देखें, आयुष विभाग का झोलाछाप के पंजीकरण रद्द करने सम्बन्धी आदेश
कार्यालय आदेश
देहरादून। रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद् उत्तराखण्ड द्वारा अपने पत्रांक-2527/भा० चि०प०/सा-30(2)/2018-19, दिनांक 01.01.2019 में किये गये अनुरोध एवं भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद नई दिल्ली द्वारा निर्गत शुद्धि पत्र दिनांक 28.10.2014 में दिये गये दिशा-निर्देशों के क्रम में आयुष एवं आयुष शिक्षा उत्तराखण्ड शासन शासनादेश संख्या-97/XXXX/2019-47/2009, दिनांक 11 जून, 2019 के द्वारा उत्तरांचल (संयुक्त प्रान्त भारतीय चिकित्सा अधिनियम 1939) अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2002 की धारा 27, 28, 29, 30 के अनुसार राज्य के चिकित्साभ्यासियों का पंजीकरण रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद् उत्तराखण्ड द्वारा किये जाने के निर्देश निर्गत किये गये थे।
उक्तवर्णित शासनादेश दिनांक 11 जून, 2019 के अधीन पंजीकृत चिकित्साभ्यासियों के पंजीकरण के विरूद्ध विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायतों / आपत्तियों के क्रम में मा० सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा वाद संख्या-897/2009 में प्रतिपादित सिद्धान्त/आदेश दिनांक 13 अप्रैल, 2018 के अनुपालन में तथाभारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद नई दिल्ली के पत्र दिनांक 22. 11.2019 में प्रदत्त निर्देशों के क्रम में उत्तरांचल (संयुक्त प्रान्त भारतीय चिकित्सा अधिनियम 1939) अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2002 की धारा 27, 28, 29, 30 के अनुसार राज्य के चिकित्साभ्यासियों का पंजीकरण किये जाने सम्बंधी आयुष एवं आयुष शिक्षा उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश संख्या-97/XXXX/2019-47/2009, दिनांक 11 जून, 2019 को एतद्वारा तत्काल प्रभाव से निरस्त किये जाने की श्री राज्यपाल स्वीकृति प्रदान करते हैं।
उक्त के फलस्वरूप शासनादेश संख्या-97/XXXX/2019-47/2009, दिनांक 11 जून, 2019 के अधीन ऐसे अवैध पंजीकृत चिकित्साभ्यासियों के पंजीकरण, जो मा० सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा वाद संख्या-897/2009 में प्रतिपादित सिद्धान्त/आदेश के विपरीत हैं तथा भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 के प्राविधानों से इतर हैं, को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।
शासनादेश दिनांक 11 जून, 2019 के अधीन ऐसे अवैध पंजीकृत चिकित्साभ्यासियों के पंजीकरण, जो मा० सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली द्वारा वाद संख्या-897/2009 में प्रतिपादित सिद्धान्त/आदेश के विपरीत हैं तथा भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 के प्राविधानों से इतर हैं, को तत्काल प्रभाव से निरस्त किये जाने की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराना सुनिश्चित करें।
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