खलंगा जंगल में कब्जा और निर्माण पर नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल

यशपाल आर्य ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

भू-माफिया और भ्रष्ट तंत्र पर जताई कड़ी आपत्ति

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने देहरादून के खलंगा क्षेत्र में आरक्षित वनभूमि पर अवैध अतिक्रमण और निर्माण कार्य को बेहद गंभीर मामला बताते हुए राज्य की भू-प्रबंधन प्रणाली और शासन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नालापानी क्षेत्र के जंगल में लगभग 40 बीघा संरक्षित भूमि पर भूमाफिया कैंपिंग और रिसॉर्ट निर्माण की तैयारी में हैं।

यशपाल आर्य ने बताया कि हैरानी की बात यह है कि एक व्यक्ति ने आरक्षित वन भूमि को अपनी बताकर दूसरे को लीज पर दे दिया और अब उस भूमि पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका था। यदि यह निर्माण आगे बढ़ता है, तो लगभग 5000 साल पुराने पेड़ों के अस्तित्व पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक खलंगा युद्ध स्मारक के निकट स्थित है, जो 1814 के एंग्लो-नेपाली युद्ध में गोरखा वीरों की बहादुरी का प्रतीक है। यह जंगल पारिस्थितिक रूप से समृद्ध है और देहरादून घाटी की हरित पट्टी का अहम हिस्सा है।

नेता प्रतिपक्ष ने वन विभाग की चुप्पी और निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर वनगूजर जैसे पारंपरिक वनवासियों को आए दिन वन विभाग की सख्ती का सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की खुली लूट की जानकारी विभाग को तक नहीं होती।

यशपाल आर्य ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय और समयबद्ध जांच कराई जाए तथा भू-माफिया, भ्रष्ट अधिकारियों और किसी भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्ति पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि प्रदेश में कितनी और वनभूमियां हैं जिन्हें इस प्रकार कब्जा कर बेचा या लीज पर दिया जा चुका है।

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