‘मेरा योग डिप्लोमा’ विधिसम्मत हर स्तर पर मेरे प्रमाण पत्रों की जाँच हो चुकी’
पढ़ें, आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ अडाना के गम्भीर आरोप से मची हलचल
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अडाना ने लम्बी चुप्पी तोड़ते हुए कुलपति समेत अन्य नियुक्तियां, मृत्युंजय मिश्रा से जुड़े मामलों, घोटालों व स्वंय पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच की मांग कर सनसनी मचा दी। कहा कि, धामी सरकार सभी मामलों की सीबीआई जांच करे। गौरतलब है कि इन दिनों डॉ राजेश अडाना की स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) की फ़ाइल सम्बंधित विभाग व शासन के बीच मूवमेंट में है।
बीते 30 मई को “अविकल उत्तराखण्ड” में उनके वीआरएस को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छपी थी। इसके बाद पूर्व कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अडाना ने अपना पक्ष भेजा। एक साल में दो दो डिग्रियां लेने के बाबत डॉ राजेश कुमार अडाना ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार’ से विधिसम्मत नियमानुसार ‘योग डिप्लोमा’ प्राप्त किया है।
कहा कि, नियमानुसार हर स्तर पर मेरे प्रमाण पत्रों की जाँच (VERIFICATION) हो चुकी है। लेकिन मृत्युंजय मिश्रा द्वारा मुझे ईर्ष्यावश बदनाम करने की नीयत से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर झूठी शिकायत की गई। उन्होंने आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ अरुण त्रिपाठी की नियुक्ति पर भी तीखे सवाल उठाये।
देखें, आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अडाना का पत्र
मेरे द्वारा ‘गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार’ से विधिसम्मत नियमानुसार ‘योग डिप्लोमा’ प्राप्त किया गया है ।
CPMT प्रवेश परीक्षा से चयनित होकर नियमानुसार B.A.M.S. डिग्री तथा तत्पश्चात उत्तराखंड राज्य की प्रथम प्रवेश परीक्षा से चयनित होकर M.D. डिग्री प्राप्त की तथा तत्पश्चात उत्तराखंड शासन द्वारा चिकित्साधिकारी (संविदा) के पद पर चयन हुआ तथा बाद में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) से चिकित्साधिकारी (Medical Officer) पद पर चयन हुआ। अपने अध्ययन काल से लेकर चिकित्साधिकारी पद प्राप्त करने तक नियमानुसार हर स्तर मेरे प्रमाण पत्रों की जाँच (VERIFICATION) हुआ है।
लेकिन मृत्युंजय मिश्रा द्वारा मुझे ईर्ष्यावश बदनाम करने की नीयत से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर झूठी शिकायत की गई।उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में मेरे कुलसचिव पद पर रहने के पूर्व से “धन्वन्तरी वैधशाला” के नाम पर फर्जी NGO बनाकर कुछ बाहरी लोगों द्वारा विश्विद्यालय परिसर पर कब्जा किया गया था | आश्चर्य की बात यह है की इन बाहरी कब्जाधारियों को तात्कालिक कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा व वर्तमान कुलपति व उस समय के कुलसचिव व बाद में कुलपति रहे डॉ अरुण त्रिपाठी का संरक्षण प्राप्त था ।
इन लोगों के संरक्षण से इन बाहरी कब्जाधारियों ने विश्विद्यालय को अनेक करोड़ो (crores) रुपए धनराशि की हानि पंहुचाई व वर्षो तक आयुर्वेद विश्विद्यालय में जंगल राज कायम रखा ।अपने कुलसचिव कार्यकाल में मेरे द्वारा तात्कालिक कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार जी के निर्देशों में कार्यरत होने के दौरान मैंने इन कब्जाधारियों से आयुर्वेद विश्विद्यालय को मुक्त कराया गया। अपने कार्यकाल में विश्विद्यालय में अनेक करोड़ो (crores) रुपए धनराशि के भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के आरोपों के कारण मृत्युंजय मिश्रा विजिलेंस की जाँच (Vigilance investigation) के बाद जेल भेज दिए गये।
मृत्युंजय मिश्रा लगभग तीन वर्षो तक जेल में रहने के बाद उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से जमानत पर बाहर आये हुए है, तथा लगातार प्रयासरत है कि मै डा० राजेश कुमार उनके (मृत्युंजय मिश्रा) के दबाव में आकर उनके विजिलेंस संबंधित केस में उनके (डा०मृत्युंजय मिश्रा के) पक्ष में झूठा शपथ पत्र (Affidavit) दे दूँ जिससे आगे चलकर केस में मृत्युंजय मिश्रा स्वयं का बचाव कर सके। मुझे कुछ लोगों ने अवगत कराया है कि- मृत्युंजय मिश्रा द्वारा विभिन्न प्रकार से जबरदस्ती अपने दबाव में लेकर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय के कुछ कार्मिकों (employees) से अपने पक्ष में शपथ पत्र (Affidavit) प्राप्त कर लिए है।
इसी कारण मेरे द्वारा इस प्रकार का कोई कार्य करने से मना करने पर मुझे बदनाम करने एवं भयभीत करने की नीयत से मेरी झूठी तथा मनगढ़ंत शिकायत मृत्युंजय मिश्रा द्वारा की गई है। उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय जाँच समिति ने मृत्युंजय मिश्रा की उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में कुलसचिव पद पर प्रतिनियुक्ति (deputation) व समायोजन (absorption) को फर्जी पाए जाने व् इस पद हेतु धारित योग्यता नहीं होने के कारण उत्तराखंड कैबिनेट/ मंत्रिमंडल ने ‘मृत्युंजय मिश्रा’ को उनके मूल विभाग उच्च शिक्षा (Department of Higher Education) में पुनः वापिस भेजा गया था। तथा उनका वेतन आहरण भी उच्च शिक्षा विभाग से निर्गत किये जाने के आदेश भी पारित किये गए थे।
परन्तु विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तात्कालिक आयुष विभाग सचिव द्वारा कैबिनेट के निर्णय को मृत्युंजय मिश्रा के निजी हित में बदलकर मृत्युंजय मिश्रा को कुलसचिव उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय बनाया गया तथा पुनः इनका उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्याय से ही प्रो० अनूप कुमार गक्खड़ (वर्तमान कुलसचिव ) तथा डॉ. अरुण त्रिपाठी (वर्तमान कुलपति) के साथ साथ-गांठ करते हुए अनियमित वेतन आहरित कराया गया। उत्तराखंड में आयुष प्रदेश में आयुर्वेद विश्वविद्यालय की यह स्थिति हम सभी प्रदेशवासियों के लिए निराशाजनक है।
अतः मैं राज्य सरकार से अनुरोध करता हूँ कि- वर्तमान कुलपति डॉ0 अरुण त्रिपाठी जी की नियुक्ति, मुझ पर लगे आरोपों सहित विश्वविद्यालय के गठन से लेकर वर्तमान में आज तक (वर्ष-2010 से लेकर वर्ष -2023 तक) हुई सभी नियुक्तियों/ प्रतिनियुक्तियों एवं पदोन्नतियों तथा मृत्युंजय मिश्रा की नियुक्ति सहित तथा अन्य सभी भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं की सी.बी.आई. (C.B.I.) जांच कराई जाए। ताकि प्रदेश की जनता के सामने सच्चाई सामने आ सके और विश्वविद्यालय की छवि खराब करने वालों तथा प्रदेश की जनता के टैक्स के पैसे को हड़पने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। डॉ0 अरुण त्रिपाठी की कुलपति पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति भी आगे इसी प्रकार के उद्देश्यों को पूर्ति कराये जाने के लिए कराई गयी है।
डॉ अडाना ने कहा है कि ऑनलाइन पोर्टल अविकल उत्तराखंड पर दिनांक- 30/05/2024 को प्रकाशित खबर “तो क्या एक साल में दो डिग्री मामले में घिरे डॉ अधाना वी आर एस लेकर साफ बच जायेंगे ; आप द्वारा पूर्व में भी इस विषय पर खबरे प्रकाशित की जाती रही है । जिस कारण मेरी छवि धूमिल हो रही है।
(ध्यानार्थ विशेष- आयुर्वेद विवि के मौजूदा कुलपति डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी व पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा का पक्ष प्राप्त होने पर प्रकाशित किया जाएगा)
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