आंदोलनकारी व आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण का मुद्दा गरमाया

प्रवर समिति का कार्यकाल दो माह बढ़ाने पर जुगरान ने उठाये सवाल

कहा, यह काम 48 घण्टे में हो सकता है

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान ने आंदोलनकारी व उनके आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण दिये जाने पर प्रवर समिति के कार्यकाल को दो माह बढ़ाये जाने पर इस निर्णय के औचित्य पर सवाल खड़े करते हुए कहा की जो कार्य 48 घंटे में हो सकता है उसे दो माह का समय क्यों चाहिये ? ‌

रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि सरकार ने सदन में जो विधेयक प्रस्तुत किया था वो पूरी तरह से ठीक था और यदि उसमें कोई कमी थी भी तो कानून बनने के उपरांत उसमें संशोधन किया जा सकता है ऐसा संसद और विधानसभाओं में होता रहा है। अभी भी हो रहा है और आगे भी होता रहेगा। रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी व उनके आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ विगत 12 वर्षों से नहीं मिल रहा है इसके लिए राज्य की विधायिका का उदासीन रवैया जिम्मेदार है।

रवीन्द्र जुगरान ने कहा कि यद्यपि पुष्कर सिंह धामी के प्रथम कार्यकाल व द्वितीय कार्यकाल में इस विषय पर तेजी से कार्य हुआ है किन्तु प्रवर समिति को चाहिए की बिना विलम्ब किये शीघ्र अपनी संस्तुति दे। उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के परिजनों, गोलीकांडो में घायल आंदोलनकारीयों के आश्रितों,जेल,घायल व सक्रिय आंदोलनकारियों के आश्रितों को इसका लाभ मिलेगा क्योंकि विगत 12 वर्षों से इसका लाभ नहीं मिला तब से अब तक समस्त आंदोलनकारी सरकारी सेवाओं में नियुक्ति पाने का अवसर खो चुके हैं क्योंकि सभी आयु सीमा पार कर चुके हैं।

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