उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय गयी प्रदेश सरकार ने मुंह की खायी- कांग्रेस

उद्यान घोटाला- दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है -कांग्रेस

उद्यान घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस ने कमर कसी

कांग्रेस ने कहा, उद्यान मंत्री नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच रोकने सम्बन्धी प्रदेश सरकार की रिव्यू पिटीशन कैंसिल करने पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर हमले तेज कर दिए। मंगलवार को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा कि सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का संरक्षण चाहती है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और भ्रष्टाचारियों को सरकार द्वारा बचाने का प्रयास भी खेदजनक है l इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए उन्हें धन्यवाद देते हैं ।

कांग्रेस ने कहा कि उच्च न्यायालय के किसी एक सिटिंग न्यायमूर्ति की देख रेख में इस प्रकरण की सीबीआई जाँच कराये । उद्यान घोटाले को लेकर राजनीति तेज हो गयी। प्रदेश अध्यक्ष करन महरा ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए उद्यान मंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा ।

महरा ने कहा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए आखिर क्यों इतनी बेताब है समझ से परे है क्योंकि उद्यान विभाग में हुए अरबों के घोटाले का खुलासा कई समय पूर्व होने के बाद भी पहले सरकार इसमें लीपापोती करती रही फिर उच्च न्यायालय ने जब सरकार को फटकार लगाते हुए इस प्रकरण की जाँच सीबीआई से कराने का आदेश दे दिया तो सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के बजाय उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गयी। जहाँ उसे मुंह की खानी पड़ी । महरा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश कि उद्यान विभाग की जाँच सीबीआई ही करेगी से स्पष्ट है कि इसमें सरकार का भी योगदान है और अब नैतिकता के आधार पर उद्यान मंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ।

प्रदेश अध्यक्ष व प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने प्रदेश सरकार से सवाल भी किये।

1- जब सरकार को शिकायत कर्ता ने शपथपत्र सहित शिकायती पत्र दिया था तो सरकार ने जाँच क्यों नहीं बिठाई ?

2- जब उच्च न्यायालय में पीआईएल हुई तो विभागीय मंत्री द्वारा जो जाँच बिठाई गयी और 15 दिन का समय दिया गया उसमें क्या हुआ उस जाँच में कौन कौन दोषी पाए गए उन पर कार्यवाही क्यों नहीं की गयी अथवा वो जाँच आज तक जनता के सामने क्यों नहीं आई ?

3- अगर सरकार पाक साफ थी तो यहाँ प्रदेश के विभागीय अधिकारीयों को पदोन्नति देकर निदेशक बनाने के बजाय हिमाचल प्रदेश में आरोपी अधिकारी को लाकर फिर से सेवा विस्तार क्यों देती रही ?

4- यदि सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस वाकई में है तो उच्च न्यायालय के सीबीआई जाँच के आदेश को रुकवाने सर्वोच्च न्यायालय क्यों गयी कहीं दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है ?

5- यदि सरकार वाकई में भ्रष्टाचार में सम्मिलित नहीं है तो फिर उच्च न्यायालय के आदेश में उनके विधायक का नाम आने के बाद भी उनके खिलाफ कोई निर्णय पार्टी ने क्यों नहीं लिया ?

6- यदि सरकार पाक साफ थी तो प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया ?

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