गंगोत्री नेशनल पार्क की कचरा जलाने की भट्टी के धुएं ने दिल्ली में दिखाया असर

मुरली मनोहर जोशी ने केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड सरकार को एक्शन लेने को कहा

गंगोत्री नेशनल पार्क के वेस्ट इंसीनेरेटर से पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ा

अविकल उत्तराखंड

नई दिल्ली/देहरादून। भाजपा के वरिष्ठतम नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री नेशनल पार्क के भीतर चल रही कचरा जलाने की भट्टी (वेस्ट इंसीनेरेटर) को लेकर आपत्ति जताई है।

यह इंसीनेरेटर गंगोत्री मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र गंगोत्री नेशनल पार्क का हिस्सा है और एक इको-सेंसिटिव ज़ोन के रूप में चिन्हित है। यहां पर औद्योगिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। फिर भी इस संयंत्र का निर्माण और संचालन हो रहा है, जिससे धुएं और विषैली गैसों का उत्सर्जन हो रहा है। इस प्रणाली जैव विविधता को खतरा पैदा हो रहा है।

संवेदनशील इलाके में पर्यावरण प्रदूषण की खबर दिल्ली के गलियारों में पहुंचने पर मुरली मनोहर जोशी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से बात की। और इस नाजुक मसले पर तत्काल एक्शन लेने पर जोर दिया।

यही नहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी के कार्यालय को भो अपने स्टैंड से अवगत कराया। इसके अलावा राज्य के मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन को ईको सेंसिटिव जोन में कूड़ा निस्तारण संयंत्र की स्थापना के दुष्परिणाम गिनाए। उन्होंने मुख्य सचिव को आवश्यक कदम उठाने को भी कहा।

भाजपा के वरिष्ठतम नेता जोशी के इस मुद्दे पर आगे आने के बाद मामले से जुड़े सम्बंधित महकमो में हलचल देखी जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में हुई सरगर्मी के बाद राज्य सरकार गंगोत्री नेशनल पार्क में कचरा जलाने वाली भट्टी से हो रहे धुएं पर उठ रहे सवालों को लेकर जल्द हो ठोस फैसला लेगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी

पूर्व सीएम बीसी खण्डूड़ी के सलाहकार रहे प्रकाश सुमन ध्यानी ने कहा कि इस मुद्दे पर स्थानीय लोग व पर्यावरणविद काफी चिंतित हैं।

इस मसले पर उत्तरकाशी के डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।

स्थानीय स्तर पर विरोध जारी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के निवासियों ने गंगोत्री नेशनल पार्क के भीतर चल रही कचरा जलाने की भट्टी (वेस्ट इंसीनेरेटर) के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती है और हिमालयी क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचा रही है।

यह इंसीनेरेटर गंगोत्री मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र गंगोत्री नेशनल पार्क का हिस्सा है और एक इको-सेंसिटिव ज़ोन के रूप में चिन्हित है। यहां पर औद्योगिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। फिर भी इस संयंत्र का निर्माण और संचालन हो रहा है, जिससे धुएं और विषैली गैसों का उत्सर्जन हो रहा है।

प्रशासनिक स्वीकृति का अभाव

सूत्रों के अनुसार, इस संयंत्र को न तो केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से और न ही राज्य वन विभाग से कोई मंजूरी प्राप्त हुई है।

पर्यावरणविद आलोक कंसल ने बताया, “यह स्पष्ट रूप से इको-सेंसिटिव ज़ोन की शर्तों का उल्लंघन है। इस परियोजना के लिए किसी प्रकार की पूर्व अनुमति या ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) नहीं ली गई है।”

विरोध और पर्यावरणीय चिंता

इस परियोजना के विरोध में स्थानीय लोग, वन्यजीव विशेषज्ञ और पर्यावरण संगठन शामिल हैं। उनका कहना है कि यह प्रणाली जैव विविधता के लिए खतरा बन रही है।

गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थल है और यहां की पारिस्थितिकी बेहद संवेदनशील है। इस तरह का संयंत्र पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुँचा सकता है।

उत्तरकाशी जिला प्रशासन और पालिका बोर्ड द्वारा परियोजना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने परियोजना से संबंधित कोई भी विवरण साझा करने से इनकार कर दिया।

गंगोत्री नेशनल पार्क के भीतर इंसीनेरेटर चलाना नियमों का उल्लंघन है।

कोई वैध पर्यावरणीय अनुमति नहीं ली गई।
स्थानीय निवासी और विशेषज्ञ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह 2,390 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तारित है। इसमें शंकुधारी वृक्षों के वन, पर्वतीय मृग, और बर्फ बिखरी हुई हैं। गंगोत्री हिमानी के मुख पर स्थित गोमुख, जो गंगा नदी का मूल स्रोत है, भी इसी उद्यान में स्थित है

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