया था) के अतिरिक्त अन्यत्र न छोड़ा जाय।
(11) श्वानपशुओं को पकड़ने, परिवहन, बस्यकरण, शल्यचिकित्सा, टीकाकरण एवं उनके मूल स्थान पर वापस छोड़े जाने हेतु ABC (Dog) Rules, 2001 के Rule 6 एवं Rule 6 के प्राविधानों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए पशुओं को अनावश्यक क्रूरता से बचाया जाना आवश्यक है।
3- उल्लेखनीय है कि शासन के पत्र संख्या-914, दिनांक 01-09-2022 द्वारा उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित जनहित याचिका संख्या-84/2017 गिरीश चन्द्र खोलिया बनाम उत्तराखण्ड राज्य व अन्य में पारित आदेश दिनांक 13-07-2022 के अनुपालन में समस्त नगर निकायों को “प्रान्तीय श्वानपशु बनयाकरण एवं अनुश्रवण समिति की बैठक दिनांक 17-08-2022 को सम्पन्न बैठक के कार्यवृत्त दिनांक 31-08-2022 की छायाप्रति प्रेषित करते हुए कार्यवृत्त में दिये गये निर्देशानुसार प्रभागी आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराते हुए निराश्रित श्वान पशुओं को गोद लिये जाने हेतु जन-जागरूकता अभियान् निराश्रित पशुओं/आवारा कुत्तों का सर्वेक्षण, निराश्रित एवं आवारा पशुओं/कुत्तों / श्वानों के बन्ध्याकरण सम्बन्धित समस्त कार्यों को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।
4- उपरोक्त के बावजूद भी समाचार पत्रों के माध्यम से उम्र श्वानपशुओं के काटने का प्रकरण निदेशालय के संज्ञान में आ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि निकाय स्तर से उपरोक्त SOP एवं शासन के आदेशों को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। यह स्थिति अत्यन्त खेदजनक है।
5- अतः ई-शासनादेश दिनांक 27-01-2023, शासन के पत्र दिनांक 01-09-2022, बैठक के कार्यवृत्त दिनांक 31-08-2022 की प्रति संलग्न कर प्रेषित करते हुए पुनः निर्देशित किया जाता है कि कृपया निम्नवत् कार्यवाही सम्पन्न कराना सुनिश्चित की जाए-
(1) ई-शासनादेश दिनांक 27-01-2023 में दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करना सुनिश्चित करें।
(2) बैठक दिनांक 17-08-2022 में लिये गये निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। (3) ABC-ARV की स्थापना एवं संचालन हेतु यथाआवश्यक परियोजनाओं से सम्बन्धित
संलग्नः यथोक्त् ।
प्रस्ताव प्राथमिकता के आधार पर निदेशालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित की जाए। इस सम्बन्ध में आपका व्यक्तिगत ध्यान अपेक्षित है।
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